Chanchal Chauhan

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कर्मफल और महात्मा शाक्ति

कर्मफल और महात्मा शाक्ति

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एक गांव में एक किसान और उसकी पत्नी रहती थी.उनके दो बच्चे थे.वह किसान बहुत ही सज्जन था.उसकी पत्नी का सुसीला था.एक दिन उनके गांव में एक महात्मा और उनके चेले गांव से बाहर एक नीम के पेड़ के नीचे रुके.उनके चेले गांव में भिक्षा मांगने के लिए आए. गांव वालों ने उन्हें भिक्षा दे दी.उन्होंने कुछ दिनों के लिए वहीं ठहरने का निश्चय किया .वही पर ही ढेरा डाल लिया.अगले दूसरे दिन जब गांव में वह भिक्षा मांगने के लिए आए तो किसी ने उन्हें भिक्षा नहीं दी.बस एक उस गरीब किसान को छोड़कर, वे वापिस अपने डेरे पर चले गए. उस दिन भिक्षा बहुत ही कम मिली थी .उनका उससे पेट नहीं भर पाता.जब वे गांव चले गए , तो कुछ लोग उस गरीब किसान के घर आए और उससे और उसकी पत्नी से कहने लगे, तुमने उन महात्मा को भिक्षा क्यों दी बे कल भी आए थे,आज भी आ गए. क्या पता वे चोर हो, साधु का भेष बनाकर आए हो.उस गरीब आदमी ने कहा भिक्षा देना हमारा धर्म है, कोई जरूरी नहीं है कि वह चोर ही हो, उन्होंने हमारा कुछ चुराया थोड़ी है.भिक्षा ही तो मांग रहे है.वे वहां से चले जाते हैं. किसान और उसकी पत्नी दोनों उन महात्मा के पास चले जाते जहाँ पर वे रुके हुए थे और उनको रात का भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं. उनको पता था इनका ठीक से पेट नहीं भरा होगा भूखे होंगे.महात्मा जी कह देते हैं ठीक है, हम आ जाएंगे .रात हो जाती हैं, महात्मा जी उनके घर पर पहुंच जाते हैं.गांव वालों को पता चल जाता है, गांव वाले पुलिस थाने में उस गरीब किसान महात्मा की शिकायत दर्ज करा देते हैं .पुलिस वाले किसान के घर पर आ जाते हैं, महात्मा न आधा ही भोजन किया था तभी वे सिपाही उनको पकड़ कर ले जाने लगते हैं.वह किसान और उसकी पत्नी उनको रोकते हैं इन्होंने क्या किया है ,क्या जुर्म है जो इन को पकड़ कर ले जा रहे हो.पुलिस वाले कहता है, "यह चोर है साधु का भेष बनाकर आए हैं."उस किसान की पत्नी कहती है, "कोई जरूरी थोड़ी है यह चोर ही है ,इन्होंने कुछ चुराया भी तो नहीं आप फिर गांव वाले की बातों में क्यों आ रहे हो? यह तो ऐसे ही बोल रहे हैं."तभी गांव के कुछ लोग भी वहीं पर खड़े होते हैं . वह कहते हैं, "चुप रहो हमें सब पता है ,तुम दोनों भी इनसे मिले हुए हो . "उन सिपाहियों से कहते हैं, "इनको भी पकड़ के ले जाओ पुलिस वाले उस किसान और उसकी पत्नी की बात पर यकीन नहीं करते और महात्मा को और सुशीला के पति को जेल खाने में ले जाकर बंद कर देते हैं .सुशीला बहुत ही गरीब होती हैं,बस दो बिगह जमीन होती हैं उसका पति मेंहनत मजदूरी करके घर चलाता था.उसके पास इतने पैसे नहीं होते वह उनको जाकर छुड़ा लाए और उस गांव में कोई सवारी चलती नहीं थी ,वह कहीं जा सके.उसका मायका भी 8 किलोमीटर दूरी पर था, गांव में कोई उसे सहारा देने वाला नहीं था.वह सुबह को फिर गांव वालों के घर जाती हैं, उन से विनती करती उनके हाथ जोड़ती हैं ,आप मेरे पति को छुड़ा लाओ और उन महात्मा को भी मेरे पति मेहनत मजदूरी कर कर कमा के लाते हैं, वही हम खाते हैं ,मेरे बच्चे भूखे रह जाएंगे.