Mitali Sharma

Abstract Classics Inspirational

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Mitali Sharma

Abstract Classics Inspirational

*.....कमी तो सब में होती है.....*

*.....कमी तो सब में होती है.....*

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' आकाश ' घर में सबसे छोटा और समझदार लड़का था। वह केवल घर में ही नहीं बल्कि पूरे गांव में सबसे छोटा था अर्थात उसकी लंबाई,कद बहुत छोटी थी इसलिए पूरे गांव वाले उसे बौना कहकर बुलाते थे। बचपन से ही आकाश पढ़ाई में बहुत तेज था लेकिन सभी उसको उसके बौने होने पर बहुत चिढ़ाते थे इसलिए उसने कॉलेज जाना ही बंद कर दिया, पर दिक्कत केवल बाहर ही नहीं था, घर में भी सब उसे कोसते थे भाई -भाभी, माँ -बाप सब ,क्योंकि बौने होने की वजह से उसको कहीं काम नहीं मिल रहा था ना सरकारी और ना प्राइवेट और मजदूरी वो करना नहीं चाहता था क्योंकि वो पढ़ा लिखा था।पर पैसों की परेशानी होने की वजह से उसके पिता उसे रोज डांटते थे, कभी-कभी तो उसे अनाज का दुश्मन भी बोल देते थे और शायद यह उनकी गलती नहीं थी बल्कि मजबूरी थी क्योंकि हर मध्यमवर्ग परिवार में घर खर्च से लेकर मामूली सा खर्च भी सोच समझ कर किया जाता है, पर आकाश भी सही था। धीरे-धीरे साल बीतता गया, आकाश ने ग्रेजुएशन भी कर लिया, घरवालों ने सोचा कि अकेले हैं तो इसको कमाने का मन नहीं कर रहा शायद! परिवार आ जाए तो जिम्मेदारियां सर पर पड़ेगी तब कमाने जाएगा, यह सोच उन्होंने आकाश की शादी तय करवा दी। तिलक के दिन सभी बहुत खुश थे चारों और चहल- पहल थी पूरा गांव और परिवार मौजूद था, बस दूल्हे की कमी थी पंडित जी ने दूल्हे को बुलाया, दूल्हे को देखते ही लड़की वालों ने शादी तोड़ दिया और वहां से चले गए।

यह सब देख कर फिर से सभी आकाश को ताने मारने लगे, पता नहीं और कितना बेइज्जत होना पड़ेगा इसकी वजह से...बौना कही का.... कहीं जाकर मर भी नहीं जाता बोलते हुए उसके पिता भी चले गए। लोगों के ताने सुन सुनकर आकाश मन ही मन हार गया और उसने आत्महत्या करने का सोचा और चल पड़ा गांव के पास वाले नदी के पुल पर, जैसे ही उसने छलांग लगाने के लिए कदम उठाया कि किसी ने जोर से उसे पटक दिया। आकाश जमीन पर गिर गया ,वह उठने की कोशिश ही कर रहा था कि किसी व्यक्ति की परछाई सी दिखी.. धूप तेज होने की वजह से आकाश उसका चेहरा नहीं देख पाया लेकिन देखने में वह बिल्कुल आकाश की कद -काठी का ही था। आकाश ने उठने के लिए उससे हाथ मांगा तो वह पीछे हटते हुए बोला इतनी सारी कमियां है और उसके लिए इतनी आसान मौत, यह सुन आकाश बोला मेरे मे सिर्फ एक कमी है कि मैं बौना हूं .. मेरा कद छोटा है बस और कुछ नहीं... वह व्यक्ति मुस्कुराता हुआ बोला अच्छा... तो तुम इस एक कमी की वजह से अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए चले आए। आकाश गुस्से में बोला तुम्हें क्या पता कि मैंने इस कमी की वजह से कितना कुछ सहा है, सुना है ,बोलना बहुत आसान है पर जिस पर पड़ती है वही जानता है। वह व्यक्ति हंसता हुआ बोला, तुम लोगो की बात क्यों सुनते हो? तुम अपनी सुनो, क्या तुम इसे ठीक कर सकते हो? आकाश झिझकता हुआ बोला नहीं.... भला यह मैं कैसे ठीक कर सकता हूं यह तो भगवान की देन है और इसे कोई भी ठीक नहीं कर सकता ये मुझे पता है। वो व्यक्ति फिर हंसता हुआ बोला तो फिर सच को स्वीकार क्यों नहीं करते? क्यों भागते हो ? क्यों डरते हो ?

क्यों लोगों से छुपते हो? जो सच है उसे स्वीकार करो और कमी तो सब में होती हैं किसी की दिखती है तो किसी की नहीं दिखती ,तुम बौने हो इसमें तुम्हारी गलती नहीं है, तो तुम अपने आप को किस गलती की सजा दे रहे हो? आकाश चुप था... वह व्यक्ति फिर हंसता हुआ बोला खुद को इतना बुद्धिमान कहते हो तो क्या यह नहीं पता कि एक व्यक्ति की पहचान , उसकी इज्जत उसके नाम या कद से नहीं उसके पद से होती है, आकाश सोचते हुए बोला पर मेरे पास तो कोई पद भी नहीं है वह व्यक्ति बोला, पद ऐसे ही नहीं मिलती उसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और भागवत गीता में भी लिखा है ''तुम उसके लिए क्यों परेशान हो जो तुम्हारे पास नहीं है उसके लिए मेहनत करो जो तुम्हारे पास है'' अर्थात तुम अपना कद नहीं बढ़ा सकते क्योंकि वह तुम्हारे हाथ में नहीं है पर पद तो बना सकते हो क्योंकि तुम्हारे पास ज्ञान और विद्या है तो उस पर मेहनत करो। यह सुन आकाश खुश हुआ और इससे पहले वह कुछ कहता कि किसी गांव वाले ने आकाश को ताना मारते हुए कहां ,ओह! बौने मुझे तो लगा कि लोग सच कहते हैं कि जिसकी कद छोटी होती है उसके पास बुद्धि बहुत होती है पर मैं तो यहां कुछ और ही देख रहा हूं तेरी बुद्धि भी छोटी ही है तभी तो अकेले पुल पर लेट कर ना जाने क्या बड़बड़ा रहा है, आकाश गुस्सा होते हुए बोला तुम्हारी आंखें खराब है क्या यह सामने खड़ा व्यक्ति तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा? गांव वाला हंसते हुए चला गया.. आकाश उठकर चारों ओर देखने लगा आखिर वह व्यक्ति कौन था? कहां गया ? इससे पहले आकाश कुछ सोचता उसकी नजर पुल के किनारे पड़ी, जहां काई लगी थी। उसे देखकर आकाश समझ गया कि उस काई की वजह से उसका पैर फिसल गया था और वह जमीन पर गिर गया और वो व्यक्ति वह उसकी ही अंतरात्मा थी, पर जो भी था आकाश खुश था और शायद अब उसको सही रास्ता मिल गया था और कहते है ना जो लोग वास्तव में कुछ करना चाहते हैं उन्हें रास्ता मिल ही जाता है लेकिन जो लोग कुछ करना ही नहीं चाहते वे बहाना खोज लेते हैं।


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