ला लोराना के आंसू
ला लोराना के आंसू
मेरा नाम डेविड है। मैं मैक्सिको के एक छोटे से शहर में अपने परिवार के साथ रहता हूं। मारिया, मेरी पत्नी से मेरा प्रेम विवाह हुआ था। मेरे माता-पिता इस विवाह के लिए राज़ी नहीं थे । इसलिए मैंने शादी के बाद अलग रहने का फैसला किया। पर कुछ सालों बाद मारिया की समझदारी, घर चलाने के हुनर को देख उनकी राय उसके बारे में बदल गई। और उन्होंने उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया।
आज हम सब एक खुशहाल परिवार की तरह रहते हैं।हालांकि मैं उनके साथ नहीं रह पाता क्योंकि मेरा ऑफिस उनके घर से 2 घंटे के रास्ते पर है। पर हर शनिवार हम उनसे मिलने ज़रूर जाते हैं। मेरे परिवार में मेरा 10 वर्ष का बेटा पीटर, 5 वर्ष की बिटिया सोफिया, और 5 महीने का छोटा सा नवजात शिशु ओलिवर है।
एक दिन मुझे मेरे पिताजी का फोन आया कि हमारी दादी की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई है ।और उनकी आखिरी इच्छा है कि हम सब उनके अंतिम समय में उनके पास रहें। वह मेरे छोटे बेटे और लीवर को भी देखना चाहती थीं।
मेरी दादी शहर से थोड़ा दूर बहुत ही सुंदर बंगले में रहती थीं। वह बंगला इसलिए सुंदर नहीं था कि वह बहुत आलीशान बना हुआ था। नहीं , वह एक छोटा सा बंगला था जिसमें बहुत साधारण सी सुविधाएं उपलब्ध थीं। वह बंगला सुंदर इसलिए था क्योंकि वह तीन तरफ से एक झील से घिरा हुआ था । वह बहुत ही सुंदर झील थी जिसे देख कर मन प्रफुल्लित हो उठता था। मेरे पिताजी दादी के साथ नहीं रह पाते थे क्योंकि शहर में उनकी अपनी दुकान थी। पिताजी ने बहुत कोशिश की कि दादी उनके पास आकर रहें पर दादी वह घर छोड़ने को तैयार ही नहीं थीं। उनका मन उसी घर में बसा हुआ था।
दादी की इच्छा की पूर्ति के लिए हमने यह फैसला लिया कि हम उनके पास जाकर रहेंगे। पिताजी ने दुकान का काम नौकरों पर छोड़ दिया और मैंने भी अपने ऑफिस से 1 महीने की छुट्टी ले ली। जब हम सब वहां पहुंचे तो दादी हमें देख कर बहुत खुश हुई। उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि हम सब उनके बुलाने पर आ गए। मेरे बच्चे पहली बार उन्हें मिल रहे थे। उन्होंने उन तीनों को बहुत प्यार किया और उनके लिए बहुत सारी मिठाईयां और चॉकलेट मंगवाई।
क्योंकि वह घर हम सबके लिए थोड़ा छोटा था इसलिए हम सबको किसी ना किसी तरह वहां पर एडजस्ट करना था। दादी ने सबके लिए इंतजाम कर रखे थे। उन्होंने बच्चों को कड़ी हिदायत दी कि कोई भी बिना मां बाप के झील पर घूमने नहीं जाएगा।
दो-तीन दिन बहुत ही आराम से गुज़र गए। बच्चों को उस बंगले में मज़ा आ रहा था। हालांकि रात को उन्हें वहां थोड़ा डर लगता था क्योंकि उन दोनों को बाहर हॉल में सोना पड़ता था। दादी की तबीयत दिन पर दिन ख़राब होती जा रही थी। हम सब बस यही दुआ कर रहे थे कि वह आराम से इस दुनिया को अलविदा कह सकें और उनकी जो भी ख्वाहिश है उसे हम उनके रहते पूरा कर पाएं।
मेरी बेटी सोफिया जब भी रात को बाथरूम जाने के लिए उठती है तो वह अपनी मां को आवाज़ देती है। उसे अकेले बाथरूम जाने से डर लगता है। उस रात भी जब वह उठी तो उसने अपनी मां को आवाज़ दी। हमारा कमरा ऊपर था इसलिए हमें उसकी आवाज सुनाई नहीं दी। जब सोफिया ने दो तीन बार आवाज़ दी और मारिया ने नहीं सुनी तो उसने एक बार चिल्ला कर उसे पुकारा।
