Chanchal Chauhan

Abstract Tragedy

4.5  

Chanchal Chauhan

Abstract Tragedy

जीवों पर दया करो

जीवों पर दया करो

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मुनष्य ही एक ऐसा प्राणी हैं, ज़ो अपनी इच्छा से जी सकता है जो उसका मन हो वो कर सकता है। जिसका रहने को अपना घर हैं, जो उसे धूप, ठण्ड, पाले,बरसा से बचाता हैं, और वह आराम से रह सके। उन जानवरों के बारे सोचों जो ठण्ड पाले में तेज बारिश में भी भीगते रहतें हैं, वे कितना कष्ट सहते हैं। कैसे जीवन व्यतीत करते हैं। आजकल एक समस्या बड़ी हो रही है गाय के जीव बड़े दुखी है। लोग उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं, वे जिस खेत में चले जाते हैं लोग उन्हें डण्डा मारकर भगा देते हैं।

किसी के तो घाव हो जाता हैं कोई उनकी मरहम पट्टी नहीं करता और उनको चोट पहुंचाते हैं। वे कितनी पीड़ा सहते हैं। गांव के अंदर आते है रात में दिन बरसात में सब रोटी तो कोई नहीं देता डण्डा मारकर भगा देते हैं। जो लोग इन जीवों को दर दर ठोकर खाने को छोड़ देते हैं कभी उनके दुख को समझे उन्हें एक टाइम का चारा कम दे दे पर उन्हें इतनी पीड़ा सहने के लिए ना छोड़े। वे पालतु पशु है जंगली जानवर नहीं उनको भी डर लगता है। उन पर दया करो किसी जीव को सुख नहीं दे सकते उनको दुख ना दे। कोई भी जीव हो उसकी चोट पर मरहम लगाये उसे और घाव ना दे। गौ माता की सेवा करे, उसे डण्डे से ना मारे उनमें भी जान होती है उनको भी तकलीफ होती है।


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