Jyotsana Singh

Horror

5.0  

Jyotsana Singh

Horror

एक और तलाश

एक और तलाश

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सन्नाटा चीरती उसकी कार उस बियाबान जंगल से गुजरती चली जा रही थी।अंधेरे का ख़ौफ़ उसके रोम- रोम को डरा रहा था रौशनी के नाम पर बस गाड़ी की हेड लाइट ही चमक रही थी।उसने धीरे से उसकी बाँह को पकड़ा वह समझ रहा था उसके डर को फिर भी अपने डर को छुपाते हुए वह बोला।

“बस और पंद्रह बीस मिनट का रास्ता रह गया होगा तुम डरो मत मैं हूँ न तुम्हारे साथ।”

उसकी डरी हुई आँखो में भी विश्वास की चमक आ गई और वह और सतर हो कर बैठ गई।पर तभी एक साया उनकी कार से टकराया और एक दम से घुप्प अंधेरा उनके आगे छा गया।वह समझे की हेड लाइट फ़्यूज़ हो गई है अब रास्ता और कठिन हो जायेगा।

 उसने कार धीमी की और उतरने के लिये जैसे ही अपनी सीट बेल्ट हटाई की वह दहशत भरे शब्दों में बोल उठी।

“नहीं उतरना ठीक नहीं है कुछ भी हो सकता है। तुम मत उतरो।”

“पर लाइट तो देखनी पड़ेगी अंधेरे में मैं ड्राइव कैसे करूँगा?”

“अंदाज़ से करो पर नीचे मत उतरो।”

वह भय से गिड़गिड़ाने लगी वह उसे हौसला देते हुए अपने डर के साथ नीचे उतरा और वही हुआ जिससे वह डर रही थी।उस साये की तलाश पूरी हुई और उसे जिस्म मिल गया।

अब बाहर मौसम शांत था लाइट भी ठीक थी रास्ता भी साफ़ था कार में बैठी वह उसके बदले हुए व्यवहार से परेशान थी।अब तूफ़ान उनकी कार के अंदर था वह उसके गले में पड़े मंगल सूत्र से उसके गले को कसने लगा इस अचानक हए हमले से वह ख़ुद को संभाल न पाई और उसके गले से मंगलसूत्र टूट कर बिखर गया और वह बेदम हो गई।

उसने उसे चलती कार से नीचे फेंक दिया और आगे बढ़ गया अब एक और जिस्म की तलाश में थी एक नई रूह।



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