तभी उसे दरवाज़े में से एक औरत आती नज़र आई । उसने सफेद रंग का गाउन पहन रखा था और अपने चेहरे को भी सफेद दुपट्टे से ढक रखा था। उसके काले लंबे घने बाल थे। सोफिया को उसका चेहरा ढंग से दिख नहीं रहा था। पर उसे देखकर सोफिया को बहुत अजीब लगा क्योंकि उसे यह अहसास था कि यह उसकी मां नहीं हो सकती। क्योंकि उसने बहुत अलग तरह के वस्त्र पहन रखे थे। वह औरत दरवाज़े के पास खड़ी होकर सुबकियां लेने लगी । सोफिया यह देख घबरा गई । वह उठकर उसके पास पहुंची। जैसे ही वह उस औरत के नज़दीक गई उस औरत ने अपने हाथों से अपने चेहरे पर ढ़के दुपट्टे को हटा दिया।
उसके चेहरे को देखते ही सोफिया घबरा गई। वह फर्श पर गिर गई। फिर वह भागकर अपने पलंग पर चढ़ गई और अपने आप को चद्दर से ढ़क लिया और खूब तेज़ चिल्लाने लगी। उसके चिल्लाने की आवाज़ से हम सब उठ गए। मैं और मारिया भागते हुए नीचे आए तो देखा कि उसने अपने आपको चद्दर से ढ़क रखा था और बुरी तरह से कांप रही थी। हमारे बहुत कहने के बाद उसने चद्दर हटाई।और अपनी मां से लिपट कर रोने लगी। थोड़ी देर बाद जब वह शांत हुई तब हमने उससे पूछा तो उसने सब कुछ हमें बताया। हमने थोड़ा सोचा और उसके बाद हमें ऐसा लगा कि शायद उसने कोई सपना देखा था। हमने उसे समझा बुझा कर सुला दिया। पर उस दिन के बाद सोफिया हॉल में नहीं सो पाई। वह हमारे साथ ही उस छोटे कमरे में नीचे फर्श पर बिस्तर बना कर सो जाती थी।
अब मेरा बेटा पीटर अकेले ही हॉल में सोने लगा । अंदर से शायद वह भी डरा हुआ था। पर बाहर से वह अपने आप को बहुत बहादुर दिखाता था। जब भी वह रात को सोता तो टेलीविज़न और लाइट ऑन करके सोता। एक रात जब वह गहरी नींद में सो रहा था तो अचानक कुत्तों के भौंकने की आवाज़ से वह उठ गया। वह यह देखकर हैरान हो गया कि लाइट और टेलीविज़न दोनों ही बंद थे। तभी उसे किसी महिला की रोने की आवाजें आने लगीं। पहले उसे लगा कि शायद दादी मां की तबीयत ज़्यादा खराब हो गई है और वह रो रहीं हैैं। तो वह दादी के कमरे में गया, पर वहां उसने देखा कि वह आराम से गहरी नींद में सो रही थीं।
वह वापस हॉल में अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया पर वह रोने की आवाज तेज़ होती जा रही थी । ऐसा लग रहा था कि कोई औरत बहुत घंटों से रो रही है। और अब उसका गला सूख चुका है। वह हिम्मत करके खिड़की के पास पहुंचा तो उसने महसूस किया कि वह आवाज़ उसके करीब आती जा रही है । वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करे। एक तरफ वह अंदर ही अंदर डर रहा था। डर के मारे कांप रहा था। और दूसरी तरफ वह अपनी बहादुर लड़के की छवि को खराब नहीं करना चाहता था। वह नहीं चाहता था कि कोई भी उसे डरपोक बुलाए। उसने सोचा कि उसे खिड़की से बाहर झांक कर देखना चाहिए शायद कोई महिला सच में तकलीफ में हो। जैसे ही उसने खिड़की खोली उसे उस महिला की आवाज़ें आने लगीं। वह महिला रो - रो कर बोल रही थी, ' मेरे बच्चों को बचाओ , मेरे बच्चों को बचाओ'। पीटर को लगा कि शायद उस महिला के बच्चे मुसीबत में हैं इसलिए वह