Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

ख्वाहिशें

ख्वाहिशें

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जन्म लिया इंसान ने

होती जीने की आस,

ख्वाहिश हो जन की

धन-दौलत हो पास।


सुंदर हो एक बंगला

नौकर करते हो काम,

दूर दराज तक देश में,

अपना एक हो नाम।


घर में जब मैं जाऊगा,

आगे पीछे सब नौकर,

चाय मेज पर रखी हो

जब उठता मैं सोकर।


सुंदर सी एक बीवी हो,

सेवा करती हो दिनरात,

ख्वाहिश होती दिल की

आये नहीं दुख की रात।


घर में दूध, घी ,मक्खन,

बने घर विभिन्न पकवान,

जगत में फैले नाम मेरा

शाही ठाठ बाट व शान।


पढ़े लिखे घर हो बच्चे,

गाये हर दिन गीता सार,

ख्वाहिश मेरे दिल की,

घोड़े सैर को मिले तैयार।


लंबा चौड़ा खेत हो मेरा,

चारों ओर महके गुलाब,

ख्वाहिश मेरे दिल की है

यूं महकता मिले शबाब।


धन दौलत के भंडार हो,

गाये ये पक्षी राग मल्हार,

बारिश रिमझिम पड़ रही

पले पूरे जगत का प्यार।


पहनने को नये वस्त्र हो,

मिलने आये दोस्त हजार,

ख्वाहिशें पूरी कैसे होंगी,

बढ़ता ही जायेगा खुमार।


आयेगा फिर वो सवेरा,

संकट सारे हो जाए दूर,

ख्वाहिशें दिल की मिटे

नहीं रहेगा फिर गरूर।


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