सुपैत डाकू
सुपैत डाकू
भारत के दक्षिण में एक समृद्ध शहर था जहां सुपैत नाम का एक डाकू रहता था। सुपैत शुरू में एक निहायती ईमानदार और मेहनती लड़का था। मजदूरी करके अपने मां बाप को पालता था। उनके जीवन मे परिवर्तन तब आया जब वह शोभनाथ जमींदार के यहां काम किया और वह एक डाकू दूसरे शब्दों में कहें तो लुटेरा बन गया था। वह शोभनाथ के यहां काम करता था उनको अपने पड़ोसी के बच्चे के इलाज के लिए रुपयों की जरूरत थी उसने शोभनाथ से मदद के लिए बहुत निवेदन किया। बदले में शोभनाथ ने सुपैत के साथ मारपीट कर काम से निकाल दिया। उस दिन से उसने प्रण लिया की ऐसे लोगों को वो सबक सिखाएगा। कई लोग जानते थे कि सुपैत एक डाकू है लेकिन कोई उसके खिलाफ शिकायत नहीं करते थे और ना ही उसके विरुद्ध गवाही देने के लिए तैयार थे उल्टा लोग उनकी पैर छूते थे। डाकू होने के बावजूद वो पहले की तरह गरीब था। एक दिन शोभनाथ के यहां चोरी करते पकड़ा गया। पुलिस आया और उन्हें पकड़ कर ले गया। रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी वह कुछ समय बाद छूट गया। शोभनाथ ने थाने में शिकायत किया फिर भी कुछ नहीं हुआ। बड़े अधिकारियों के पास भी चक्कर लगाया लेकिन ढाक के तीन पात निकला। क्या आप जानते है कि उन्हें पुलिस क्यों नहीं पकड़ता था?
सुपैत डाका तो डालता था लेकिन डाके का एक रुपया भी अपने उपयोग में नहीं लाता था। सारा लूटा हुआ धन जरूरतमंद लोगों में बांट देता था। पिछले समय लूटे ही रुपयों को विवाह, इलाज, पढ़ाई, किसी के सिर पर छत नहीं होता था ऐसे शहर और गांव के जरूरतमंद लोगों में बांट देता था। हालांकि लूटना, चोरी करना कानूनन अपराध है किन्तु सुपैत उन्हीं के यहां डाका डालता था जो सरकार को गलत तरीके से लूट रहे होते है। कई लोग काले धन को सफेद करने में लगे हुए होते है तथा अवैधानिक रूप से धन इकट्ठा कर रहे होते है। दुनिया मे ऐसे कई लोग है जो भ्रष्टाचार मे लिप्त है तथा जनता को प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रूप से लूट रहे हैं जो कानून का सहारा लेकर वा सरकार के आंखों में धूल झोंक कर अन्याय करने के बाद भी बच जाते है। ऐसे ही लोगों के घर सुपैत डाका डालता था। मेरी नजरों में सुपैत डाकू नहीं वरण एक नेक इंसान हैं।