खून से लिखी सपनों की दास्तान....
खून से लिखी सपनों की दास्तान....


एक बड़े से स्टूडीयो के भीतर शायद कीसी फिल्म की शूटिंग चल रही थी..तभी कीसी आदमी की आवाज सुनाई दी कट.... परफेक्ट.. और शूट रोक दिया गया।और उन्होंने आवाज ऊंची करके कहां,कल से हम सभी शूट के लिए शहर के बहार एक जगह है वहां जाएंगे।
दुसरे दिन सब लोग वहां जाने के लिए निकल गए..सब वहां पहुंच चुके थे। वो बहुत बड़ा घर था , देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो काफ़ी अरसे से बंद था।सभी अंदर जाने को मुडे तभी पीछे से एक आवाज आई,वो कोई बुजुर्ग आदमी था, उन्होंने कहा:लगता है तुम सब यहां नए हों ..तभी इस फिल्म की मुख्य भूमिका निभा रही सिया ने कहा:जी हम यहां हमारी फिल्म की शूटिंग के लिए आए हैं।तभी उस आदमी ने कहा,यह घर बहुत सालों से बंद है कहते हैं यहां कीसी लड़की की आत्मा है रात के समय तो यहां से कोई गुजरता भी नहीं है यहां से कीसी लड़की की रोने की आवाज आती है उस आदमी ने अपनी बात ख़त्म की लेकिन बुजुर्ग की बात को अनदेखा कर सभी अंदर चले गए और वो आदमी भी बीना कुछ आगे कहे वहां से निकल गए।
रात का समय हो गया था सभी घर को देख रहे थे,हर जगह घना अंधेरा था सभी लोग अपनी अपनी तरह से घर देख रहे थे।सीया अपनी दोस्त रागिनी के साथ चल रही थीं रागिनी आगे और सिया पिछे चल रही थीं...तभी अचानक सिया को महसूस हुआ कि उसके पीछे कोई है.. उसकी धड़कने बढ़ चुकी थी वो धीरे धीरे पीछे मुड़ी... लेकिन उसने देखा वहां एक बिल्लि थीं,अब वो आगे चलने लगी.. शूटिंग अब सुबह को होनी थी इसलिए सभी आराम करने के लिए चले गए।
सब सो गए बहुत रात हो चुकी थी अजीब सी आवाजें आ रही थी, अचानक रागिनी को लगा उसके बिस्तर के पास कोई है वो उठकर खड़ी हुई लेकिन वहां कोई भी नहीं था वो उठकर खड़ी हुई वो मुंह धोने के लिए बाथरूम में गई उसने जैसे ही पानी को अपने हाथ में लिया उसके हाथ खुन से भरे हुए थे उसकी आवाज गले में ही रुक गई वो भागने को हुई उसके सामने एक साया आ गया ..वो कोई लड़की थी उसके हाथों में से खुन निकल रहा था उसके बाल बहुत लंबे थे और आंखें बेहद लाल थी वो बहुत डरावनी थीं।उस साये ने कहा तु यहां आयी नहीं है तु यहां लाई गई है ।तेरा बाप भी अब यहां आयेगा सब मरे गे.... रागिनी ने अपने मुंह पर हाथ रखा और वो जोर से चिल्लाइ सभी लोग उसकी आवाज सुनकर वहां आ गए रागिनी नीचे जमीन पर गिरी हुई थी।
दुसरे दिन रागिनी की आंख खुली तो उसने देखा सब लोग वहां खड़े थे, रागिनी अब भी बहुत डरी हुई थी।सब ने उसे पुछा की कल क्या हुआ था रागिनी ने डरते डरते सबकुछ बताया तभी उनमें से एक लडके ने कहा हम लोग यहां आये तो यहां तो कोई भी नहीं था यह तुम्हारा वहेम होगा।सभी लोग बात कर ही रहे थे तभी कीसी आदमी की जोर से चिल्लाने की आवाज आई ।सभी उस तरफ भागे वहां का मंजर बहुत ही खौफनाक था।हर जग खून ही खून था एक आदमी नीचे गिरा हुआ था और उसका सिर उसके शरीर से दूर एक कौने में पड़ा हुआ था,यह नज़ारा देख कर हर इंसान बहुत ज्यादा डर चुका था वहीं जमीन पर लिखा हुआ था। मैं लौट आयी हुं। जिनकी मौत हुई थी वो बहुत ही पुराने और उमदा कलाकार राकेश मिश्रा जी थे। सब लोग इस मंजर को देखकर डरे हुए थे लेकिन उनमें इस
