"अरे बातों में कितना वक़्त निकल गया, चलती हूँ ।" कहकर लीला देवी उठ खड़ी हुई। "अरे बातों में कितना वक़्त निकल गया, चलती हूँ ।" कहकर लीला देवी उठ खड़ी हुई।
बाहर हो रहे शादी के बाद के ढोल -ढमम्के की आवाज में जगीरो का स्वर विलीन हो गया। बाहर हो रहे शादी के बाद के ढोल -ढमम्के की आवाज में जगीरो का स्वर विलीन हो गया।
लोग उसकी सराहना करते थकते नहीं, धन्य हो ऎसे गुणवान बेटे को। लोग उसकी सराहना करते थकते नहीं, धन्य हो ऎसे गुणवान बेटे को।
जैसी सवारी पाकर आज मैं धन्य हो गया"। जैसी सवारी पाकर आज मैं धन्य हो गया"।