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Abstract Inspirational

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हमारा कल - बीमार या स्वस्थ ?

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ये कहानी प्रोम्प्ट नंबर 1 के लिए लिखी जा रही है।


"देखो, यार आज भी सूर्य को गुस्सा आ गया है। ना जाने किस बात पर गुस्सा है आज ?", जुपिटर ने सभी ग्रहों की ओर देख कर कहा.....

" हाँ, यार, देखो ये आज भी बहुत गुस्सा है, दिन पर दिन चिड़चिड़ा होता जा रहा है, आज कल हमारे साथ खेलता भी नहीं और ना ही ठीक से बात करता है, गुस्से में ये तो अब हम सभी पर अपना सामान भी फेंकता है , और इसी कारण बुध को सर में चोट भी लग गई कल....." शनि ने कहा।

" यार, अब तो मुझे डर लगने लगा है सूर्य भाई से, मैं तो अब घर में भी उनसे बात नहीं करती, पिछली बार डॉक्टर ने बताया की भाई को डिप्रेशन हो गया है, इसलिए उनका व्यवहार ऐसा हो गया है, अगर समय रहते हुए ठीक नहीं हुई उनकी हालत तो बहुत नुकसान होगा ", दुखी होते हुए बहन पृथ्वी ने अपने भाई के बारे में सबसे कहा।


आज बगीचे से घर लौटते हुए सूर्य भी अपनी बहन के साथ घर आ रहा था, पृथ्वी चुलबुली सी है इसलिए थोड़ा खिलवाड़ करते हुए सड़क पर चल रही थी, तभी भाई सूर्य ने उसको मना किया और गुस्से में कहा की ठीक से चलो, पर बहन छोटी सी है अभी उसमें समझ कितनी है, उसने भाई की बात को अनसुना कर दिया और फिर खिलवाड़ करते हुए चलने लगी।

अब तो, भाई सूर्य का पारा और गरम हो गया, वो तो वैसे ही डिप्रेशन में है और तो और उसकी बहन ने उसकी बात नहीं मानी, ऐसे कैसे बात नहीं मानी, बड़े भाई की बात नहीं मानी, उसने तुंरत गुस्से में बहन पृथ्वी को ज़ोरदार थप्पड़ मारा, तो वो तुरंत सड़क पर गिर पड़ी और तभी सूर्य ने सड़क पर पड़े पत्थर को उठा लिया बहन को मारने के लिए, पर तभी शनि वहाँ पहुंच गया और उसने सूर्य से उस पत्थर को छीन लिया और सूर्य को प्यार से समझाया की वो उसकी छोटी बहन है और वो उसको मार क्यों रहा है ?

शनि की बात सुन कर सूर्य वहाँ से चला गया तुरंत और शनि, छोटी बहन पृथ्वी को घर पहुंचाया और डॉक्टर को फ़ोन कर के उसके चोट की मरहम पट्टी कराई और फिर सूर्य को ढूंढने निकल पड़ा, और उसको ढूंढते हुए एक जंगल में पहुँचा, जहाँ सूर्य अकेले बैठा हुआ था, शनि धीरे से उसके पास पहुँचा और उसके कंधे पर हाथ रखा, और सूर्य ने पलट कर उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों में पानी था, उसको अपने किये पर पछतावा था की उसने अपनी छोटी बहन पर हाथ उठाया था, और जब शनि ने सूर्य से उसके डिप्रेशन का कारण पूछा तो जो कारण सूर्य ने बताया उसको सुन कर शनि के होश ही उड़ गए, सूर्य ने बताया की वो अपनी बहन के साथ हो रहे मनुष्यों के व्यवहार के कारण वो बहुत आहत है, उसने आगे कहा की कैसे मनुष्य अपनी भोग विलासिता को पूरा करने के लिए पृथ्वी के संसाधनों का मनमाने तरह से दोहन कर रहे हैं.....जिस से पृथ्वी की हालत दिन पर दिन ख़राब होती जा रही है।

जैसे एक भाई अपनी बहन के लिए परेशान है और सब कुछ ठीक करना चाहता है, अब हमारी ज़िम्मेदारी है की हम भी अपना कर्त्तव्य निभाए की पृथ्वी हमारी भी माँ जैसी है, हमारी ज़िम्मेदारी है की हम भी इस पृथ्वी की रक्षा करें।



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