..... जिम्मेदारी......
..... जिम्मेदारी......
गौरी अपने कक्षा की सबसे तेज और बुद्धिमान लड़की थी । वही दूसरी ओर मोहन कक्षा का सबसे शरारती लड़का था । वह गौरी को हमेशा नीचा दिखाना चाहता था, एक दिन मास्टर जी ने कक्षा की जिम्मेदारी गौरी को दे दी और वह कहीं चले गए । यह बात मोहन को अच्छी नहीं लगी, उसने गौरी को मास्टर जी के नजरों में गिराने को सोचा और मौके की तलाश में जुट गया । जब लंच की घंटी बजी सब बाहर जाने लगे, गौरी के मना करने के बावजूद उसकी सहेली उसे कैंटीन लेकर चली गई । लंच खत्म होते ही सारे बच्चे कक्षा में आ गए, बच्चों के साथ-साथ मास्टर जी भी आ गए । लेकिन मास्टर जी कक्षा की ऐसी हालत देखकर दंग रह गए, और चिल्लाते हुए बोले, "यह सब किसने किया है?"
सब देखकर हैरान थे कि कक्षा में अचानक इतनी गंदगी कैसे फैल गई? मास्टर जी ने देखा कि गौरी कक्षा में नहीं है । उन्होंने गौरी को बुलाया, गौरी कक्षा की ऐसी दुर्दशा देखकर हैरान हो गई और मास्टर जी से माफी मांगने लगी । मास्टर जी ने गौरी से पूछा "क्या यह सब तुमने किया है?" इसके पहले गौरी कुछ बोलती मोहन बोला, "हां !मास्टर जी, इसी ने किया है, मैंने देखा था इसको, यही कैंटीन गई थी और वहां का कचरा लाकर कक्षा में फैला दिया", लेकिन गौरी शांत थी । मास्टर जी बोले, "गौरी क्या तुम कुछ बोलोगी?" मोहन हंसता हुआ बोला, "अब यह क्या बोलेगी? इसकी चोरी जो पकड़ी गई , अब आप देर मत कीजिए इसकी गलती की सजा इसको दे दीजिए ।" मास्टर जी बोले "हां! शायद तुम सही बोल रहे हो इसलिए गलती की सजा तो मिलना ही चाहिए ।" मोहन खुश था, मास्टर जी ने बोला "चलो मोहन अभी........ इसी वक्त.... अकेले... और जल्दी से पूरी कक्षा ... साफ करो।" सब यह सुनकर हैरान थे, मास्टर जी ने बोला... "हां! सही सुना तुमने.. मैंने मोहन की सारी करतूत देख ली थी कि कैसे इसने सब के जाने के बाद क्या किया? लेकिन गौरी.... तुम चुप क्यों थी? तुम चाहती तो सबको बता सकती थी कि तुमने कुछ नहीं किया... फिर भी तुमने कुछ नहीं बोला बल्कि माफी मांगी क्यों?" "मास्टर जी क्योंकि कक्षा की जिम्मेदारी मेरी थी । लेकिन मैं अपनी जिम्मेदारी छोड़कर बाहर चली गई इसलिए कहीं ना कहीं यह गलती मेरी भी थी ।" मास्टर जी गौरी के बातों से खुश हुए ,उसे शाबाशी दी और मोहन को सजा, कहते हैं कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह उस गड्ढे में खुद ही गिर जाता है इसलिए कभी भी दूसरों के लिए बुरा नहीं सोचना चाहिए वरना खुद के साथ बुरा होता है । इसलिए सच्चे बनो, अच्छे बनो, अच्छा सोचो और अच्छा करो, आपका भविष्य अपने आप अच्छा होगा ।