माई लाइफ स्टोरी
माई लाइफ स्टोरी
हाँ जी अमृत।
ये नाम उसे शादी के बाद मिला था। बचपन में ही अंतर्मुखी स्वभाव मालकिन ना ज्यादा किसी से बोलना, बस अपनी और पढ़ाई में मस्त रहना। बी. ए करते करते शादी हो गई।शादी के जस्ट बाद पति फौज मेंअपनी ड्यूटी पर और वह बी .एड की पढ़ाई में बिजी और उसमें बी.एड किया। अभी पढ़ के ही निकली थी इसलिए एयरफोर्स स्कूल में उसको जॉब मिल गई और वही स्कूल सेंट्रल स्कूल में बदल जाने के कारण वहाँ उसको फिर जॉब मिल गई। नए साल में उसका चयन हो चुका था लेकिन चूंकि उसके बहुत ही ईमानदारी से काम करने के कारण कुछ लोगों को समस्या थी जैसे क्लर्क के बेटे को सोलह से बत्तीस नंबर न करने की और भी कुछ प्रोब्लेम्स थी जिसके चलते उसका चयन होने पर भी उसे आपको फिर बुलाएँगे कह कर वापिस भेज दिया गया और उसको फिर वो दिन कभी न आया कि स्कूल में पढ़ाने जा सके।
वक्त अपनी रफ्तार से बढ़ता जा रहा था। जीवन के उतार चढाव के चलते दो फूलों ने जन्म लिया और उनको पालने पोसने उसका समय कब पंख लगाकर अपनी रफ्तार से आगे बढ़ा पता ही नहीं लगा। अब बाईस साल
बाद फिर उसके किस्मत में मौका पढ़ाने का आया।
वह मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। इसलिए उसने जॉब ज्वाइन किया। साथ ही बाईस साल के बाद एम.ए का फॉर्म भी भर दिया। दो सालों में उसका एम. ए हो गया अब बदकिस्मती ने वहाँ भी उसका पीछा न छोड़ा। चार नंबरों से वह पीएचडी करते-करते रह गई। खैर मन मसोस कर पीछे न देखते हुए उसने आगे बढ़ना शुरु किया। अब यहाँ भी तकदीर उसके साथ खेल, खेल रही थी उसे हायर क्लास पढ़ाने का मौका देंगे कह कर चार टीचर्स उसकी आँखों के सामने ही रख लिए गए। जिसे देखकर उसका मन अब बहुत खट्टा हो चुका था। पर क्या करें हार कर उसने विचार किया कि क्यों न वो अपना ही परिवार देख ले। स्कूल में पढ़ाने के दौरान उसने कुछ कविताएँ, कहानियाँ लिखीं थे जो कि आज के समय में एक कथा संग्रह के रूप में प्रकाशित हो चुका था। आज की तारीख में वह लघुकथा वृत्त के सह संपादक हैं और अब वह साहित्य सृजन में लग कर अपना जीवन शांति से बिता रही है। जीवन में कोई उत्कंठा नहीं, कोई लाग लपेट नहीं बस मन में एक ही भाव लिए है सादा जीवन उच्च विचार।