जिंदगी अनमोल है या अभिशाप, निर्भर करता है क्या सोचते हैं आप
जिंदगी अनमोल है या अभिशाप, निर्भर करता है क्या सोचते हैं आप
जीवन या जिंदगी बहुत ही विचित्र शब्द है। इसमें पूरा ब्रह्मांड समाया है, चाहे फिर वह जीव हो या मनुष्य सबके लिए यह एक ही है। जिंदगी एक बार ही मिलती है और कहा जाता है कि मनुष्य की जिंदगी तो बहुत मुश्किल से या बहुत पुण्य के बाद मिलती है। लेकिन इस जिंदगी को अनमोल समझो या अभिशाप, पुण्य समझो या पाप यह केवल आप पर निर्भर करता है। आप जैसे समझेंगे जिंदगी वैसी होगी क्योंकि जिंदगी आपकी है।
जीवन वह पहिया है जो कभी रुकता नहीं, वैसे जीवन और समय में ज्यादा अंतर नहीं क्योंकि दोनों ही निरंतर बीतते रहते हैं। फिर चाहे अच्छा हो या बुरा यह बदलाव जारी रहता है। कभी खुशी और सुकून मिलता है तो कभी दु:ख और परेशानी, लेकिन यह पहिया घूमता रहता है क्योंकि इसी का नाम जिंदगी है। जिंदगी की परिभाषा बताना शायद बहुत मुश्किल है, एक शब्द में तो कभी नहीं बयां कर सकते, क्योंकि कहने के लिए जिंदगी एक शब्द है पर समझने या समझाने के लिए पूरा जीवन कम पड़ जाता है। कहते हैं जिंदगी एक बार मिलती है और जब इसका अंत होता है तो दोबारा भी मिलती है बस फर्क इतना होता है कि इस बार एक नए अवतार में , एक नए सिरे से शुरू होती है, शायद फिर वह अवतार किसी और योनि में हो, इसलिए कहते हैं ''मानुष जीवन सुखी जीवन''। वैसे सबके लिए जिंदगी की परिभाषा अलग-अलग है, जैसे किसी को यह अनमोल धन या रत्न लगता है तो किसी को अभिशाप या नर्क लगता है लेकिन सच तो यह है कि जिंदगी एक बहुत ही सुंदर झूठ है।
हां! यह एक बहुत ही सुंदर झूठ है, जिसकी सच्चाई सभी को पता है फिर भी मनुष्य अंजान बने रहते हैं और ना जाने कितने मनोरथ का चिंतन करते रहते हैं। हालांकि जिंदगी एक मीठा और सुंदर झूठ है पर यह कड़वी सच्चाई भी है, जो बताती है कि अंत तो होना है इस जिंदगी का और सुंदर झूठ यह है कि अगला जीवन या जिंदगी आपका इंतजार कर रही है। बस इसी सच और झूठ में पूरा जीवन बीत जाता है पर लोगों को एहसास नहीं होता। कोई अधिक धन के घमंड में चूर है तो कोई उसके ना होने से दु:खों से भरपूर है लेकिन जानते हुए भी कोई यह नहीं मानते कि जीवन के अंत में तो सब को एक ही जगह जाना है, यह केवल शरीर है जो दु:खी हो रहा है। इस सुख- दुख में ना जाने कितने लोग अपने जीवन के महत्व को भूल जाते हैं , लोग भूल जाते हैं कि मनुष्य का जीवन कितना कठिन और दुर्लभ है। वह उसे ऐसे ही व्यर्थ कर देते हैं।
कबीर दास जी ने भी अपने दोहे में कहा है'' *दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारंबार, तरुवर जयो पत्ता झड़े, बहुरि ना लागे डार ''* इस दोहे में भी मनुष्य के जीवन की दुर्लभता की गहराई बताई गई है। इसके बाद भी अगर कोई नहीं समझता तो यह उसकी मूर्खता है।
किसी दूसरे व्यक्ति के लिए अपना जीवन कुर्बान करना उचित नहीं। क्योंकि इस जीवन पर सिर्फ आपका हक नहीं, इस जीवन पर ना जाने कितनों के एहसान है, ना जाने कितनों का पुण्य है और कितनों की मन्नतें है। दुख- परेशानी तो सबके जीवन में आती है क्योंकि सुख और दु:ख एक सिक्के के दो पहलू हैं, जहां सुख होगा, वहां दु:ख भी होगा और जहां दु:ख होगा वहां सुख भी होगा इसलिए सुख-दु:ख के बारे में बिना सोचे निरंतर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। किन्ही परेशानियों से दु:खी होकर रुकना नहीं चाहिए क्योंकि चलने का नाम ही जिंदगी है , औऱ हम तभी तक जीवित है जब तक यह चल रही है जहाँ रुकी, वहीं सब खत्म और हमारी पहचान सिर्फ एक मृत देह (मुर्दे) की।