वे महात्मा चोर नहीं है ,मेरा यकीन करो.गांव वालों के आगे बहुत गिरगिराती हैं, उन गाँव वालों ने उसकी एक भी ना सुनी, वह बेचारी रोती बिलखती वापस अपने घर आ जाती हैं.चार दिन बीत गए उसके घर में खाने को भी कुछ ना रहा बहुत उदास दुखी थी.पाचवां दिन था सुबह से दोपहर हो गया, शाम का पहर भी बीत गया रात हो गई, बस सोचती रही क्या करूं मायके कैसे जाऊं.उस समय फोन नहीं चलते थे वह फोन पर सूचना दे सके.वह सोच रही थी वह कैसे जाये बच्चों को घर अकेले कैसै छोड़े साथ भी नहीं ले जा सकती, आधी रात हो गई सोचते फिर उसने ठान लिया मुझे कल घर के लिए निकलना है, बच्चों को भी साथ लेकर जाना हैं.सुबह के 4:00 बज चुके थे उसने अपनी बच्चीं को उठाया , जो 5 साल की थी, छोटा बच्चा 2 साल का लड़की को बिस्किट खिला दिए, उस बच्चों को दूध पिला दिया और 4:30 बजे घर से निकल गई , तब थोड़ा अंधेरा था, गांव के बाहर एक झोपड़ी थी .उस झोपड़ी में रुक गई ,सवेरा होने पर वह वहां से निकल गई. उसकी गोद में बच्चा लड़की पैदल थी. थोड़ी दूर चली तो मां मेरे पैर दुखने लगे.उसने लड़की को भी गोद में उठा लिया.एक दो किलोमीटर तक चली वह थक गई .उसने थोड़ा आराम किया.छोटी बच्ची कहने लगी माँ थोड़ी देर तक पैदल चलूगी आप थक गई हो. वह बच्ची थोड़ी दूर तक चली फिर थक गई.लड़की को भी गोद में उठा लिया वह चार किलोमीटर तक पहुँच गई. वह बहुत थक गई,फिर उसनें बच्ची को पेट से बांध लिया, बच्चें को गोद में ले लिया ,रास्ता भी कच्चा ही था, वह जंगल के रास्ते निकल रही थी, कि वह जल्दी पहुंच जाएं, उसकी रास्ते में चप्पल भी टूट गई और जंगल में कुछ खेत झाड़ियों भी थे, उनमें काटें थे उसके पैरों में कांटा चुभ गया.उसके पैरों से खून निकलने लगा.वह 10 मिनट के लिए बैठ गई उसका बच्चा रोने लगा उसको दूध पिलाया, फिर से वे उठी उसे अपने पति की याद आई और हिम्मत करके आगे बढ़ने लगी.वह 6 किलोमीटर दूरी पर पहुंच गई 2 किलोमीटर शेष रह गया था ,तभी उनके गांव का एक आदमी मिला जो बैलगाड़ी लिए खेतों से घर जा रहा था .उस आदमी ने उसे कहा , "बेटी तू पैदल कैसे बैठ जा, तू अकेले कैसे आ रही है ?तेरा पति कहां है? "वह रोने लगी उसने उनको सारी बात बताई ,उस आदमी ने उसको बिठा लिया उसके बच्चे को भी और उसे घर ही छोड़ कर आ गया.उसकी मां घर से बाहर निकल के आए तो देखा उसकी बेटी आई हैं,उसकी मां उसे बड़ी खुश हुई पर सुशीला की आंखों में आंसू थे.वह देखकर उदास भी हो गई क्या हुआ बेटी और जमाई जी कहां है? इतना सुनकर ही वह रोने लगी सुशीला की मां ने कहा, "बेटी तू क्यों रो रही है ?क्या बात है फिर सुशील अपनी मां से सारी बात बताती हैं.उसकी मां कहती है, "बेटी तू चिंता मत कर और पहले कुछ खा पी ली मैं तेरे भाई से बोलूंगी वह तेरे साथ चला जाएगा और छुड़ाकर ले आएगा अभी जरा वो बाहर गया हुआ है.सुशीला का भाई बाहर से आ जाता है.सुशीला की मां उसको सारी बात बताती हैं, वह सुशीला के साथ जाने को तैयार हो जाता है.सुशीला तभी जाने को कहती हैं उसकी मां मना कर देती है, कल चले जाना तो थक गई है,बहुत समय भी बहुत हो गया है रात हो जायेगी.