कुछ नहीं
कुछ नहीं


अगला कदम... "
कुछ नहीं ... अब बस...!
जीवन का सबसे खूबसूरत समय बिता दिया रात दिन की आपाधापी में, ना खाने का पता, ना सोने का, शरीर जब जवान होता है तो सब झेल जाता है, लेकिन जैसे ही ढलान पर आता है तो एकदम से गिरने का भय, सताता है और तब पता चलता है कि चढ़ते वक्त हमने क्या गलती की थी ...!
इसलिए अब, ठहर कर खुद को वापस पाना है,
देखना है ..आस पास चारो ओर कुदरत ने क्या क्या बिखेरा है, उन नजारो को आंखों से समेटना है, यूं ही बात बेबात मुस्कुराना है...!