Ishwar kumar Sahu

Tragedy Inspirational

4.2  

Ishwar kumar Sahu

Tragedy Inspirational

"मां की स्नेह "

"मां की स्नेह "

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एक समय की बात है गुल्लू नाम का एक छोटा बालक दुकान में काम कर रहे थे, उसने काम करते करते एक चूहा को देखा, चूहा एक कागज को कुतर रहा था। चूहे को उसने आवाज से भगा दिया, पुनः चूहा कुछ समय बाद फिर से कागज को कुतरने लगा ऐसा करते हुए गुल्लू ने तीन बार चूहे को भगाया, फिर भी चूहा कागज कुतरने से बाज नहीं आया। गुल्लू से रहा नहीं गया उसने इस बात को अपने मालिक को बताया। मालिक ने कहा गुल्लू चूहा अपना काम कर रहा है तुम अपना काम करो। लेकिन गुल्लू बार बार मालिक से शिकायत किया तो मालिक परेशान होकर गुल्लू को काम से निकाल दिया। गुल्लू बहुत परेशान था वह सारी घटना को घर जाकर अपनी मां को बताया मां ने कहा बेटा परेशान होने की जरुरत नहीं है दूसरा काम खोज लेना। 

गुल्लू ने एक सेठ के यहां माली का काम खोज लिया। रोज वह पेड़ों को पानी देता था और पौधों की कटाई करता था । एक दिन अचानक उसे एक चूहा दिखाई दिया वह चूहा पौधे के जड़ो को खोद रहा था वह चूहा को मारने के लिए लाठी लेकर दौड़ा। काम करने के बजाय दिन भर चूहा खोजने में लगा रहा। रोज गुल्लू चूहा के पिछे पड़ा रहता था। इसकी शिकायत उसने अपने सेठ से किया सेठ ने कहा गुल्लू तुम अपना काम करो चूहा के पिछे ना पड़ो पर गुल्लू कहां मानने वाला था। सेठ को जब पता चला तो उसने गुल्लू को काम से निकाल दिया। गुल्लू रोने लगा और वह घर आ गया, मां को उसने सारी घटना विस्तार से बताया तो मां ने कहा बेटा मन लगाकर काम नहीं करने का ये परिणाम है, जो हुआ उसे भूल जाइए तथा दूसरा काम खोजिए। कुछ दिन बाद उसके मां की तबीयत खराब हो गया मां ने कहा बेटा मेरे बदले कुछ दिन तुम काम में जाओ। गुल्लू अपने मां के बदले काम में जाने लगा। एक दिन काम करते करते गुल्लू को चूहा दिखाई दिया जैसे ही गुल्लू चूहा को देखा वह उसे मारने के लिए दौड़ा, उसने घर का सारा सामान तितर बितर कर दिया । मालकिन गुल्लू के इस कृत्य को देखकर काफी नाराज हो गई उसने गुल्लू को भला बुरा कहकर काम से निकाल दिया। गुल्लू मालकिन के इस कृत्य से हैरान परेशान हो गया उनका कहना था की वो तो चूहा को मारने के लिए ये सब किया था जो कि मालकिन के घर को नुकसान पहुंचा रहे थे। मालकिन उसके बदले दूसरे व्यक्ति को काम पर रख लिया क्योंकि कब तक वो उसकी मां के आने का इंतजार करती। गुल्लू के इस बचकाना कृत्य से उसके मां का भी काम छूट गया उसने सारी घटना को विस्तार से मां को बताया, पर ने उसे डांटा नहीं बल्कि मन लगाकर काम करने की सलाह दी। कुछ दिन बाद पड़ोस के मांगी लाल जी ने अपने घर दो पालतू चूहा लाया उनके देखभाल के लिए नौकर की जरूरत थी उसने गुल्लू को काम पर रख लिया।

समय का परिवर्तन देखिए उसी चूहा के कारण गुल्लू को अपने काम से महरूम होना पड़ा था और आज उसी चूहा के कारण अपने आप काम मिल रहा था। गुल्लू अपने असफलता का कारण चूहे को मान लिया था वह कुछ दिन मांगी लाल के यहां काम किया, ठीक से देखभाल ना होने के कारण उनका चूहा मर गया। मांगी लाल ने उसे भला बुरा कहकर काम से निकाल दिया, मां ने गुल्लू को पुनः समझाने का प्रयास किया, मां ने कभी भी गुल्लू को हतोत्साहित करने का प्रयास नहीं  किया वे हमेशा उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया, पर पुनः गुल्लू बेरोजगार हो गया। समय गुजरते गया गांव मे बाहर से साहब आया था उसने एक बड़ा सा फॉर्म हाउस और अनाज को गोदाम बनाया था उस गोदाम में बहुत ही ज्यादा चूहा हो गया था चूहा को भगाने तथा मारने के लिए उन्हें एक शागिर्द की जरूरत थी। गुल्लू को जैसे ही मालूम हुआ वह साहब से मिला और उस काम के लिए हामी भर दी। गुल्लू को अब लगा की इन चूहों का खैर नहीं है वह जैसा काम खोज रहा था वैसे ही मनचाहा काम उनको मिल गया। वह दिन भर गोदाम की देखभाल करता था तथा चूहों से अनाज की रखवाली करता। दौड़ा दौड़ा कर चूहों को मारता था पहले का सारा खीझ वो इन चूहों पर निकाल रहा था। गोदाम के मालिक गुल्लू के काम से बहुत खुश था वह प्रतिवर्ष गुल्लू के पगार में वृद्धि करता था। गुल्लू अपने परिवार के साथ खुशी से रहने लगा। गुल्लू के इस सफलता में उनके मां का बहुत बड़ा हाथ था उसने अपने इस सफलता का सारा श्रेय मां को दिया जिसने कठिन परिस्थितियों में दूसरे के घर काम करके उन्हें बड़ा किया था, मां का स्नेह और आशीर्वाद ही तो था जो गुल्लू को सफलता के मार्ग में वापिस लाया।

इस कहानी का सार यही है कि हमें अपने मां बाप के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए जो मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाते हैं तथा हर सुख दुख में चट्टान बनकर खड़े रहते हैं। समय परिवर्तन शील है कोई भी काम जिसमें हम असफल हुए हैं वो हमारी योग्यता का अंत नहीं है । कोई भी कार्य हो उसे मन लगाकर करे सफलता निश्चित है। काम चाहे कोई भी हो काम छोटा बड़ा नहीं होता है।

       


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