कन्या भ्रुण हत्या घोर पाप
कन्या भ्रुण हत्या घोर पाप


एक अच्छे घराने में दया की शादी हो गई। माँ-बाप थे नहीं। चाचा चाची ने पला था। बस शादी के बाद सुसराल ही उसका मायका हो गया था। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि एक दिन उसकी खुशी दोगुनी हो गई जब उसको पता चला कि वह माँ बनाने वाली है। पति और सास भी खुश हो गए कि अब घर का चिराग आने वाला है उस की सास सारा दिन पोते के पैदा होने की बात करती जैसे लड़का ही जन्म लेगा इसी खुशी में अपनी बहू को आशीर्वाद के लिए एक पंडित के पास ले जाती है। जो कहता है कि यह कन्या को जन्म देने वाली है।
यह सुनकर उसकी सास कि बहू एक कन्या को जन्म देगी जिसको सुनकर सास क्रोधित हो जाती है। घर आते ही उसके व्यवहार में बदलाव आ जाता है और वो अपनी बहू को कुछ मिलाकर खाने- पीने में दे देती है जिससे उसका बच्चा गिर जाता है इसी तरह हर बार सास डोंगी पंडित के पास ले जाती है। वह कहता है कि फिर से कन्या पैदा होगी और सास फिर से उसका बच्चा गिर देती है जिसके कारण दया मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से पीड़ित हो कर अब दया काफी कमजोर हो चुकी थी। पति भी ध्यान नहींं देता था बस उसके लिए पत्नी जरूरत का सामान थीं।
इस से अधिक दया की जरूरत नहींं थी मायका रहा नहींं था। जीवन सास और डोंगी पंडित के चक्कर में नरक बन चुका था शादी के दस साल से अधिक हो गए थे बच्चा पैदा होने से पहले ही सास और पंडित की बलि चढ़ जाता था इस बार फिर उसके जीवन में एक नई किरण दिखाई दी और फिर सास और पंडित की भविष्यवाणी से बलि चढ़ने ही वाली थी कि उसने इस बार सोच लिया था कि मैं अपने बच्चे को किसी की बलि नहीं चढ़ने दूँगी चाहे कुछ भी हो जाए और सास को अच्छी तरह पहचाने लगी थी बस इस बार घर छोड़ कर दूर चली आई। घर से दूर एक अलग शहर और अकेली और पेट में एक जान लेकर जीवन था। अपनी जिंदगी को फिर से जीने की लालसा के साथ छोटा सा काम भी पैसों के लिए बहुत था।
ईश्वर ने उसका साथ दिया उसकी एक अस्पताल में मरीजों को देखने की नौकरी मिल गई। उसी अस्पताल में उसने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। अब माँ अपनी नन्ही सी परी के साथ जिंदगी का सहारा बन गए थे। बच्ची थोड़ी बड़ी हुई तो स्कूल में दाखिला करा दिया और जिम्मेदारी के साथ अस्पताल और घर चलाती गई। अस्पताल में सब दया को सम्मान देते दया सभी मरीजों की दिल से सेवा करती उसका व्यवहार सब के लिए अच्छा होता था। बेटी भी अब थोड़ी बड़ी हो गई थी कि एक दिन अचानक उसकी मुलाकात एक गरीब बीमार बुढ़िया से हुई।
जिसकी आवाज भी ठीक से समझ नहींं आ रही थी और शक्ल भी बुढ़ापे में कुछ अंजनी पहचानी सी लग रही थीं। जब उसने अस्पताल के कागज पर नाम देखा तो पहचान गई। तब उसको पता चला कि यह मेरी सास है। तब उसकी सास ने अपनी बीती बताई कि मेरे बेटे की दूसरी शादी के बाद उसकी नई बहू और बेटे ने घर से निकाल दिया था और तब समझ आया कि बेटे से अच्छी तो बेटी को जन्म देती और जिस बेटी को बहू बनाकर लाई थी उसकी कोख को पोते की चाहा में डोंगी पंडित के करण उजड़ती रही। उसकी बहू एक दिन घर से चली गईं और अच्छा ही हुआ नहींं तो वो एक दिन मेरी वजह से मर ही जाती। मैं औरत हो कर भी कन्या भ्रूर्ण करती रही। कभी नहींं सोचा कि लड़का और लड़की में क्या भेद है अगर बेटी न होगी तो बेटा-बेटी को जन्म कौन देता। अब मेरा तो कोई भी नहींं है माजी की आखों से आंसू बह रहे थे तभी दया ने माजी की आंखों से आंसू पूछते हुए कहा कि माजी मैं आपकी बहू दया हूँ तभी एक दस बारह साल की बच्ची ने कहा कि माँ मैंने दादी की सब बातें सुन ली है अब दादी हमारे साथ रहेगी यह सुनकर दादी ने अपनी पोती का हाथ जोर से पकड़ लिया जैसे कोई छोटा बच्चा डर से पकड़ लेता है।
यह कहानी नहीं सच्चाई है हमें समझना चाहिए कि बेटी दो घरों को रोशन करती है आज भी लोग बेटे के पैदा होने की खुशी बेटी से अधिक क्यों मनाते है बेटियां बेटों से कम नहीं है बेटियां बेटों से अधिक शिक्षित हो रही है हर क्षेत्र में बेटियां आगे बढ़ रही है पर बहू से अपेक्षा की जाती है कि बेटा पैदा करे और इसके पीछे महिलाओं की अपेक्षा अधिक होती है चाहे अमीर- गरीब कोई भी क्यों न हो सबको बेटे की चाहा रहती है पर सच बेटी ही जीवन का आधार है। बेटी ही संसार है बेटी बिना जीवन अधूरा है। दर्द और तकलीफ में बेटी ही सबसे पहले खड़ी नजर आती है।
कन्या भ्रुण हत्या पाप है पाप नहींं महापाप है। इसी तरह लोग नहीं समझे तो एक दिन इस धरती पर बेटी का जन्म न के बराबर हो जाएगा। तब बेटों के लिए बहू कहा से आएगी और वंश कैसे चलेगा। कन्या भ्रूर्ण हत्या को हमें ही रोकना होगा। इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी हम महिलाओं की है कानून के डर से नहीं। आत्मा की आवाज सुने। बेटी घर का उजाला और सुसराल को रोशन करती है समझे और समझाए कन्या भ्रूर्ण हत्या पर रोक मेरी और आपकी पहली पहल होगी वादा करो जीवन वो देगा जिंदगी हम बचाएंगे। अपनी नन्ही सी परी को शिक्षा के माध्यम से खूब पढ़ाएगे। आसमान का तारा बनाएंगे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को सिद्ध करे।