कल सुबह ही निकल जाना सुबह होते ही सुशीला और उसका भाई निकल जाते हैं, वह सीधे थाने में जाते हैं और उसके पति को महात्मा जी को छुड़ाकर ले आते हैं.सुशीला और उसका पति भाई घर आ जाते हैं और बे महात्मा जी वापस नीम के पेड़ के नीचे चले जाते हैं .जहां उनका डेरा था, गांव वालों को पता चल जाता है.गावं वाले वही पहुंचाते हैं ,जहां महात्मा जी होते हैं और उनसे कहते हैं तुम वापस क्यों आ गए ,पुलिस वालों ने तो तुम्हें छोड़ दिया ,हम नहीं छोड़ेंगे और उनको एक पत्थर से मारने लगते हैं.महात्मा कहते हैं , "हम यहां से चले जाएंगे हम अपना सामान ही लेने आए हैं, गांव वाले उनकी एक नहीं सुनते और उन पर पत्थर बरसाने लगते हैं ,उनके शरीर से खून निकलने लगता है.सुशीला और उसके पति को पता चल जाता है, वे दोनों भागते हुए गांव से बाहर आते हैं और उन गांव वालों को रोकने की कोशिश करते हैं ,पर गांव वालों ने उनकी एक ना सुनते हैं ,उन पर एक ईंट ,पत्थर, डण्डे मारने लगते हैं.महात्मा जी को क्रोध आ जाता है, वे गांव वालों को श्राप दे देते हैं. महात्मा जी कहते हैं, "तुम कभी सुखी नहीं रहोगे अंन्न जल को तरसोगे,गांव में अकाल पड़ जाएगा., तुम्हें कभी आराम नहीं मिलेगा ,तुम्हारे मन को शांति नहीं मिलेगी और सिर्फ एक घर छोड़कर सुशीला और उसके पति के घर में ही हरियाली होगी, सब कुछ होगा इतना कहते ही महात्मा जी समाधि ले लेते हैं.गांव में अकाल पड़ जाता है, खाने को अन्न नहीं रहता पीने को जल नदिया, कुए सब सूख जाते है, सब में सूखा पड़ जाता है. बस उस किसान के घर में ही हरियाली रहती हैं और उसके घर कुए पानी से भरे होते हैं.उनको महात्मा जी ने चार कटोरे दिये थे., एक भोजन का एक खीर का एक पैसों का एक मिठाइयों का वह उन गांव बालों को बांट रहे थे,पर जो लोग पापी थे जैसे भी भोजन को हाथ लगाते थे वह गायब हो जाता था ,जल पीने को होते थे जल गायब हो जाता था.वह भूख प्यास से तड़प रहे थे, उन्होंने गांव से बाहर जाने की कोशिश भी की पर जहां महात्मा जी का डेरा था,उससे आगे नहीं निकल पाते थे.उनका पैर वही जम जाता था.वह तड़प तड़प कर वही गांव में मर गए और उनके जो पत्नियां बच्चे थे जो बूढ़े बुजुर्ग थे वे गाँव छोड़कर चले गए. पूरा गांव खाली हो गया .बस सुशीला और उसका पति ही उसके बच्चे रह गए. समय बीतता चला गया 10 साल हो चुके थे.दो लड़कियां रास्ता भटकते हुए उस गांव में पहुंच गई, देखा तो वहां पर सब सूखा था.वह गांव के अंदर जाने लगे तो उन्हें कोई नहीं दिखाई दिया वह हैरान थी और कुछ घर के दरवाजे खुले हुए थे, वहां जाकर आवाज लगाई कोई नहीं बोला ,वह घर साफ-सुथरे पड़े हुए थे.वह आगे बढ़ने लगी उन्हें एक घर दिखाई दिया जहां पर हरे भरे पेड़ पौधे फुलवारी लगी हुए थी. हरियाली छाई हुई थी.वह उस घर के दरवाजे पर पहुंचाती हैं दरवाजा अपने आप ही खुल जाता है .वह दोनों घबरा जाती हैं.सुशीला अंदर से ही आवाज लगाती हैं, आ जाओ डरो नहीं,वह दरवाजे पर खड़ी रहती हैं, सुशीला घर से बाहर आती है ,दरवाजे को खोलती हैं.सुशीला कहती है, "डरो मत मैं कोई भूत नहीं हूं मुझे तुम्हारे आने की आहट से पता चल गया था, कोई है तुम दोनों आपस में बात कर रही थी . वह दोनों अंदर आ जाती है, सुशीला उनको जलपान भोजन कराती हैं. सुशीला कहती है , "बेटी तुम दोनों यहां कैसे आई इस गाँव में तो कोई नहीं आता.