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Navneet Gupta

Action Inspirational Thriller

4  

Navneet Gupta

Action Inspirational Thriller

नाशुकरे तुम!

नाशुकरे तुम!

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“ प्रधान जी! तुमने ये कैसे बोल दिया गाँव में कि गाँव से अब कोई नहीं जायगा, टनल के कामों में चाकरी करने”सत्यदेव, राम मिलन, अंकित, जयप्रकाश, रामसुन्दर और संतोष ने ग़ुस्से में राधेश्याम प्रधान को डपटा॥ 

मोतीपुर गाँव में जो 17 दिन से घुट रहा था अपने बच्चों के जीवन गाँव पर लगे थे, रोज़ रोज़ अच्छी खबर नहीं आ रही थी. हर न्यू सुबह उदासीनता दे रही थी॥ उन घरों के लोग ना ढंग से खा रहे थे ना पी रहे थे। होनी अनहोनी के जाल में जो फँसे थे॥

कोई मर भी जाता है तो पाँच सात तेरह दिन में स्वीकार लिया जाता है, लेकिन यहाँ तो अनिश्चितता दीख रही थी॥

उस सब से जब कोई 17 दिन के अंधेरे से रात के कुछ अंधेरे, अपने साथियों के बीच और अगली सुबह खुली धूप देखे, कितना आनन्दित हुए होंगें वो और उनके परिजन - पारलौकिक बात है, चमत्कार ही था।

“ प्रधान जी, जिस गाँव ने तब हमें नियमित रोटी नहीं दी, तभी तो हम इतने कठिन, संवेदनशील और रिस्की काम पकड़ते हैं. अब दुर्घटना कब नहीं हो सकती, लालाराम कैसे छत से गिर कर मरा, घोंचू कैसे विसैली दारू पीकर मरा, कल्लू कैसे मोटर साइकिल से मरा॥ 

आज हम जाने कैसे हमारे देशवासी, नेता इंजीनियर और ना जाने कितने लोग बाहर से हमारे लिये दीपदान से लगे थे, और आख़िरी दिन जब हम सब बिल्कुल निराश थे, टनल में अलग ही हलचल हुई, कुछ बंदे खुदाई करते अन्दर आते दीखे, अपनी जान की बाज़ी लगा कर, पता लगा वो कुछ हम से अलग कुछ हम जैसे ही श्रमिक थे जिनको बताया कि वो चूहा होल खनिक थे, और तब हमारी जान में जान लौटी कि अब हम खुली हवा में और खुली रौशनी के हक़दार होंगें॥ बाहर आकर समझ आया कि हमें आपदा बंधक मुक्ति में सरकार ने कितने ही लोगों ने करोड़ों रूपये, अपनी नींद अपना ज्ञान अपनी सफल असफल कोंशिश की है॥ हमारे विश्वास में हमें उम्मीदों में ज़िन्दा रखा तो बाहर वालों ने कुछ कम नहीं ॥ हम सब और वो सब अब आज हीरो हैं॥

हमारे ज़िन्दा शरीर और मन अब टनल कामों की आपदाओं से झेले पके हुए हैं, अब तो समय आया है हम सब 41 को अलग अलग उन्हीं कामों में काम के साथ नेतृत्व करना चाहिये ना कि डर कर बैठने की सोचना, जो आप भावावेश में बोल गये थे॥

… हम सब 6 ही नहीं सारे 41 बाहर ज़िन्दा निकले कठोरता झेलने के हीरो बने हैं और हमसे ज़्यादा वो चूहा खुदायी वाले 12 जन हमसे बड़े हीरो, जिन्होनें अपनी जान की परवाह नहीं की॥

“प्रधान जी नाशुकरे मत कहलवाओ हम सब को आज।

हम आने वाले कल में भी अब तो और बडे हीरोपंता करने की कोशिश करेगें॥”

नाशुकरे तुम॥


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