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Ishwar kumar Sahu

Others

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Ishwar kumar Sahu

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आओ घमंड भाव का परित्याग करे।

आओ घमंड भाव का परित्याग करे।

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एक गांव में महेश नाम का आटो चालक रहता था। उनका आटो खूब चलता था। वह अपने बीवी, बच्चों के लिए हर महीने खाना खिलाने के लिए रेस्टोरेंट ले जाता था तथा बच्चों के लिए उपहार खरीदता था। वह बड़ा समझदार तथा मेहनती लड़का था सबके साथ अच्छा व्यवहार करता था।

    उस गांव में अचानक महामारी महामारी फैल जाने के कारण लॉकडॉन हो गया। आटो से कमाई बंद हो गया। सुधा जो उनकी बीवी थी मन ही मन चिंतित दिखाई देने लगी तब महेश ने अपने बीवी से कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है ऊपर वाले सब समस्या का समाधान करेगा। दोनों ने हाथ जोड़कर भगवान को मन ही मन याद किया।

        अगले दिन महेश के घर में सोने से भरा हुआ घड़ा मिला। दोनों उस सोने से भरे घड़ा को देखकर अचंभित हो गए और मन ही मन प्रभु को याद किया। अब महेश ने एक सोने के सिक्के को बेचकर घर के लिए आवश्यक समान खरीदा। रोज एक सिक्के बेचकर वह बड़ा आदमी बन गया और अपने रहने के लिए एक बड़ा सा घर बना लिया। उसने आटो चलाना बंद कर दिया। अपने मूल व्यवसाय को पूरी तरह भूल गया था। किसी से बात भी नहीं करता था। उनके पड़ोस में रमेश बाबू रहता था। एक दिन अचानक रमेश बाबू के बच्चे का तबीयत खराब हो गया उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए आटो की जरूरत थी। उसने बहुत पता किया लेकिन उसे आटो नहीं मिला। थक हार कर वह महेश के घर गया और अपने बच्चे को अस्पताल ले जाने के लिए निवेदन किया किन्तु महेश ने साफ मना कर दिया तथा उसने रमेश बाबू को उल्टा सीधा कहा। कुछ दिन बाद महेश अपने परिवार के साथ कहीं घूमने गया था घर में आग लगने के कारण सब कुछ जलकर खाक हो गया । बस उनके पास केवल एक आटो ही बचा था जो घर के बाहर खड़ी होने के कारण बच गया था। वह फिर से उस आटो को चलाने लगा तथा उसी आटो की कमाई से अपने परिवार को पालने लगा। उसे अपने घमंड का अहसास हो गया था। वह अब सबसे पहले की तरह व्यवहार करने लगा तथा मन ही मन प्रभु से माफी मांगी और कहा कि व्यक्ति को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।

                   


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