वे दोनों लड़कियां कहती हैं , "हम पिकनिक पर आए थे जंगल में वहां पर एक शेर आ गया शेर से डर कर इधर-उधर हो गए, हम भागते भागते गांव की ओर आ गई ." सुशीला कहती है, "अच्छा फिकर मत करो बेटी तुम कहां की हो वे दोनों बता देती हैं, मेरे पति छोड़ आयेगे."उनमें से एक लड़की कहती है, "हमें यहां आते हुए बड़ी हैरानी हुई गांव से बाहर सूखा पड़ा है और गांव में कोई हमें एक आदमी भी दिखाई नहीं दिया, एक बच्चा भी और कुछ घरों के दरवाजे खुले हुए थे और साफ-सुथरे एक घर पर हमने जाकर भी देखा हमने आवाज भी लगाई कोई नहीं बोला, बस आपके घर पर ही हरियाली ही थी क्या इस गाँव में कोई नहीं रहता."सुशीला कहती हैं , "हां बस मैं और मेरे पति बच्चे ही रहते हैं 10 साल पुरानी बात है यहां पर एक महात्मा जी आए थे, लोगों ने उनका बहुत अपमान किया."सुशीला उनको सारी बात बताती हैं, तो वह लड़की कहती है , "किसी ने उनके उद्धार के लिए कुछ नहीं किया."सुशीला कहती है, "मेरे पति मैंने बहुत कोशिश की उनकी आत्मा को शांति मिले मुक्त कर दिया जाए पर किसी इस महात्मा से पूछते हैं, तो वह कह देते हैं उन्होंने बहुत बड़ा पाप किया है यह इसके भागी है."वह लड़की कहती है, "मेरे गुरु जी बहुत बड़े ज्ञानी है मैं उनसे बात करती हूं, कि मेरे सपने में आते हैं ."इतने में सुशीला का पति भी आ जाता है, बच्चें भी आ जाते हैं.उसके पति कहता है , "कौन है यह? उसकी पत्नी सब कुछ बता देती हैं रात हो जाती हैं .उस लड़की को सपने में गुरु जी दिखाई देते हैं.वह उन गुरुजी से समस्या बताती हैं ,तो उसके गुरु कहते हैं, "तुम उन महात्मा के पास ही जाना बेटी उनका उद्धार कर सकते हैं, उनको मुक्ति दे सकते हैं. वे महात्मा मरे नहीं है ,उन्होंने समाधि ली थी वे वहीं पर रहते हैं, उस लड़की का सपना टूट जाता है, उसकी आंखें खुल जाती हैं.सुबह हो जाती हैं, वह सबको सपने के बारे में बताती हैं.वह सुबह को महात्मा के ढेंरे पर जाती हैं, और सच्चे मन से और हाथ जोड़ कर उनका ध्यान करती हैं, तो भी उस लड़के को दिखाई देती हैं और उससे बात करते हैं ,वह उनको प्रणाम करती हैं.वह लड़की कहती हैं, "आप बड़े हो आपका हृदय बड़ा है कृपा करके इन्हें मुक्ति प्रदान करें .अगर कोई बुरा है ,तो हम भी उनकी तरह बुरा थोड़ी बने उनको माफ करना सीखे,उनपर पर दया करें.उस लड़की की बातें सुनकर महात्मा जी बहुत प्रसन्न होते हैं, उसको आशीर्वाद देते हैं और उसको एक कमंडल देते हैं, उसमें जल होता है .वह साधु कहते हैं, "इसका कमंडल का जल को गांव में गांव के बाहर और घर में छिड़क देना सब ठीक हो जाएगा.सब में हरियाली छा जाएगी.उनकी आत्मा भटक रही है मुक्त हो जाएगी और में पेड़ पौधे बन जाएंगे.गांव में हरियाली और गांव के वातावरण को स्वच्छ साफ रखेंगे.वह लड़की ऐसा ही करती हैं, गांव के कोने-कोने घर में जाकर जल छिड़क छोड़ देती है.पहले की तरह सब ठीक हो जाता है यह बात सब गांव के उन लोगों को भी पता चल जाती है, जो गांव छोड़ कर गए थे वहीं गांव में वापस आ जाते हैं और खुशी-खुशी गांव में रहने लगते हैं.


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