में एक नारी हूं....
में एक नारी हूं....


नारी शब्द सुनते ही एक बात दिल मैं अक्सर बहुत लोगों के आ जाती हैं नारी यानी के कमजोर, बेबस औरत जिसकी दुनिया सिर्फ घर मैं शुरू होती है और घर तक ही रह जाती है आज यहां पे एक लेखिका के तौर पे मुझे सिर्फ लिखना है एक नारी पे लेकिन मैं भी एक नारी हूं, मैं आज की नारी हूं मुझे मेरे ख्वाब पुरे करने के लिए हमेशा प्रोत्साहन मिलता रहा है।
लेकिन उन महिलाओं के लिए हमेशा बुरा लगता है उन महिलाओं के लिए हमेशा मेरे लब्ज जज़्बात बनकर बहते हैं ।उनके लिए हमेशा ये दिल कुछ करना चाहता है जिनकी पुरी जिंदगी सिर्फ ताने सून ने मैं बित जाती है।मैं जब भी कुछ लिखती हूं तो सिर्फ दिमाग से लिखती हुं लेकिन आज इस मुद्दे पे दिल से लिख रही हूं क्योंकी मैं ये दर्द महसूस कर सकती हुं क्योंकी
मैं एक नारी हूं।आज की नारी ख़ुद को साबित करने के लिए दुनिया को पीछे छोड़ रही है
शायद दुनिया भुल रही है रानी लक्ष्मीबाई भी एक नारी थी लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी वो लड़तीं रही जब तक दुश्मनों ने हार नहीं मानी। उसी तरह देश की हर नारी मान लें कि वे रानी लक्ष्मीबाई है तो वे आसानी से दुनिया को पीछे छोड़ सकती है...
"नारी कभी हारती नहीं है उसे हराया जाता है,समाज के डर से जिसे हरपल उसे बहलाया जाता है, अपनों के लिए हर खुशी से लड जाती है, फिर भी वे उसे मामुली सी स्त्री का ही औदा दिया जाता है।"
फिर भी मुझे गर्व है कि मैं एक नारी हूं, मैं अपने शब्दों से लड़ना चाहती हूं। मैं उन लोगों को जवाब देना चाहती हूं जो औरतों को कमजोर समझते हैं।