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astha singhal

Children Stories Inspirational

4  

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हीरो कौन ?

हीरो कौन ?

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सक्षम को सुपर हीरो की फिल्में देखने का बहुत शौक था। अंग्रेजी की हर सुपर हीरो फिल्म उसने देख रखी थी। वह सुपर हीरो की दुनिया में कुछ इस कदर खो गया था कि उसे ही असल दुनिया मानने लगा था। 

उसके माता पिता उसे बहुत समझाते थे कि ये सब केवल नाटक है। असल दुनिया में कोई सुपर हीरो नहीं होता है। पर सक्षम को समझ ही नहीं आता था। उसे लगता था कि जिस तरह फिल्मों में मुसीबत के समय सुपर हीरो आकर सबकी जान बचाते हैं, ऐसे ही असल ज़िंदगी में भी यदि वह कभी मुसीबत में फंस गया तो कोई ना कोई सुपर हीरो आकर उसकी जान बचा लेगा। 

एक बार वह अपने माता पिता के साथ अपने मामाजी के पास बैंगलुरू घूमने गया। उसके मामाजी का बेटा वेदांत उससे एक साल छोटा था। उसकी वेदांत से बहुत पटती थी। वेदांत ने उसे अपने सभी दोस्तों से मिलवाया। वेदांत ये जानकर बहुत हैरान हो गया कि सक्षम सुपर हीरो से इतना अधिक प्रभावित है कि हर समय उन्हीं की बातें करता है। 

"भाई, ये सब फिल्में सिर्फ़ मनोरंजन के लिए होती हैं। असल में कोई सुपर हीरो नहीं होता। बल्कि मेरे पापा कहते हैं कि हम सब अपनी ज़िंदगी के हीरो हैं। तू भी इन चीज़ों को दिमाग से निकाल दे।" वेदांत ने सक्षम को समझाते हुए कहा।

"तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ कि सुपर हीरो होते हैं। और मुझे यकीन है कि किसी दिन मैं मुसीबत में हुआ तो वहीं मुझे बचाने आएंगे।" सक्षम ने दृढ़ता से कहा। 

कुछ दिन बाद सब मिलकर महाबलीपुरम घूमने गए। वहां के समुद्र बहुत खूबसूरत होते हैं। सबने सुबह मिलकर समुद्र किनारे खूब मस्ती की। सक्षम के मामाजी सक्षम और वेदांत का हाथ पकड़ समुद्र की लहरों को चीरते हुए उन दोनों को थोड़ा और गहराई में ले गये। सक्षम और गहराई में जाना चाहता था पर उसके मामाजी ने मना कर दिया।

सब जब वापस लौट रहे थे तो सक्षम मौका देखकर समुद्र की तरफ भाग गया। वह धीरे-धीरे समुद्र के अंदर जाने का प्रयास कर रहा था कि अचानक एक बहुत बड़ी लहर उठी और सक्षम अपना संतुलन खो बैठा। वह उस लहर के साथ अंदर जाने लगा। मुसीबत देखते ही उसने अपने सभी सुपर हीरो को पुकारा, 'आयरन मैन, स्पाइडर मैन, कैप्टन अमेरिका, हल्क, शक्तिमान" पर कोई उसे बचाने नहीं आ रहा था। तभी वेदांत ने उसकी आवाज़ सुनी और वह भाग कर वहां पहुंचा। सक्षम को डूबते देख उसने फटाफट एक बहुत लम्बी रस्सी सक्षम की तरफ फैंकते हुए चिल्लाकर कहा, "भाई इस रस्सी को पकड़ और उल्टे हो जा।" 

सक्षम ने झट से रस्सी पकड़ ली और उल्टे हो गया जिससे पानी का बहाव उसे नीचे नहीं ले जा पा रहा था। उधर, वेदांत ने अपनी पूरी ताकत लगा कर रस्सी को खींचना आरंभ किया। धीरे- धीरे सक्षम खिंचता हुआ ऊपर आने लगा। तभी उसके मामाजी और माता पिता वहां आ गए। उन्होंने भी रस्सी को खींचना शुरू किया। कुछ पलों की मेहनत के बाद सक्षम को बाहर निकाल लिया गया। 

पानी से बाहर आते ही सक्षम बेहोश हो गया। जब उसे होश आया तो वह रिसोर्ट के अस्पताल में था। 

"सॉरी मम्मी, मैं आगे से ऐसा नहीं करुंगा।" सक्षम ने रोते हुए कहा।

"बेटा, आज वेदांत की सूझबूझ और हिम्मत ने तुम्हें बचा लिया।" उसकी माँ ने उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा। 

"सच में मम्मी, मैंने तो उम्मीद छोड़ दी थी और अपने सुपर हीरो को पुकारने लगा था।" 

"बेटा, हम सब में हीरो मौजूद है। असली हीरो‌ वह होता है जो मुसीबत के समय अपने दिमाग से काम ले और हिम्मत रखे। असली हीरो‌ तो वेदांत है। जिसने तुरंत अपने दिमाग का इस्तेमाल किया।" सक्षम के पिताजी बोले। 

"थैंक्स वेदांत, आज से तू मेरा असली हीरो‌ है भाई। मैं समझ गया कि सुपर हीरो असल ज़िंदगी में नहीं होते। वह तो केवल कल्पना हैं। असल‌ जीवन में तो हम ही हीरो हैं।" सक्षम ने कहा।

सब हँस पड़े और सक्षम को साथ ले घर चल दिए।


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