रो कर मदद मांग रही है। पीटर ने पूरी खिड़की खोल जैसे ही अपना मुंह खिड़की से बाहर निकाला तो वह महिला उसके सामने आकर खड़ी हो गई । उसके भयानक स्वरूप को देखकर पीटर बुरी तरह डर गया और डर के मारे कांपने लगा। तभी उस महिला के अजीब से कंकाल के समान दिखने वाले हाथों ने पीटर के हाथ को कसकर जकड़ लिया। अब पीटर के पसीने छूट गए। वह कांपते हुए ज़ोर से चीखा। उसके चीखते ही उस औरत रूपी चुड़ैल की पकड़ कमज़ोर हो गई और पीटर ने उससे झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया और सरपट दौड़ कर हमारे कमरे में आ गया। उसने आकर ज़ोर से मुझे हिलाया। मैं घबरा कर उठा तो वह इतनी बुरी तरह कांप रहा था कि उससे बोला ही नहीं जा रहा था। वह हांफते हुए नीचे की तरफ इशारा कर रहा था। तब तक मारिया भी उठ गई। हम दोनों उसे लेकर नीचे पहुंचे पर वहां कुछ नहीं था।
पीटर अब थोड़ा डरा - डरा सा रहने लगा। वह अकेले कहीं भी घर में जाने से डरता था। बच्चों की ऐसी हालत देख मैं और मारिया थोड़ा परेशान हो गए। हमने अपने माता-पिता को सब कुछ बताया। मेरे माता-पिता भी थोड़ा परेशान हुए पर हम यह बात दादी को नहीं बता सकते थे। उनके इस अंतिम समय में हम सब उन्हें छोड़कर नहीं जा सकते थे।इसलिए हमने फैसला किया कि अब सब बच्चे हमारे ही कमरे में सोएंगे।
एक दिन मेरी पत्नी मारिया ने हमारे बेटे ओलिवर को पालने में खिड़की के पास लेटा रखा था। वह कमरे में कुछ काम कर रही थी। मैं नीचे हॉल में कुछ काम कर रहा था कि अचानक मुझे किसी महिला के रोने की आवाज सुनाई पड़ी। मैं उठकर किचन की तरफ गया तो वह आवाज़ और तेज़ हो गई। मैंने मारिया को आवाज़ लगाई। मारिया दौड़कर मेरे पास आई। मैंने उसे वह आवाज़ सुनने को कहा । उसने जब ध्यान से सुना तो उसे भी किसी महिला के रोने की आवाज़ें आ रही थी। पर अब वह आवाज़ हमसे दूर होती प्रतीत हो रही थी। और धीरे-धीरे वह आवाज़ आनी बंद हो गई।
तभी अचानक हमें अपने छोटे बेटे और ओलिवर के बहुत तेज़ रोने की आवाजें सुनाई दीं। हम बेसुध हो उस तरफ भागे । जैसे ही हमने कमरे का दरवाजा खोला तो सामने का दृश्य देख हमारा कलेजा मुंह को आ गया। हमारे बेटे के पालने के नज़दीक एक परछाईं दिखाई पड़ी। उस परछाई ने सफेद रंग का गाउन पहन रखा था। और उसका चेहरा भी सफेद रंग के दुपट्टे से थका हुआ था। उसने जैसे ही ओलिवर को उठाने के लिए हाथ बढ़ाया मारिया चीख पड़ी और भागकर उसने ओलिवर को अपनी गोद में उठा लिया। बिजली से भी तेज़ रफ्तार से वह परछाईं खिड़की से बाहर निकल गई । मैंने भागकर खिड़की बंद कर दी और हम दोनों छोटे से ओलिवर को चुप कराने में लग गए।
अब यह बात साफ हो चुकी थी कि उस घर में किसी ना किसी परछाईं का साया था। और जो कुछ भी सोफिया और पीटर ने हमें बताया वह सच था। हम सब बड़े लोग हॉल में इकट्ठा हो इस बात पर चर्चा कर रहे थे। पर पीटर और सोफिया इतना डर गए थे कि डर के मारे वह एक कोने में बैठे हुए थे । वह शायद अतीत में हुए अपने अनुभव को याद करके डर रहे थे। तभी मेरी मां ने बताया कि मेरे बचपन में जब वह इस मकान में रहते थे तब उनको भी ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ था। उस समय ला लोराना के किस्से बहुत प्रचलित थे। वह एक औरत की ऐसी परछाईं थी जो केवल बच्चों को उठाकर लेकर जाती थी। यदि कोई बच्चा उसके रोने की आवाज सुन उसकी तरफ बढ़ता था तो वह उस बच्चे को वहां से गायब कर देती थी।