फिल्म के प्रोड्यूसर आनंद कुमार उन खून से लिखे शब्दों से डरें हुए थे ।
वो अपने भुतकाल में चले गए वो याद करने लगे वो शाम का वक्त था वो अपनी नयी मुवी के लिए किसी लड़की की तलाश में थे तभी उनकी ओफिस में एक लड़की आयी वे बेहद खूबसूरत थी उसके बाल बहुत ही लंबे थे उस लड़की ने कहा मेरा नाम अमाया है तो आनंद जी ने कहा,आप कितने साल से अभीनय कर रही है । अमाया ने कहा आपको कुछ गलतफहमी हुई है में कोई कलाकार नहीं हु ,में एक पुलिस अफसर हुं में दरअसल अपने नये केस के सिलसिले में आपसे मिलना चाहती थी, आनंद जी ने कहा जी पुछीए ।अमाया ने कहा आपके बहुत अच्छे दोस्त राकेश मिश्रा जी उनके बारे में जानकारी लेना चाहती थी दरअसल पीछले महिने जो दो लड़कियों के खून हुए हैं उनमें उनका नाम सामने आ रहा है तो आप उनके बारे में मुझे कुछ जानकारी दे सकते हैं की वो इस वक्त कहां है क्या कर रहे हैं, आनंद कुमार ने कहा मेरी बहुत दिनों से उनसे बात नहीं हुई है लेकिन आप चिंता मत किजिए आप बहुत अच्छी तरह से जानती है में हूसुलो पर चलने वाला इंसान हूं मुझे जैसे ही कुछ पता चलता है में आपको बता दुगा। दो दिन बाद अमाया उसकी ओफिस में बैठी हुई थी तभी आनंद कुमार का फोन आया।अमाया ने कहा,जी सर कहीए दुसरी तरफ से आवाज आयी आप जल्दी से में आपको एक पता भेजा है आप जल्दी से वहां आ पहुंचे में आपको कुछ बहुत ही जरूरी जानकारी देना चाहता हूं। कुछ समय बाद अमाया वहां अकेली पहुंची उसके हाथ में गन थी वो जगह बहुत ही सुमसाम थी अचानक पीछे से बहुत जोर से एक चीज लगी वो अपना हाथ सिर के पीछे ले गई उसका हाथ खून से लथपथ था वो बेहोश होने वाली थी तभी उसे दो लोगों के चेहरे दिखे,वो मुस्कुरा रहे थे और उसने सुना किसी ने कहा यह चली थी हमारी सच्चाइ सबको बताने।और वो दो लोग आनंद कुमार और राकेश मिश्रा थे उन्होंने अमाया का सिर एक दिवाली पर दे मारा वो नीचे गिर गई और उन दो लोगों ने अपने लोगों को बुलाकर कहा उसे किसी ऐसी जगह पर दफन कर दो के उसे कोई ढूंढ न पाए।
आनंद जी अब अपनी सोच से बहार आये वे बहुत डरे हुए थे तभी एक लडके ने डरते डरते कहा ,सि..या.. तुम.. तुम्हारी आंखें...सभी की नजर सिया के उपर गई उसकी आंखें लाल हो रही थी और उसका शरीर निला पड़ रहा था वो बहुत ही डरावनी लग रही थी।वो सिधा आनंद जी के पास गइ और उनका सिर दिवार से दे मारा..सिया के अंदर अमाया की आत्मा थी वो अपनी कहानी दोहरा रही थी और इनका सिर दिवार पर मार रही थी सब लोग हैरान थे के उन लोगों ने कितने मासूमों की जान ली थी अब सबको सबकुछ समझ आ गया था और कोई अब इस मंजर को कोई रोकना नहीं चाहता था, आनंद जी ने कहा मुझे माफ़ कर दो तो सिया के अंदर की उस आत्मा ने कहा मेने भी इसी तरह भीख मांगी थी लेकिन तुने मुझे जिंदा दफनाया तुने मेरे सपनों की दास्तान खून से लिखी थी।मेरे ख्वाबों को मारा था तुने।अब आनंद कुमार निचे गिर गए और सिया भी बेहोश होकर जमीन पर गिरी सब ने उसे संभाला।और शायद अब अमाया की आत्मा को शांति मिल चुकी थी।
दूसरे दिन सब लोग वहां से चले गए और ये कहानी थी, अमाया के खून से लिखी सपनों की दास्तान।