चोकर
चोकर
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''अरे आटे भाई, क्या बात है बहुत खुश नजर आ रहे हो, चलनी से छनकर लहराते हुए ढेर बन रहे हो तुम।''
''हाँ भाई, क्या करूँ ये चौकर तो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ता है। हमेशा चिपका रहता है मेरे साथ और लोग मुझे मोटा आटा कहकर खाने से भी गुरेज करते हैं। मेरी शान शौकत में भी फर्क पड़ता है।''
''इस हिसाब से तो आटे भाई मेरी तो तुमसे भी ज्यादा शान शौकत है। मैं तो तुमसे भी महीन दिखता हूँ।''
''हाँ मैदे भाई ये तो अपना अपना ठाठ है। मुझसे लोग पूरी बनाते हैं, कुलचे भटूरे बनाते हैं और बड़ा मान करते हैं और स्वाद ले लेकर खाते हैं।''
''बात तो ठीक है लेकिन हम भी कौन से कम है। लोग आलू के और सर्दियों में तो तरह तरह के पराठे बनाकर बड
़े चाव से लोग खाते हैं।''
''देखो- देखो तुम तो बहुत खुश हो चोकर से अलग होकर पर वो कैसे बैठा है, उसको एक तरफ झाड़ दिया गया।''
तभी चक्की पर एक ग्राहक आता है और आते मोटे आटे की माँग करता है।
''अरे आप छाना हुआ आटा ले जाओ उसमें जरा भी चोकर नहीं है बिलकुल एक दम आपको सही आटा मिलेगा।''
''नहीं- नहीं भाई मुझे तो मोटा आटा ही चाहिए जिसमें चोकर हो। तुम नहीं जानते चोकर की रोटी सबसे अच्छी होती है यह पचने में भी बहुत आसान होती है देखा जाएतो मैदा और ये सब चीजें पेट के लिए बहुत नुकसानदायक है हम तो मोटा आटा ही लेंगे।''
अपने सिर सेहरा बंधा देख चोकर जो अब तक उदास था मुस्कुराए बिना न रह सका।