मेरे पिताजी के अनुसार अब एक ही रास्ता था। हमें किसी ऐसे इंसान को बुलाना पड़ेगा जो ऐसी आत्माओं को कैद करने की शक्ति रखता है। मेरी मां की सहेली एक ऐसे अघोरी बाबा को जानती थी जिनके पास ऐसी असाधारण शक्ति थी। उन्होंने उसे हमारे घर बुला लिया।
जब वह अघोरी बाबा हमारे घर आए तो उन्हें देख हम सब कुछ वक्त के लिए डर गए। उनका हुलिया ही कुछ ऐसा था। उनके गले में धातु की बनी नर मुंड की माला लटकी थी। हाथ में चिमटा, कान में कुंडल और पूरे शरीर पर राख मल रखी थी। यह अघोरी बाबा पराशक्तियों को अपने वश में करने के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।
सब कुछ सुनने के बाद उन्होंने वहां एक छोटी सी तांत्रिक पूजा करने का उपाय सुझाया। उस पूजा में कुछ असाधारण सामान की आवश्यकता पड़ने वाली थी। जिसे देखकर शायद बच्चे डर जाए इसलिए बच्चों को दादी के कमरे में बैठा दिया गया । कुछ समय में उन्होंने अपना सारा सामान लगा लिया और तंत्र मंत्र विद्या प्रारंभ कर दी।
लगभग 1 घंटे के तंत्र मंत्र के बाद वहां एक अजीब सी शक्ति का एहसास होने लगा। हम सब डर कर एक दूसरे का हाथ पकड़ बैठे रहे ।तभी हमने देखा कि वह बाबा किसी अनदेखी शक्ति से बात कर रहे हैं। उन्होंने उस शक्ति को कई बार अपने पास बुलाने की कोशिश करी। पर वह नहीं आई । तब उन्होंने एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र का उपयोग किया ।
तभी बिजली से भी तेज रफ्तार से एक परछाई उनके सामने आकर खड़ी हो गई। वह परछाई ज़ोर - ज़ोर से चीख रही थी। हम सब उसे देख डर से कांपने लगे।उस बाबा ने उस परछाई को एक बोतल में आने को कहा। पर जब वह परछाई नहीं मानी तो उन्होंने एक मंत्र का उच्चारण किया जिससे वह परछाई तड़पने लगी और घर में इधर-उधर दौड़ने लगी। हम सब ने अपने आप को एक चद्दर के नीचे छुपा लिया। फिर उस बाबा ने अपने मंत्रों का उच्चारण और जोर से करना प्रारंभ कर दिया। कुछ समय बाद वह परछाईं उस बोतल में कैद हो गई।
उसकी बोतल में कैद होते ही मानो एक सन्नाटा छा गया। ऐसा लगा जैसे बहुत तेज़ तूफान आया हो और अब सब थम गया हो। अघोरी बाबा ने हमें बताया कि अब सब कुछ सही हो गया है अब वह परछाईं हमें कभी भी परेशान नहीं करेगी।
कुछ दिनों बाद दादी भी इस दुनिया से चलीं गईं। अब हम सबके भी वापस जाने का समय आ गया था। मेरे पिताजी ने दादी के उस घर को बेचने की बात करी। पर मेरी मां ने मना कर दिया । उन्होंने बोला कि हमें इस घर को बंद करके ऐसे ही रखना चाहिए। भले ही उस बाबा ने उस परछाई को बोतल में कैद कर लिया था। पर इस घर को किसी और को बेचकर हम किसी और को परेशानी में क्यों डालें।
हम वापस अपने घर पहुंच गए । कुछ दिनों तक पीटर और सोफिया डरे सहमे से रहते थे। वह उस घर में हुए अपने अनुभव को भुला नहीं पा रहे थे। पर जैसे कहते हैं कि वक्त सब कुछ भुला देता है। सारे ज़ख्म भर देता है।ऐसे ही धीरे-धीरे वक्त के साथ वह भी सब कुछ भूल गए और सब कुछ पहले की तरह सही हो गया।