लाली
लाली


लालिया सबसे प्यारा बैल हमारे परिवार का, इसके अलावा बुल्टू, ब्लाइया, चंदू और पीलिया।लालिया एक गठीला बैल। शांत ही रहता ज्यादातर। पर भिड़ने पर उतारू हो जाए तो किसी भी दूसरे बैल की हिम्मत नहीं है उस से टक्कर लेने की।
दिन में जब पेट भर घास चर लेता, हम लोगों के पास छांव में आ जाता, फिर बारी बारी से उसकी गर्दन सहलाते रहते, पर उसका मन नहीं भरता। आखिर थक कर उसको खदेड़ देते।
कुछ दिनों से लालिया चोरी से खेत में घुस कर फसल चरने लगा। सभी के लिए सिरदर्द बन गया। इतनी सफाई से गायब होता कि हम लोग लाख नजर रख कर भी, धोखा खा जाते। वो धीरे से बाकी जानवरो से अलग हो जाता अगर दिख गया तो हम लोग ज़ोर से चिलाते, लालिया वापिस आओ,वो चुपचाप वापिस आ जाता। थोड़ी देर में गायब। जब रोज़ डांट पड़ने लगी, तब हम लोगो ने उसके गले में घंटी बांध दी। फिर भी वो गर्दन एक दम सीधी रख कर गायब हो जाता। बुलटू और बलाइया काले रंग के है, चेहरे पर सफेद डिजाइन बनी हुई है। बुलटू के माथे के बीचों बीच एक सफेद बिंदा है। दोनों की मां फूलमा भी काली सफेद है।
चंदू, लालिए का छोटा भाई है, उसके माथे पर भी एक तिलक है। यह दोनों भूरी के बेटे है। भूरी एक दम भूरे रंग की है। दादी के मायके से आयी गाय की बेटी हैं। भूरी बहुत उत्पात करती है, दादी के अलावा कोई उसका दूध नहीं निकाल सकता।
फूलमा मां के मायके से आयी है। एक बार खाई में गिर पड़ी थी। तब से लंगड़ा कर चलती है।
पीलिया की मां लाली । पीलिया के सींग बड़े बड़े है, और गुस्सेल भी बहुत। एक बार मदन को उठा कर पटक दिया पीलिया ने। हलकी चोट लग गई थी मदन को,खूब रोया था।
लाली चाची के मायके से आयी है। सबसे सीधी, कोई बच्चा भी उसका दूध निकाल सकता है। हम लोगो के बाल चाट चाट कर स्पाइक बना देती है, मानो उसके बछड़े हो। और लाली हमारी मां। गौ माता।