"झूठी शान "
"झूठी शान "
पुराने समय की बात है श्रीरंग पुर में रायबहादुर नाम का जमींदार पुरानी रंगत और ठाठ बाट से रहता था। गांव के आसपास उनकी अच्छी धमक और पहचान था उस क्षेत्र मे कोई भी बड़ा अधिकारी आता था तो पहले रायबहादुर के घर हाज़िरी लगाता था । रायबहादुर के दो लड़के तथा एक लड़की नीता जिसकी शादी पास के ही गांव के सीतापुर के जमीदारी के लड़के से हुआ था।रायबहादुर के बड़े लड़के का शादी हो चुकी थी जबकि छोटे लड़के शहर में रहकर पढ़ाई कर रहे थे । बड़े लड़का मान बहादुर का शादी बहुत पहले हो गई थी जब उसकी उम्र पंद्रह साल के थे इसलिए उनके सत्रह साल की सुधा नाम की एक बिटिया थी सभी सुधा से बहुत प्यार करते थे सुधा पढ़ाई मे अच्छी थी वह पास के ही गांव मे बारहवी की पढ़ाई कर रही थी। उनके ताऊ रायबहादुर अपनी पोती से बेहद प्यार करते थे, उनकी हर ख्वाहिशों को वो चुटकी मे पूरा करते थे जब सुधा दसवीं मे पढ़ रही थी और अपने कक्षा में अव्वल आई थी तो उनके लिए स्कूटी खरीदे थे इस बार कार का वादा था ।
सुधा जिस गांव मे पढ़ाई करती थी वहां सुधीर नाम के लड़के से उन्हे प्यार हो गया था, सुधीर शहर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उनका अंतिम वर्ष था। सुधीर भी सुधा को बहुत चाहता था चूंकि सुधीर दलित जाति के थे इसलिए दोनो छुप छुप कर मिलते थे । हालांकि सुधीर दलित थे लेकिन घर से वह बेहद सम्पन्न थे इसलिए उनको पूरा विश्वास था कि सुधा के घर वाले बाद में मान जायेंगे, दिखने मे भी बहुत सुंदर, कोई नहीं कह सकता था कि वे दलित परिवार से हैं ।
समय बीतता गया सुधीर की पढाई पूर्ण हो चुका था वह सरकारी नौकरी की तलाश मे था, कुछ समय बाद रेलवे विभाग में वह जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त हो गए थे।उधर सुधा भी बारहवीं उत्तीर्ण कर कॉलेज मे दाखिला ले चुकी थी । सुधीर तो गांव से दूर शहर मे नौकरी कर रहे थे, सुधा से फोन मे रोज बातचीत करता था जब भी वह गांव आता था सुधा के लिए कुछ ना कुछ जरूर लाता था। एक दिन समय पाकर सुधा ने अपने मां से सुधीर के बारे मे बताया, मां को जब पता चला कि लड़के उनके बिरादरी का नहीं है तो उसने सुधा को समझाया कि बेटी खानदान के इज्जत का सवाल है, फिर आपके ताऊ को पता चलेगा तो वह आग बबूला हो जायेगा और जैसे ही उनके ताऊ को पता चला उसने अपने बिरादरी के लड़के से आनन फानन में रिश्ता तय कर दिया। सुधा के पिता जी ने सुधीर के घर जाकर धमकी दे कर आया था कि उनके इज्जत पर हाथ ना डाले वरना अंजाम बहुत बुरा होगा, उसने फोन मे सुधीर को भी अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा था।
समय पाकर एक दिन सुधा अपने घर से फरार हो गई और मंदिर में सुधीर से शादी कर लिया, दोनो एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे तथा एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खा चुके थे। उधर दोनो परिवार के लोग काफी परेशान हो गए थे। सुधा के परिवार के लोग इसे अपने सम्मान से जोड़ कर देख रहे थे और जी जान लगा कर खोजने में लगे थे। रायबहादुर अपने बहु तथा पत्नी से काफी नाराज़ थे कि वे सुधा को सम्हाल कर नहीं रख पाए, सारा इज्जत मिट्टी में मिला कर रख दिया,कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा, मिलने पर दोनो को जान से मारने को योजना बना रहे थे।
कुछ दिन बाद दोनो पता चला दोनो सुधीर के घर में आ चुके थे। सुधा के पिता ने बहला फुसलाकर कुछ दिन मायके में रहेगी ऐसा कहकर सुधा को अपने घर ले आये । सुधीर के परिवार को लगा कि अब वे लोग मान गए हैं और खुशी खुशी सुधा को भेज दिया। सुधा को घर लाते ही उनकी मार पिटाई चालू हो गया सुधा की मां तथा दादी ने बीच बचाव करने का प्रयास किया लेकिन उन लोगो की एक भी नही चली, सुधा को इतना मारा कि उनके प्राण ही निकल गए, उन लोगो ने तो मारने का पहले से ही योजना बना चुके थे। सुधा को मारकर घर के पिछे बागीचे मे आनन फानन में दफना दिया। इन जल्लादो ने फूल सी बिटिया की घर बसने से पहले ही उनकी घर उजाड़ कर रख दिया। सुधीर ने दूसरे दिन सुधा के पास फोन लगाया फोन नहीं तो उसने पता करने के लिए अपने ससुराल गया लेकिन वहां उनसे बात करने कोई तैयार नहीं था, जैसे ही शंका हुआ उसने पास के थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया। पुलिस विभाग के द्वारा थाने ले जाकर धमकाया गया तब जाकर उन लोगो ने सुधा की हत्या करना स्वीकार किया। बाप–बेटे को जेल भेज दिया गया। उन लोगो को लगा था कि हर जगह उनकी पहुंच है उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा लेकिन कानून के सामने कोई छोटा बड़ा नही होता है।
इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलती है कि इंसान अपने औलाद को जन्म दे सकता है लेकिन उनके कर्म और पसंद को अपने प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर ना देखे क्योंकि समय बदल रहा है। बदलते वक्त के साथ चलना सीखे, हर आदमी की अपनी पसंद होती है, किसी पर अपने पसंद को थोपना कहां तक उचित है और फिर सुधीर तो पढ़ा लिखा, नौकरी पेशा, सुंदर घर से संपन्न था, गलती केवल इतना था कि उच्च कूल मे पैदा नही हुआ था, उसमे भी उनका क्या गलती है क्योंकि जात–पात तो इंसान का बनाया हुआ है। अपनी झूठी शान के लिए किसी का घर मत उजाड़िये। आज भी ऑनर कीलिंग जैसे घटनाएं होती रहती है जिस पर रोक लगाना बहुत जरूरी है।

