scorpio net

Abstract

4.5  

scorpio net

Abstract

कृष्ण विवर

कृष्ण विवर

5 mins
260


 " मैं बड़ा हो कर फुटबॉल खिलाड़ी बनूँगा, ताकि मैं बहुत सारे पैसे कमा सकूँ और अपने लिए ढेर सारी टॉफ़ी ख़रीद सकूँ " आदित्य ने क्लास के सामने अपनी ये बात कही और इतना सुनते ही टीचर ने कहा ' बहुत अच्छा, आदित्य!!!, अपनी सीट पर बैठ जाओ और अब रितेश की बारी है रितेश रितेश "- टीचर ने रितेश को आवाज़ लगायी, पर वो अपनी कॉपी में कुछ लिख रहा है और उसे देख कर ऐसा लग रहा है मानो की उसने कुछ सुना ही नहीं, वो बीएस कुछ लिखता जा रहा है अपनी कॉपी में और उसमे ही खोया हुआ है।

तभी टीचर, एक चॉक के टुकड़े से रितेश की तरफ निशाना करते है और चॉक उसकी तरफ़ फेंकते हैं चॉक उसकी कॉपी पर गिरता है और रितेश चौंक कर खड़ा हो जाता है अपनी जग़ह पर  टीचर उससे बोलते हैं की वो पूरी क्लास को अपनी रिपोर्ट सुनाये, जिसमें सभी को ये बताना है की वे भविष्य में क्या बनना चाहते हैं अब रितेश अपनी रिपोर्ट को सुनाने लगता है क्लास में, वो बोलता है की " वो दुनिया का पहला ऐसा इंसान बनना चाहता है, जो ख़ुद को टेलिपोर्ट कर सके ",- इतना सुनते ही पूरी क्लास हसने लगती है रितेश पर टीचर फिर रितेश से पूछते हैं की वो टेलिपोर्ट शब्द का मतलब बताये, इसपे रितेश का ज़वाब होता है की,- "आज भी एक जग़ह से दूसरी जग़ह पर क्वांटम सूचनाओं को भेजा जा सकता है, बहुत  शक्तिशाली कंप्यूटर को इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है, पर हमेशा ये सफ़ल नहीं होता है,

और ऐसी मशीनें भी बनाई जा सकती हैं जिनसे इंसानों को एक जग़ह से दूसरी जग़ह टेलिपोर्ट किया जा सके वो भी पलक झपकते " उसके टीचर ने उसे बीच में ही टोक कर कहा - " अगर तुमने ऐसा कुछ बना लिया, जो की कभी बना नहीं सकोगे मुझे मालूम है तो तुम ", रितेश ने तभी अपने टीचर की बात को बिना पूरा सुने ही बहुत धीरे से कहा की -"मैंने वो मशीन बना ली है, मतलब अभी बना रहा हूँ अपने गेराज में। ", " हाँ, जैसे तुमने उड़ने वाली गाड़ी बनायीं थी और उससे लैब में आग लगा दी थी,"- टीचर ने रितेश पर व्यंग करते हुए कहा

" अब मैं उस आईडिया पे काम नहीं कर रहा सर,"- रितेश अपने बचाव में कहा।

"ठीक है, कल फिर से पूरी रिपोर्ट बना कर लाना वही चीज़ लिखना जो वास्तव में हो सकती हो आम इंसानों से भी, या जो आम इंसान भी कर सकें "- टीचर ने रितेश आदेश देते हुए दूसरे बच्चे विनोद को आवाज़ लगाया जो सबसे पीछे बैठा हुआ था और आगे आते हुए जब वो रितेश के सीट के पास से गुज़रा तो उसने देखा की रितेश अपनी कॉपी में कुछ अलग फॉर्मूला लिख रहा है और साथ में एक अज़ीब से ड्राइंग भी उसकी कॉपी में ये सब देखते हुए विनोद आगे जाता है और तभी " टन टन टन टन, ये तो छुट्टी का घंटा है।

