astha singhal

Comedy Romance

4.5  

astha singhal

Comedy Romance

वैलेंटाइन डे स्पेशल

वैलेंटाइन डे स्पेशल

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तो बहनों और भाइयों ये बात है एक सुहानी सुबह कीवेलेंटाइन डे था पहुंच गए हम फूल वाले के यहां एक बड़ा सा, वजनदार गुलदस्ता बनवाने ऐसा है ना गर्लफ्रेंड को तब तक मज़ा नहीं आता जब तक गुलदस्ते का वजन ज़्यादा ना हो और हमारी जेब का वजन कम ना हो।

तो हम साहब, फूल चुनने में व्यस्त थे। इतनी वेरायटी थी वहां फूलों की तभी कुछ खुसर-फुसर सुनाई पड़ी अबे! ये क्या? फूलों के अलग-अलग गुलदस्ते आपस में लड़ रहे थे कैट फाइट और टॉपिक ऑफ वॉर थे हम। शर्तें लग रहीं थीं हम पर पांचसो से लेकर हज़ार तक की आजतक, हमारे पापा ने हम पर एक रुपए की शर्त ना लगाई और यहां देखो, सब इस बात पर बहस कर रहे थे कि हम किस महंगे गुलदस्ते पर हाथ रखेंगे।

गुलाब चौड़े में बोला कि आज वेलेंटाइन डे है तो ज़ाहिर सी बात है हम गुलाबों से भरे हसीन गुलदस्ते को ही उठाएंगेतभी डहलिया का पुष्प बोला अरे! इसकी इतनी औकात नज़र नहीं आ रही कि ये गुलाब का गुलदस्ता चुने लेना होता तो अब तक ले कर निकल चुका होता। यूं दुकान में घूम-घूम कर सबके प्राइज़ टैग नहीं देखता कसम से दिल तो किया तोप के गोले से उड़ा दूं उसको पर क्या करूं कह तो सच ही रहा था

तभी डेज़ी और लिलिके फूल बोले कि ऐसा है तो हमें ले जाओ। हम तो बहुत सस्ते हैं इसपर सूरजमुखी और लैवेंडर हंसते हुए बोले सफेद रंग शांति और अमन का प्रतीक होता हैउसे अपनी गर्लफ्रेंड को गुलदस्ता देना है पत्नी को नहीं क्या बात है!!! मतलब फूल हम इंसानों से ज़्यादा समझदार होते हैं।

तभी ऑर्किड और आइरिस के फूल गुलाब को चिढ़ाते हुए बोले, अरे! गुलाब तो अब आउट ऑफ फैशन हो गया है हर बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को गुलाब ही देता है अब तो हम दोनों का ज़माना है इंसानों ने जब से मंगल ग्रह पर सबसे पहले अपनी सेटेलाइट भेजी है तब से कुछ नया ट्राई करने से घबराते नहीं हैं।

उनकी बातों में दम था भाईसाहब! मैं तुरंत उनके गुलदस्ते के पास पहुंचा। ना भाई, ये भी हैसियत से बाहर है। ट्रैंडिंग चीज़ें कौन सी सस्ती होती हैं।

तभी गुलदाउदी के फूल की आवाज़ आई जेब में पैसे कम हैं तो हमें ले लोहम भी दिखने में सुंदर और टिकाऊ हैं लो भाई, टिकाऊ का क्या मतलब है ना तू क्या गुलाब से ज़्यादा दिन ज़िंदा रहेगादो दिन में तूने भी सिर फैंक ही देना है फिर भी सोचा ट्राई करता हूं। खुशबू नहीं थी इतनी बढ़िया एक तो गर्लफ्रेंड को गुलदाउदी जैसा मोटा फूलों का गुलदस्ता दूं और ऊपर से खुशबू भी इतनी नहीं होगी तो मुंह पर मारेगी यही गुलदस्ता वो मेरे।

इतने में सूरजमुखी और गेंदे के फूलों की हंसने की आवाज़ें आईं हम स इसकी औकात से बाहर हैं भाईलोग ये कुछ नहीं खरीदेगा हमें भी खरीदने की हैसियत नहीं है इसकी। इतनी झंड ज़िन्दगी में कभी नहीं हुई दिल किया सीता माता की तरह धरती फटे और उसमें समा जाऊं।

फिर मेरे इंसानी दिमाग में एक ज़ोरदार आइडिया आया मैंने दुकानदार को पटाया और उसे रंग-बिरंगे फूलों का गुलदस्ता बनाने को कहा दुकानदार ने दो गुलाब दो-तीन ऑर्किडतीन-चार केना और आइरिस, तीन-चार पोस्ता और अलमंडा, दो सूरजमुखी दो गेंदे, दो तारक दो लेवैंडर और दो-तीन रजनीगंधा के फूलों को इकट्ठा कर एक खूबसूरत रंग-बिरंगा, भिन्न-भिन्न खुशबुओं से महकता गुलदस्ता बना दिया। 500-600 रुपए में उस दुकान के लगभग सारे फूल मेरे गुलदस्ते में सुसज्जित थे।

मैंने उन्हें हाथ में पकड़ कर दुकान के सभी फूलों की तरफ देखा और शान से अपना कॉलर ऊंचा करते हुए कहा हमसे पंगा मत लेना तुम सब मेरी मुठ्ठी में आ गएबस फिर क्या था तालियों और सीटियों की आवाज़ थम ही नहीं रही थी। जितनी खुशी वहां मिली उतनी तो गर्लफ्रेंड को गुलदस्ता देते हुए नहीं मिली।

अब समझे आप सब। पुष्प की भी अभिलाषाएं और‌ इच्छाएं होती हैं जनाब पर उनकी इच्छा पूरी करने के लिए अपनी जेब का ध्यान ज़रुर रखिएगा। वरना इसे कटने से कोई नहीं रोक सकता। बाकी, जैसी जिसकी सोच।


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