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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

कक्षा में स्वयं व्यवस्था

कक्षा में स्वयं व्यवस्था

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मुझे याद है कि उस दिन संयोग से विद्यालय में कई शिक्षक विद्यालय में न आ सके थे।ऐसी स्थिति में एक साथ कई कक्षाओं में अवकाश पर रहने वाले शिक्षकों के स्थान पर अन्य शिक्षकों को कक्षाओं में भेजना संभव नहीं हो पाया था। मैं जिस कक्षा का कक्षाध्यापक था उसकी समय -सारिणी के अनुसार मध्यावकाश के पश्चात पांचवां पीरियड आदरणीय वर्मा जी का होता था और आज वे भी विद्यालय नहीं आ पाए थे।इसका अर्थ था कि उनके बदले यदि किसी अन्य शिक्षक को भेजने की व्यवस्था न हो पाई होगी तो कक्षा में कोई भी शिक्षक कक्षा में उपस्थित नहीं होगा।मेरी कक्षा के विद्यार्थियों के शालीन व्यवहार समस्त विद्यालय में विख्यात है कि कक्षा में अध्यापक के न होने की स्थिति में अनुशासन व्यवस्था एकदम चुस्त- दुरुस्त रहती है।कक्षा में अध्यापक की उपस्थिति में विषय वस्तु की चर्चा, उत्तर-प्रत्युत्तर की स्थिति में भले ही थोड़ी-बहुत आवाज आ जाए पर अध्यापक के न होने की स्थिति में प्रायः शान्ति बनी रहती थी।आज पांचवें पीरियड में मेरी अपनी कक्षा से दो कक्षा-कक्षों के बाद वाली कक्षा में मेरा पीरियड था। यहां कुछ विद्यार्थियों को कुछ कक्षा कार्य करने में समस्त विद्यार्थी व्यस्त थे । अपनी कक्षा के रिक्त पीरियड की व्यवस्था का अवलोकन करने के उद्देश्य से अपनी कक्षा की ओर गया। वहां पहुंचकर यह देखकर मुझे बड़े ही सुख की अनुभूति हुई कि कक्षा की बालिका - मॉनीटर आकांक्षा गणित का एक प्रश्न कक्षा के श्यामपट्ट पर हल करके पूरी कक्षा को समझा रही थी और बाल- मॉनीटर कक्षा के विद्यार्थियों की सीट पर पर पहुंचकर उनकी समस्या का समाधान कर रहा था।इस प्रकार कक्षा में अध्ययन व्यवस्था सुचारू रूप से चलती हुई देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई। श्यामपट्ट पर कुछ प्रश्नों के क्रमांक और उन्हें हल करने वाले विद्यार्थियों का नाम लिखा था। आकांक्षा जिस प्रश्न को समझा रही थी उसके आगे उसका नाम लिखा था।इसका अर्थ था कि इस प्रश्न को हल करने के बाद अगले प्रश्न को पूरी कक्षा को समझाने वह विद्यार्थी आएगा जिसका नाम प्रश्न के आगे अंकित था।इस प्रकार पूरी कक्षा से कई विद्यार्थियों को नेतृत्व प्रदर्शन का अवसर मिलने वाला था।इस प्रकार उनमें एक विशिष्ट आत्मविश्वास का भाव जाग्रत होता हुआ परिलक्षित हो रहा था।


यह देखकर मैं अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए मैंने कक्षा में आकांक्षा के प्रश्न समाधान प्रक्रिया समाप्त होते ही प्रवेश किया और बच्चों को कक्षा में शान्ति पूर्ण अनुशासन व्यवस्था बनाए रखने और अध्यापक की अनुपस्थिति में अध्ययन कार्य की प्रक्रिया को विधिवत रूप से संचालित करने हेतु पूरी कक्षा को धन्यवाद दिया। इससे पूर्व की कक्षा में पीछे खड़े होकर विद्यार्थियों के माध्यम से ऐसी ही अध्ययन प्रक्रिया का अभ्यास कराने का यह यह सुखद प्रतिफल मुझे मिल रहा था। विद्यार्थियों ने परस्पर इस सफलता का श्रेय एक-दूसरे को दिया।

जो विद्यार्थी समझ रहे थे उन्होंने उन सहपाठियों का धन्यवाद किया जो समझा रहे थे।साथ ही जो समझा रहे थे उन्होंने अपने उन सहपाठियों का शांतिपूर्वक समझने के लिए धन्यवाद दिया जो प्रश्न बड़े मनोयोग से समझ रहे थे।


इस वैश्विक कोरोना महामारी की आनलाइन कक्षा के दौरान ज़ूम ऐप और गूगल मीट पर इन विद्यार्थियों की इस नेतृत्व क्षमता का सदुपयोग तथा इसे और अधिक निखारने का मुझे अवसर मिला।कौरोना महामारी के दौरान बच्चों के अध्ययन कार्य की न्यूनतम क्षति हुई। वर्तमान युवाओं में असीम क्षमताएं हैं। आवश्यकता है उन्हें सही मार्गदर्शन देते हुए उनका उत्साह बढ़ाने की।


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