छुट्टी हो गए है और सभी स्टूडेंट्स बिना देर किए अपना अपना बैग ले कर क्लास से ऐसे ग़ायब हो गए हैं, जैसे गधे के सर से सिंह ग़ायब होता है और टीचर भी धीरे से क्लास से निकल जाते है सारे बच्चों के जाने के बाद

रितेश अभी बस 12 साल का ही है पर उसका दिमाग़ एक वैज्ञानिक की तरह चलता है। वो लोगों से बहुत कम बात करता है, बस दिन भर अपनी कॉपी में कुछ ना कुछ लिखता रहता है और रात को घर के पीछे बने पुराने कमरे में कुछ ना कुछ बनाता रहता है।

विनोद, अपने भाईयों में सबसे छोटा है इसलिए बड़े भाई किसी ना किसी बात पर उसको मारते -पीटते रहते हैं मौका पा कर आज उसका भाई उसे पीट ही रहा था की उसकी माँ आ गई, फिर तो बड़े की जो पिटाई हुई, पूछो ही मत अपने छोटे भाई को पीटने का अंजाम ऐसा होगा उसने कभी नहीं सोचा होगा।

विनोद की माँ ने कहा, " देखो बेटा बाहर क्या शोर हो रहा है ?, इतना सुनते ही विनोद हाथ में एक रॉड ले कर बाहर आ गया क्योंकि उसको कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही थी उसने देखा की कुछ कुत्ते एक गाड़ी के पास हैं और भौंक रहे हैं, विनोद ने तभी अपना डंडा चलाया और वहाँ से कुत्तों को भगाया और देखा की गाड़ी में कोई है, जिसने अपना मुँह अच्छी तरह से ढका हुआ है,  

अपने बचाव के लिए डंडे को हाथ में उठा क्र उस गाड़ी में बैठे नकाबपोश को नक़ाब हटाने के लिए कहता है, पर ये क्या ? ये तो रितेश है, पर ये नक़ाब लगा कर यहाँ क्या कर रहा है - बात सोचता ही है की, रितेश उससे कहता है की, विनोद उसकी मदद करे, क्योंकि रितेश को एक पावर कनवर्टर चाहिए और सिर्फ विनोद ही है जो कर सकता है क्योकि विनोद के पिता का गाड़ी के पार्ट्स बेचने का बिज़नस है, पर विनोद रितेश के सामने एक शर्त रखता है की रितेश उसे अपनी मशीन दिखायेगा और रितेश मान जाता है।

दोनों पावर कनवर्टर ले कर रितेश के घर के पीछे जाते हैं, रितेश उस पावर कनवर्टर से अपनी मशीनको जोड़ता है जो चीज़ों को टेलिपोर्ट करने के लिए बनाई गए थी एक छोटे स्तर पर, उस मशीन के ऊपर एक छोटी खिलौना गाड़ी रखी

हुई है जो टेलिपोर्ट होगी,   

और विनोद से कहता है की कान बंद कर के वो पीछे हठ जाये और रितेश मशीन चला देता है। अचानक से सभी चीज़े कम्पन करने लगती हैं, लोगों के घरों की बिजली जलने बुझने लगती है और कुछ देर थम जाता है सब, और उस खिलौना कार की जगह कुछ मिट्टी दिखाई देती है। विनोद इस प्रयोग को देख कर है और, आश्चर्य में पूछता है की ये मिट्टी कहाँ से आ गयी, और रितेश जवाब देता है की वहीं से आई है ये मिट्टी जहाँ खिलौना कार गई है, इतने बात कर ही रहे होते है दोनों की, दोनों को अहसाह होता है की दोनों हवा में कुछ ऊपर उठ से गए हैं, और तभी रितेश कहता है की,

"लगता है मेरे इस प्रयोग की वजह से पृथ्वी ब्लैकहोल ( कृष्ण विवर ) बन गया है। दोनों हवा में उड़ते हुए उस काली गुफा नुमा जहाँ से रोशनी भी वापस नहीं आ सकती वहाँ हमेशा के लिए खो जाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract