Chanchal Chauhan

Abstract Fantasy

4.5  

Chanchal Chauhan

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कुम्हार के मिट्टी के मानव

कुम्हार के मिट्टी के मानव

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एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसकी एक पत्नी दो बच्चें थे। एक दिन उनके घर पर एक महात्मा जी आये।

 उन्होंने महात्मा जी को भोजन कराया। महात्मा जी उनकी सेवा से बड़े पसन्न हुये। महात्मा जी ने उस किसान का हाथ देखा। उस किसान का नाम धर्मपाल था। जैसे ही उसका हाथ देखा वह महात्मा जी चौंक गये।

धर्मपाल बोला क्या बात है ? उधर धर्मपाल की पत्नी बोली क्या हुआ महात्मा जी? महात्मा जी गहरी सोच में पढ़ जाते हैं।

महात्मा जी कहते हैं, " सात दिन के बाद तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी ठीक बारह बजकर बारह मिनट बारह सेकण्ड पर"। यह सुनकर ही धर्मपाल के होश उड़ गए, उसकी पत्नी घबराकर रोने लगी।

महात्मा जी बोले, 'बेटी चुप हो जाओ, तुम्हने मेरी सेवा की है,मैं एक उपाय बताता हूँ, जिससे तुम्हारे पति के प्राण बच सकते हैं। " किसान की पत्नी ने कहा हां, "महात्मा जी बताइये। "

भगवान ने एक ही सूरत के आठ मानव बनाये हैं, अगर तुम्हारे पति जैसी शक्ल के मिट्टी के पुतले बना दे तो काम हो सकता है।। महात्मा जी ने कहा ,"अगर कोई कुम्हार मिल जाये वो मिट्टी की मूरत बना दे तो जो मैंने समय बताया है।

उस समय पर उन मिट्टी की मूरत के पास खड़े हो जाना सांस भी ना लेना। यमराज वापस चले जायेगे। महात्मा जी चले जाते हैं।

इतने में धर्मपाल का मित्र आता है, कैसे उदास बैठें हो। धर्मपाल सारी बात बताता है। उसका मित्र कहता है वह भी तो कुम्हार हूँ मैं बनाऊंगा दिनरात मेंहनत करूगा।

वह मिट्टी की सात मूरत बना देता है वो दिन भी आ जाता हैं। जब बारह बजकर बारह मिनट बारह सेकण्ड हो जाते हैं, तभी यमराज आते है वह एक शक्ल के आठ आदमी देखकर चकरा जाते हैं।

समय निकल जाता है, यमराज जी वहां से चले जाते हैं उस किसान के प्राण बच जाते हैं। एक मित्र ने अपनी मित्रता निभाई।


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