लाल बत्ती
लाल बत्ती


"ससुरी एक शान थी,लाल बत्ती गाड़ी आई है!भाई, नेताजी आए हैं,ठाठ बनता था।रास्ता खाली हो जाता था।अब गाड़ी से लाल बत्ती हटवा दी,कहते हैं ऐतिहासिक और लोकतांत्रिक कदम है..,यह बताते हुए बनवारी बाबू ने मुंह बिचकाया और दूर तक पान की पिचकारी दे मारी। ...का है कि,. कि इससे आम लोग बहुत राहत महसूस करेंगे....!का जी,हम का लोगों की गटई दबाते थे,जो आम लोग सांसत में थे , जो अब राहत महसूस कर रहे हैं?"
"उ का है न,नेताजी,डरते - डरते ड्राइवर नंद किशोर बोला,आप के ऊपर ई बात मेल नहीं खाती,मगरदेश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार लालबत्ती के दुरुपयोग की शिकायतें सुनने में आ रही थीं ,इसीलिए इसको खत्म करने को लेकर लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच न गए?"
"अरे, तो ई तो 2013 की बात न है ? तब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि लालबत्ती के दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाएं,तब काहे नहीं देखे ?"
" मगर नेताजी हमको याद है, कि तब संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गाड़ियों पर ही लाल बत्ती होती थी और उसका भी इस्तेमाल सिर्फ तभी होता था जब वे ड्यूटी पर होते थे, मगर अब तो..।" नंदकिशोर सर खुजलाते हुए बोला।
"का रे,बहुत ज्ञानी हो गया तू, अब तो का.. ? किसको लाल बत्ती लगाने की अनुमति थी,रे ?" बनवारी बाबू ने अपने क्लफ लगे कुर्ते की सिलवट ठीक करते हुए तनिक गुस्से में पूछा।
"नेताजी,आप मानें या न माने देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश लगाना ज़रूरी था, इसलिए सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाडि़यों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया,यहां तक कि उनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री तथा सभी सरकारी अफसरों के वाहन शामिल हैं।"नंदकिशोर अपने ज्ञान का आज भरपूर इस्तेमाल करने पर आमादा था।सुबह-सुबह टीवी पर बहुत अच्छी तरह सुनकर आया था।
"छूटबुद्धी है रे तू, परन्तु कहता सही है ..। हम जनता के सेवक हैं इसलिए हम वी आई पी नहीं हैं,जनता वी आई पी है।केवल एंबुलेंस, फायर सर्विस जैसी आपात सेवाओं तथा पुलिस व सेना के अधिकारियों के वाहनों पर ही बत्ती रहनी चाहिए।मान गए तेरी और अपनी सरकार की बात। अब बोल खुश, अरे, तू खुश रहेगा तो हम खुश रहेंगे,न। जनता जनार्दन है, भाई, डेमोक्रेसी है।"