शाप या वरदान
शाप या वरदान


हमारा देश आज कोरोनावायरस की महामारी से जूझ रहा हैं,हां... वैसे तो ये बहुत बड़ी समस्या है लेकिन शायद दैखे तो ये पहली बार है जब यहां अमीर गरीब कोई नहीं है। यहां सब इन्सान बनकर अपने घरों में बैठे हैं उसके साथ साथ ये लोकडाउन किसी के लिए शाप तो किसी के लिए वरदान साबित हो रहा है।
शाप की बात करें तो हर इंसान को अपना काम छोड़कर घर में बैठ ना पड़ रहा है फिर वो बड़े बाप की बड़ी औलाद ही क्यु न हो या फिर सरकारी नौकरी करता कोई एक इंसान,हर कोई घर में कैद है।
वैसे,
कुदरत का यह कहर देख सबकी आंखें भर आयी है,
किये आजतक जो ग़लत काम उसकी ये भरपाई हैं।
और मैं ये महामारी एक शाप है ये बात कर रही हूँ तो उन लोगों को मेंं कैसे कैसे भुल सकती हूँ जिनके लिए ये सबसे बड़ा शाप था,वे लोग जो तम्बाकू,सिगारेट आदि. का सेवन करते हैं उन के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती थी लोग तम्ब
ाकू सिगारेट के बीना पागल बन रहे थें हां लेकिन एक बात अच्छी हुई जो लोग आपको याद भी नहीं करते वो लोग लम्बे अरसे के बाद आप कैसे हो ये जानने के लिए फोन करते हैं, कुछ इस तरह से बात करते थे वे लोग,
"हां जी कैसे हो आप सोचा आप तो याद करते नहीं हम ही कर लेते हैं कुछ देर तक हाल -चाल पुछने के बाद सीधे मुद्दे पे आते हैं वहांं गांव में कहीं तम्बाकू मिलेगी और मीलती हो तो भाई मेरे यहा भेज देना"
ये सबकुछ बहुत ही रोमांचक होता था,आप लोगों के साथ भी कुछ ऐसा हुआ होगा।बात करें अब वरदान की तो वे लोग जो अपने परीवार को बिल्कुल भी वक्त नहीं दे पाते थे उनके लिए ये एक वरदान था।ये तो शाप वरदान की बात तो हमने घर में बैठे कर ली लेकिन उन लोगों के बारे में कभी सोचा है जिन लोगों के कोई घर नहीं थे जिनके बच्चे भूखे थे। हम लोग तो यह अंदाजा भी नहीं लगा सकते के उन लोगों ने इसका सामना कैसे किया होगा।