Ishwar kumar Sahu

Inspirational Others

4.0  

Ishwar kumar Sahu

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मोहन प्यारे

मोहन प्यारे

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बेलापुर गांव में मोहन नाम का व्यक्ति रहता था वह मेहनती वा ईमानदार लड़का था, वह पास के इंटर कालेज में बी. ए. की पढ़ाई करता था। उनके माता पिता अत्यंत गरीब थे मेहनत मजदूरी करके अपने जीवन चलाते थे। मोहन लगन के साथ पढ़ाई कर रहे थे। मोहन के साथ गांव की मोहिनी नाम की लड़की भी पढ़ती थी मोहिनी दिखने में सुंदर तथा अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। मोहिनी की पिता सरकारी मुलाजिम थे तथा पूर्वजों से मिली मिल्कियत से सम्पन्न थे इसलिए मोहिनी कार से कॉलेज जाती थी वही मोहन अपने पिता के पुराने सायकिल से कॉलेज जाते थे दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे इसलिए औपचारिक बातचीत होती थी।

      वैसे तो मोहन शर्मीले स्वभाव का लड़का था लेकिन वह मन ही मन मोहिनी को चाहने लगा था। मोहिनी को कई चीज समझ में नहीं आता था तो वह हमेशा मोहन से पूछती थी इसलिए मोहन ने इसे चाहत समझ लिया था। एक दिन समय पाकर उसने मोहिनी से अपने प्यार का इजहार करते हुए आई लव यू बोल दिया, मोहिनी को जैसे ही ये शब्द सुनाई दिया उसने सबके सामने एक झन्नाटेदार तमाचा मोहन के गाल पर जड़ दिया और ये भी कहा कि कहां तुम और कहां मैं "कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली" ये मुहावरा सटीक बैठ रहा था क्योंकि मोहिनी अमीर बाप की लड़की थी। आसपास मौजूद सभी व्यक्तियों को माजरा समझ में आ गया था सभी हंस रहे थे।

     घर आने बाद मोहिनी ने इस बात को अपने माता पिता को बताया, उनके पिता काफी क्रोधित थे। उसने मोहन के घर जाकर बाप बेटे को धमकाया कि दोबारा ऐसी गलती की तो जेल भिजवा दूंगा और ये भी कहा कि कब से गरीब लोग अमीरों के घर रिश्ते जोड़ने के सपने देखने लगे हैं। मोहन के माता पिता को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था उन लोगों ने मोहिनी के पिता से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगे कि अब दोबारा ऐसा नहीं होगा हम अपने बेटे के इस कृत्य से शर्मिंदा हैं। मोहन की आंखें शर्म से झुक गयी थी क्योंकि उनके कारण उनके मां बाप को शर्मिंदा होना पड़ा वह अंदर ही अंदर काफी टूट चूका था। वह घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था, उस दिन वह रात में खाना नहीं खाया उनके पिता ने काफी समझाने का प्रयास किया, उनके मां ने भी समझाया कि बेटा जो हुआ उसे भूल जाओ और मेहनत करो। काफी समझाने के बाद अब वह सामान्य व्यवहार करने लगा। ये घटना पूरा गांव में आग की तरह फैल चूका था मोहन जब घर निकलते थे तो उन्हें लोग मोहन प्यार वाला कहकर चिढ़ाते थे शर्मिंदा के मारे वह मुंडी नीचे करके आगे बढ़ जाते थे। धीरे धीरे मोहन प्यार वाला के जगह उनका नाम मोहन प्यारे हो गया अब लोग उन्हें मोहन प्यारे कहकर चिढ़ाते थे। गांव में इस प्रकार के कोई भी घटना घटित होता था तो वहां मोहन प्यारे का जिक्र ज़रूर होता था। गांव का एक बदमाश लड़का सरकारी भवन के दीवार में बड़े बड़े अक्षरों में "मोहन प्यारे , क्या हुआ दुलारे" ऐसा लिखकर चिढ़ाते थे। क्या बच्चे क्या जवान सब मोहन प्यारे कहकर मजा लेते रहते थे।

     मोहन को धीरे धीरे इन सब चीजों को सहने की आदत हो गया था अब वह इन बातों में ध्यान नहीं देता था काफी मन लगाकर पढ़ने लगा। कॉलेज का इम्तिहान पूरा हो चुका था, परिणाम जब आया तो वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। उनके इस मेहनत को देखकर मोहिनी भी अचंभित हो गई एक सामान्य सा लड़का आज पूरे इंटर कॉलेज मे टॉप किया था। मोहन इतने से संतुष्ट नहीं हुआ वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गया प्रथम प्रयास में तो वह असफल हो गया लेकिन दूसरे प्रयास में शानदार सफलता अर्जित किया और कलेक्टर बनकर उसी जिला मे सेवा दे रहा था। उनकी इस सफलता पर पूरा गांव गौरवान्वित महसूस कर रहा था जिसे कभी मोहन प्यारे कहकर चिढ़ाते थे अब उसे मोहन साहब करके गर्व महसूस कर रहे थे। गांव में उनके सम्मान में एक सभा का आयोजन किया गया जब उन्हें बोलने के लिए बुलाया गया तो उनका पहला शब्द यही था मैं मोहन प्यारे इस वाक्य को सुनकर सभी अचंभित हो गए। उसमें अपने इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया जो कि विपरीत समय में उनके मनोबल को बढ़ाया तथा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, एक समय जब वह आत्महत्या करने का सोच लिया था, जीने की इच्छा समाप्त हो गई थी तब माता पिता ने उन्हें सम्हाला था। अंत में उसने मोहिनी को भी अपने सफलता का श्रेय देने से नहीं चूका, उनका कहना था कि अगर मोहिनी उनके साथ ऐसा बर्ताव नहीं करती तो वो आज इस सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। उस सभा में मोहिनी तथा उनके पिता जी भी मौजूद थे जो काफी शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे, दोनों सामने आकर अपने गलती के लिए माफी मांगने लगें, मोहन बड़प्पन दिखाते हुए उन्हें माफ कर दिया तथा मोहिनी के पिता ने मोहन के सामने अपने लड़की की विवाह का प्रस्ताव रख दिया जिसे मोहन तथा उनके परिवार वालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

    इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलता है कि गरीब होना कोई अभिशाप नहीं और किसी व्यक्ति के गरीबी का इस तरह मजाक नहीं उड़ाना चहिए। व्यक्ति से रिश्ता उनके धन को देखकर नहीं वरण उनके व्यवहार और संस्कार को देखकर करना चाहिए हर इंसान अपनी मेहनत से सफलता के उच्च शिखर तक पहुंच सकता है।

         


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