बल का अभिमान
बल का अभिमान
ओरछा नामक स्थान काफी वन से आच्छादित था वहां कई प्रकार के वृक्ष, झुरमुट झाड़ियां, पहाड़ वा नदी नाले था। वहां कई प्रकार के जीव जंतु निवास करते थे सभी अपने परिवार के साथ खुशी निवास कर रहे थे किसी का कोई भय नहीं था। अचानक वहां एक शेर आया और काफी आतंक फैलाया। जानवरो को भी मारकर खाना चालू कर दिया और अपने आप को उस क्षेत्र का राजा घोषित कर दिया। एक दिन शेर ने सभी जानवरों की सभा बुलाया और कहा कि मै अब काफी थक चूका हूं रोज रोज जानवरों को दौड़ाकर पकड़ना अच्छा नहीं लगता है फिर मैं यहां का राजा भी हूं। वैसे वह शेर बूढ़ा नहीं था जैसे कि सभी कहानियों में होता है। वह सभा में सभी को रौब दिखा कर बोला प्रस्ताव मंजूर है कि नहीं। सभी दबे स्वर में डर के कारण हामी भर दी। क्रम से सभी जानवरों के घर से एक एक जानवर उनका शिकार बन रहे थे। अब बारी गधा का था। गधा ने सभी जानवरों की गुप्त रूप से सभा बुलाया और सभा में उसने प्रस्ताव दिया कि क्यों ना इस शेर को दूसरे शेर से लड़ाकर मार डाला जाए। वैसे तो गधा को मूर्ख प्राणी माना जाता है लेकिन उनका विचार सभी को पसन्द आया। तभी सभा में उपस्थित खरगोश ने कहा कि एक को तो मार डालोगे लेकिन उस दूसरे शेर से तुम्हें कौन बचायेगा। क्या हमें वो इस बात की गारंटी देगा कि वो हमारा शिकार नहीं करेगा? सभी को उस नन्हे खरगोश की बात पसंद आया तभी सभा में मौजूद सियार ने सुझाव दिया कि क्यों ना मोम का शेर बनाकर उसे सिंहासन पर बैठा कर उस घमंडी शेर से मिलाया जाये। जब वह शेर उस दूसरे शेर को देखेगा तो आग बबूला हो जायेगा और उस पर प्रहार करेगा। जैसे ही वह अपने पंजा से उस मोम से बने शेर पर प्रहार करेगा उसका हाथ पैर उससे चिपक जायेगा। फिर हम लोग रस्सी से उसे बांधकर आग लगा देंगे। तरकीब बहुत बढ़िया था लेकिन समस्या यह थी कि उस झूठे खबर को लेकर शेर के पास कौन जायेगा? तभी सभी लोगों ने ऊंचे स्वर में कहा कि जिसने यह सुझाव दिया है वही जायेगा। वैसे सियार को तो चतुर प्राणी माना गया है उसने मन ही मन कहा की आसमान से गिरा खजूर पे लटका । पर वह जाने के लिए तैयार हो गया। दूसरे दिन सियार हिम्मत दिखाते हुए शेर के पास गया और हाथ जोड़कर कहने लगा हमारी रक्षा करो सरकार, जंगल में दूसरा शेर आ गया है जो अपने आप को इस क्षेत्र का राजा घोषित कर दिया है और अपने लिए भोजन की व्यवस्था करने को कह रहा है।
शेर इस बात को सुनकर आग बबूला हो गया और कहने लगा कि किस मूर्ख की शामत आई है जो मुझसे पंगा ले रहा है। चलो कहां पर है अभी ले चलो। उनका काम तमाम करता हूं यह कहकर छलांग लगाते निकल पड़े आगे आगे सियार पीछे पीछे शेर चल रहे थे। कुछ दूर जाने के बाद उस शेर का सिंहासन लगा हुआ था। शेर को सिंहासन पर बैठा देख इसका गुस्सा सातवें आसमान में था सामने वाला कुछ कह पाता इससे पहले वह उसके ऊपर छलांग लगा दिया। जैसे ही उनके ऊपर पंजा मारा हाथ पैर उस मोम के शेर से चिपक गया। सभी ने राहत की सांस ली। तुरंत रस्सी से उनको बांधने लगे । शेर अपने हाथ पैर मारने लगा लेकिन वह कहां निकलने वाला था ऊपर से वह गरज कर बोलने लगा कि एक बार तो बाहर आने दो सब को देख लूंगा। इसी को कहते है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया।
तभी बंदर ने आग लेकर उस सिंहासन पर लगा दिया। पल भर में शेर जल कर राख हो गया। इस कहानी से यही पता चलता है कि शेर को अपने ताकत पर अभियान था तभी तो उसने बिना सोचे उस मोम के शेर को असली शेर समझ कर उस पर प्रहार किया। अगर वो बुद्धि का प्रयोग करता तो उसकी ये दुर्दशा नहीं होती। जल्दबाजी, और गुस्सा मनुष्य का बड़ा शत्रु है। अगर कोई भी व्यक्ति बुद्धि से काम ले तो इस दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। हमें भी अपने जीवन मे बल, रूप तथा धन पर अभिमान नहीं करना चाहिए यही इस कहानी का सार है।
