लरजते होंठ

लरजते होंठ

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फातिमा तुम कहाँ हो?


सपनों की दुनिया में खोये हुये तपन ने पूछा अपने आप से...


आप लोग सोच रहे होंगे कि या तो यह युवा होंगे या फिर किशोर... जी नहीं यह कहानी है एक 50साल के युवक और युवती की...


बहुत खराब लग रहा होगा कि कौन सी आयु के नायक और नायिका है... जी हाँ यही तो आयु है, किसी को चाहने कि जब आप बहुत मचयोर हो चुके होते हो... हर पूरी तरह से किसी के गुण दोष सही अपनाते हो...


चलिये अब कहानी की तरफ चलते है. फातिमा एक संगीत की टीचर तो तपन एक बैंक का मुलाजिम दोनो की मुलाकात किसी प्रोग्राम के दौरान हुई और बस एक दूसरे के हो कर रह गये.


धीरे धीरे बाते-मुलाकाते होती रही... अब एक दिन खुली हुई धूप में दोनो बैठे बसंत का खुशगवार मौसम हवा धीरे धीरे चल रही थी... कुल मिलाकर खुशगवार मौसम दोनों कुछ अधिक ही एक दूसरे की आंखों में डूब गये... तो जब की दूरियाँ बरकरार थी... तपन ने मन ही मन आज तो मैं इसके माथे पर बोसा जरूर लूगा...


बस दोनो हथेलियों से फातिमा का मुँह पकड कर जैसे ही चुमना चाहा, फतिमा के लरजते होंठ शरम लाज की गवाही दे गये...


तपन तो एकदम से मर मिटा और बोला, तुम एक दिन मेरी ही बनोगी और फातिमा धीरे से बुदबुदा उठी कि मैं हमेशा ही तेरी ही हूॅं और रहूगी...


अब दोनो मिलेगें या नही मिलेगे पर. एक खूबसूरत अहसास में जी तो रहे है और यही तो शायद, चाहत है...


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