Ishwar kumar Sahu

Inspirational

4.1  

Ishwar kumar Sahu

Inspirational

मेरी आत्मकथा===========

मेरी आत्मकथा===========

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गरीब और गरीबी में जन्म लिया,

हर पल अभावों में जिया।

जन्म से स्वस्थ और सबल था,

पर पोलियो ने एक पैर छीन लिया।

था मां –बाप जागरूक,

खूब कसैला दवाई पिया।

तब जाकर बैशाखी से,

अपने पैरो पर खड़ा किया।

फिर भी था लचक बायां पैर से,

था दिल में कुछ कसक पैर से।

पर हार नही माना,

मन ही मन उसने ठाना।

चाहे हो कितनी मुश्किले,

मेहनत से आगे बढ़ते जाना है।

दो भाई एक पुस्तक से की पढ़ाई पूरी,

ताकि मां बाप के सपने ना रहे अधूरी।

जी जान लगाकर खूब की पढ़ाई,

कमजोर पैर से उसने खूब साइकिल चलाई।

खेत खलिहानों में भी किया खूब काम,

तब जाकर मेहनत से कमाया नाम।

मां–बाप का था सुपर कॉप,

पी. जी. में जाकर किया टॉप।

फिर खूब मेहनत करके कॉलेज पढ़ाया,

अपने बूते पहचान बनाया।

था कालेज घर से सौ कि. मी.दूर,

समस्या भी था भरपूर।

ना रहे जिंदगी में कोई कसर,पांच रुपए थाली मे,

अन्नपूर्णा दाल भात खाकर किया गुजर बसर।

कोई देख ना ले, दबे पांव आता था,

चुपके से खाकर पिछले दरवाजा से जाता था।

कब तक रहता गफलत में सितारा,

एक दिन खुला भाग्य का पिटारा।

था ऐसा कार्य जो सबको हो स्वीकार्य,

मिला पढ़ाने का पुनीत कार्य।

विवाह की भी थी आजादी,

बड़े मुश्किल से हुआ शादी।

बड़े संघर्ष के बाद हुआ शिशु का आगमन,

सारांश नाम था चंचल चितवन।

नित जीवन चल रहा है अविराम,

लेखन, शिक्षण यही है पुनीत काम।

अरे वो कोई और नहीं,

ईश्वर साहू है उसका नाम।

   


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