धन्य हो गया
धन्य हो गया
"वाह ! बहन जी, बहुत खूब, क्या शिक्षा दी है आपने अपनी बेटी को, अगर हर माता आपके जैसा सोचने लगे तो भ्रष्टाचार शब्द से आने वाली पीढ़ी अनजान हो जाएगी"। - ओला ऑटो चालक ने अपनी एक सवारी “सीमा” से कहा। दरअसल ऑटो में बैठते समय जब सीमा ने सीट पर 500 रुपये के दो नोट रखे देखें, तो तुरंत ही ऑटो चालक से कहा, भैय्या लगता है, आपकी पिछली सवारी यहां सीट पर पैसे भूल गई है, कृपया उठा लीजिए, और फिर अपनी बेटी से मुखातिब हो कहने लगी- "हमें कभी-भी इस तरह से पड़े हुए पैसे या कोई भी वस्तु उठाना नहीं चाहिए। जो हमारा नहीं उस पर हमारा हक नहीं"। अपनी सीख को जारी रखते हुए सीमा ने आगे कहा- "तुम्हें एक और पते की बात बताती हूं, जो भी इस तरह अपनी वस्तुएं भूल जाता है, याद आने पर उसका शोक मनाता है, जिससे चाहकर भी उस व्यक्ति को उस उठाई वस्तु या पैसे से सुख नहीं मिल पाता। जब तक व्यक्ति हमें खुशी-खुशी कुछ न दे, हमें कभी-भी नहीं लेना चाहिए"।
ये सारी बातें ऑटो चालक ने सुनी तो, उसका मन परिवर्तित हुआ, और उसने प्रसन्न मुद्रा में कहा- "बहन जी मैं अभी अपनी पिछली सवारी को फोन करता हूं, और यह सब मैं आज ही अपने बच्चों को भी सिखाऊंगा, आप जैसी सवारी पाकर आज मैं धन्य हो गया"।
