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pali kaur

Tragedy

5.0  

pali kaur

Tragedy

स्मृति

स्मृति

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कोयल की कूक में उसे मन में उठती हूक भी साफ सुनाई दे रही थी। आज वृद्धाश्रम में उसे पूरा साल होने को आया है। यदा कदा उसे देखने उसके बहू बेटा आ जातें हैं, और दिखावटी प्रेम की रस्मी फुहार से तनिक मन को शांति देते हुए कहते हैं कि, माँ बस कुछ और देर और घर में थोड़ा सा काम चल रहा है हो जाने दो फिर हम पहले जैसे साथ ही रहेंगे।

अरे हाँ याद आया अब तो इस साल घर में खूब आम लगे होंगे सुना है इस साल फल बहुत आया है। देखो शायद फल देख कर ही उन्हें मेरी घर वापसी की इच्छा जाग जाय। अभी वह सोच रही थी कि उसके कानों में आवाज़ पड़ी। अम्मा चलो अब घर हमारे साथ आम का पेड़ भी तुम्हारे स्पर्श व प्यार का इज़हार कर रहा है। घर लौटाने के लिए पूरा परिवार ही उसे मनुहार कर रहा था और वह सुखद अहसास में खो....।



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