STORYMIRROR

अर्ध सत्य

अर्ध सत्य

1 min
604


"देख जगीरो, आज मैं बहुत खुश हूँ। अब मैं भी भाभियों के तानों से आजाद हूँ, अब कोई नहीं मुझे सताएगा।"

सुनकर जगीरो मंद -मंद मुस्कुाई। 

स्वप्निल सपनों में खोए हुए सोहन सिंह, जगीरो की मुस्कुराहट का भेद नहीं जान पाया, बल्कि वह तो जगीरो के बेटे के नाम अपने खेत कर चुका था। उसे पाकर अपने को धन्य मान रहा। 

"क्या बात है ? तुम खुश नहीं हो।"

"नहीं जी, मैं तो बहुत खुश हूँ आपको पाकर मेरा जीवन धन्य हो गया।"

"अरे देखना जब हमारे घर बेटी लक्ष्मी बन कर आएगी तो हमारा परिवार पूरा..."

बाहर हो रहे शादी के बाद के ढोल -ढमम्के की आवाज में जगीरो का स्वर विलीन हो गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama