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pali kaur

Drama

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pali kaur

Drama

हल्दी

हल्दी

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''अरी शीला कहाँ खो गयी क्या सोच रही है? मैं कब से तुझे आवाजें लगा रही हूँ।''

''कुछ नहीं बीबी जी बस यूँ ही मन थोड़ा सा उदास है क्या करूँ। कुछ समझ नहीं आ रहा।''

''अरे! ऐसी क्या बात है तेरे को तेरा आदमी इतने अच्छे से रखता है,तीन बच्चे हैं तेरे और क्या कमी है तुझे।''

''हाँ बात तो ठीक है पर बीबी जी मुझे मेरी माँ को देखे हुए पाँच साल हो गए। ये मेरा आदमी मुझे मेरी मेरी माँ कोर्ट में वकील हैं और पिता पुलिस में फिर भी उसकी नाक के नीचे से मुझे भगाकर नहीं आया। पहले पहल तो अच्छे से रखता था लेकिन अब आए दिन शराब पीकर मुझे मारता पीटता है, बच्चे भी डरे सहमे से रहते हैं।सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक मुझे हल्दी नहीं लगी फेरे नहीं हुए।''

''अरे ये कैसे संभव हो गया तू इतने इत्मीनान से कैसे घूम रही है।''

''आज भी मेरी सास कहती है देवर की शादी होगी तो उसको हल्दी लगेगी तो तुझे भी हल्दी लगेगी बस वही इंतजार है।''

बीबीजी अब उसके आगे बोलने का इंतजार कर रही थी पर वो मौन आँखें बंद किये लंबे इंतजार में ......।



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