Ishwar kumar Sahu

Tragedy

2.9  

Ishwar kumar Sahu

Tragedy

घमंडी लड़की

घमंडी लड़की

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सूरजपुर गांव मे मोहन नाम का एक व्यापारी रहता था। उनका व्यापार खूब फलफूल रहा था इसलिए वह संपन्न था। उनके दो लड़की थी एक का नाम सुरम्या तथा छोटे लड़की का नाम सोनिया थी।सुरम्या अत्यंत सुंदर थी जबकि सोनिया पढ़ाई में अच्छी और दिखने में उतना सुंदर नही थी। पढ़ाई के अलावा उनके घर मे कोई काम नही था । सोनिया पढ़ाई के साथ साथ घर के काम में निपुण थी जबकि सुरम्या कुछ भी काम नही करती थीं बार बार अपने चेहरे को दर्पण मे निहारती थी तथा मेकअप करने में मशगूल रहती थीं । उन्हे अपने चेहरे पर घमण्ड थी। मोहन की दोनो लड़की अब शादी करने के लायक हो चुकी थीं। रिश्ते के लिए उनके घर लड़के वाले लोग आने लगे थे लेकिन बड़ी लड़की सुरम्या किसी को पसंद नहीं करती थी। मोहन अपने बड़ी लड़की से बहुत परेशान था। छोटे लड़की को वह बड़े लड़की के रहते दिखा नही सकता था।सुरम्या के लिए डॉक्टर, मास्टर, वकील, इंजिनियर और व्यापारी कई प्रकार के रिश्ते आये लेकिन वह किसी भी लड़के के साथ विवाह के लिए राजी नहीं हुआ। बस वो अपने लिए किसी राजकुमार के तलाश मे थी कभी अच्छे खानदान होने के कारण रिश्तों से समझौता करना पड़ता है। ऐसे तैसे तीन वर्ष बीत गए। अंत मे मोहन ने एक छोटा सा परिवार देखकर सोनिया की शादी कर दी। साल भर बीतने के बाद उनके घर एक नन्हा सा शिशु का आगमन हुआ। वह अपने परिवार के साथ सुखी पूर्वक रहने लगी। इधर सुरम्या के लिए रिश्ते आना भी बंद हो गया था उम्र भी ज्यादा होने के कारण अब उनके चेहरे मे पहले जैसे चमक नही थी कोई पसंद नही करता था। बढ़ते उन्र के कारण शरीर बेडौल वा चहरे मे पहले जैसे चमक नही थी। अब उनके अकल ठिकाने लग चुकी थी अब कैसे भी रिश्ते आये विवाह के लिए तैयार थी। उन्हे अपने गलतियों का अहसास हो चुका था। घर मे भी उन्हे लोग उलाहना देते थे। सोनिया जब अपने मायका आती थी तब उनके बच्चे उन्हे मां तथा सुरम्या को बड़ी मां कहकर पुकारते थे तब उनके दिल ईर्ष्या भाव पैदा होती थी। उन्हें लगने लगा की काश वो अपने चेहरे पर घमंड नही करती और विवाह के लिए राजी हो जाती तो उनके भी छोटे छोटे बच्चे होते। वात्सल्य भाव रह रह कर ह्रदय मे हिलोरे ले रही थी। सुरम्या एकांत जगह मे जाकर फूट फूट कर रोती थी और कहती थी कि व्यक्ति को अपने रंगरूप और धन पर कभी घमंड नही करना चाहिए। इस कहानी का भाव यही है कि "चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात"अर्थात् व्यक्ति को कभी भी किसी भी चीज पर अभिमान नही करना चाहिए। आप भी अपने मन से घमंड भाव का परित्याग करे वरना आपका भी वही हाल होगा जो इस कहानी मे सुरम्या का हुआ है।



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