Jyotsana Singh

Romance Inspirational

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Jyotsana Singh

Romance Inspirational

कलाकार

कलाकार

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“स्कार्फ़ पर आधा चेहरा और उड़ते हुए फ़ेदर बना कर तुम अपनी पेंटिंग में क्या बताना चाहती हो?”

“तुम क्या सुनना चाहते हो?”

“वही जो सोच कर तुमने बनाया है !”

“तुमको क्या लगा देख कर के? पहले वह बताओ।”

“हाँ, वही डरी-सहमी औरत जो उड़ना चाहती है मुक्त हो कर।”

वह खिलखिला कर हँसी और बोली- “ जैसे जीवन सीमित नहीं है वैसे ही कला भी सीमित नहीं है। क्यों हर सोच में दबी-कुचली औरत उड़ना ही चाहती है। वह भी थक कर बैठना चाहती है।”

“ओह! मतलब तुमने ये बनाया है कि तुम्हारी औरत उड़ते हुए थक गई है?”

“नहीं, बिल्कुल भी नहीं।”

“फिर?”

“चित्र की गहराई तक जाओ।”

“शायद रंग?”

“हूँ, और?”

“खुद ही बताओ मैं हार गया।”

“ये जो तुम हार गए न यही है इस चित्र का सच।”

“तुम कलाकार भी न जाने किस दुनिया की बातें करते हो। मुझे तो बस इतना पता है कि मैं तुमसे और तुम्हारे शौक़ से प्यार करता हूँ।”

वह मुस्कुरा उठी, उसके सारे रंग एक साथ चमक उठे।



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