DEEPTI KUMARI

Horror Fantasy Thriller

4.5  

DEEPTI KUMARI

Horror Fantasy Thriller

खौफनाक जंगल

खौफनाक जंगल

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"कब तक जिन्दा रखना है इसे..."

"पैसा मिलने तक"

"और नहीं मिला तो"

"गिद्धो का खाना बनेगी और क्या"

ये सब बाते 5 लोगों के बीच हो रहीं ये लोग शहर के बाहर एक पुराने किले के खण्डहर मे थे।बातचीत करने वाले ये लोग अपहरणकर्ता थे जो फिरौती के लिये अपरहण करते थे और फिरौती मिलते ही खत्म कर देते थे।इस बार इन लोगो ने 21वर्षिय छात्रा विधि को किडनैप किया था।वो अपनी ncc की ट्रेनिंग के लिये आयी थी और इन लोगों ने उसे वहीं से किडनैप कर लिया था।

किडनैप करने वाला मुख्य था भीमा।भीमा के गैंग की वारदातें अक्सर खबरों का हिस्सा रहतीं थी कि कैसे ये लोग बर्बरता से हत्या कर देते थे।कई बार तो लाशें भी नहीं मिलती थी। 

"मुझे जाने दीजिये...मैने आपका क्या बिगाड़ा है" डर से रोते हुये विधि ने कहा।

"विगाड़ा कुछ नहीं मगर बना सकती है...तेरी कीमत अभी तेरे बाप से वसूलेंगे" भीमा ने विधि के बाल पकड़ते हुये कहा।

"दादा ज्यादा टॉर्चर झेल नहीं पायेगी...आजकल की छोरियां खाती कहां है कुछ.. मर गयी तो क्या करेंगे" लाखन ने हँसते हुये कहा।

"पैसा तो इसकी लाश से भी बसूल लेंगे...लाखन बीरु ख्याल रखना इसका मैं हाईवे की तरफ जा रहा हूँ फोन करने यहां नेटवर्क नही है..और हाँ भागने की कोशिश करे या ज्यादा परेशान करे तो मार के फेक आना अपने जंगल वाले कब्रिस्तान में वहाँ या तो भूखे जानवर या चील कौए या गिद्ध खा जायेंगे" भीमा ने निर्दयता से कहा।

"आप जा रहे हो तो थोडा मुर्गा भी ले आना रात के लिये....भूख लग रही है थोडा" जीवा ने कहा।

"मुर्गा तो ले आऊंगा लेकिन पिछ्ली बार की तरह कोई गड़बड़ हुई न तो मुर्गे की जगह तुझे भूनकर खा जा जाऊंगा...तेरी ही लापरवाही से पुलिसवाला यहां तक पहुच गया था..तो अबकी बार न" भीमा ने उसे धमकाया और सबको चेतावनी देकर चला गया।हाईवे वहाँ से दूर था।पुलिस को लोकेशन न मिले इस वजह से भीमा फोन हमेशा वारदात की जगह से दूर करता था। भीमा के जाते ही बाकी बचे किडनैपर शराब पीने लगे।विधि रोए जा रही थी मगर रोते रोते वह वहाँ से भागने की कोशिश मे लगी थी उन लोगो को शराब मे डूबा देख वह नजर बचाकर हाथ खोलने की कोशिश करने लगी।वहाँ 4 किडनैपर बैठे थे।कुछ देर बाद उनमें से दो किडनैपर कुछ काम को लेकर बाहर गये जीवा और लाखन वहीं बैठे शराब मे मस्त थे।

"अरे इस छोकरी को देख के लग रहा है कि इसे मारने में हमे मेहनत भी नही करनी पड़ेगी अपने आप रोते रोते मर जायेगी" जीवा ने ठहाका लगाते हुये कहा।

"अबकी बार फिरौती थोडी ज्यादा ही लेंगे..पिछ्ली बार का सारा रुपया बाप की तेहरवीं में खर्च हो गया मन भर के दारु भी नही पिया" कहकर लाखन भी हंस पड़ा।

"अरे इस बार शहर गया था तो अंग्रेजी वाली दारु लाया...तू रुक मैं नीचे से लेकर आता हूँ..और घर पे बात भी कर लेता हूँ कबसे घर नही जा पाया" जीवा ने कहा।

दोनो शराब मे बिल्कुल टुन्न थे पैर लडखडाने लगे थे इधर विधि की हाथ की रस्सी भी ढीली हो गयी थी जीवा के बाहर जाते ही विधि ने पानी मांगा।

" पानी चहैये तेरे को...नही मिलेगा पानी ..कुछ नही मिलेगा चुप कर के बैठ" लडखडाती जुबान से लाखन ने विधि को पास आकर धमकाया..बस विधि को मौका मिल गया विधि ने अपने बन्धे हुये दोनो हाथों से चम्मच उठाकर सीधा लाखन की आंखो पर हमला किया।शराब के नशे में धुत्त लाखन सम्हल नही पाया और वही गिर गया।विधि ने जल्दी से हाथ पैर खोले और दरवाजे तक आयी तबतक जीवा फोन से बात करता हुआ अन्दर आया वो बेहद नशे में था इस बात का फायदा उठाकर एक दम से विधि ने उस पर वार किया वह कुछ हड़बडाया अगले ही पल विधि ने वहाँ रखी शराब की बोतल उठा उसके दे मारी उसके हाथों से फोन छूट गया।विधि ने फोन उठा लिया इससे पहले दोनो सम्हल पाये विधि बिजली की फुर्ती से वहां से भागी।वो जगह एक खण्डहर नुमा किला था वहाँ से बाहर निकलना सहज नही था।विधि जैसे ही थोडा ही भाग पायी तब तक लाखन और जीवा सम्हल चुके थे और वीरु सुहास भी वहाँ आ चुके थे वो चारों ही विधि को पकड़ने दौड पड़े।विधि भागते हुये खण्डहर से बाहर आयी उसने देखा कि थोडी ही दूरी पर तो लोग सडक पर खडे थे उन्हे देखते ही विधि मदद को चिल्लाई।

"सुनिये प्लीज मेरी मदद किजिये..ये लोग मुझे मार डालेंगे..बचा लिजिये मुझे"

सडक पर खडे दोनो लोगो ने विधि की ओर देखा फिर एक दुसरे की ओर देखा और फिर वहाँ से चुपचाप चल दिये। विधि एक बार फिर चिल्लाई मगर उन लोगो ने नही सुना तब तक वीरु और बाकी सब किडनैपर दिखाई दिये घबराकर विधि वहाँ से भागने लगी।ये इलाका उसके लिये बिल्कुल अंजान था।वो बस बेतहाशा भाग रही थी।भागते भागते वो जंगल की तरफ निकल गयी।तभी उसे फोन की याद आयी।उसने फोन निकालकर देखा तो उसमें नेटवर्क ही नही थे।

"अब मैं क्या करुं...नेटवर्क भी नही..(कुछ सोच) इमरजेंसी कॉल...हाँ वही करती हूँ।

विधि ने 100 नम्बर डायल किया वो कुछ कह पाती इससे पहले किडनैपर वहाँ आते दिखाई दिये..हडबड़ाहट में विधि वहाँ से भाग निकली।शाम ढल चुकी थी और विधि भागते हुये उस अंजान जंगल में पहुच चुकी थी।बेहद थकी और डरी हुई विधि एक पेंड़ के नीचे बैठ गयी।

"पापा ...आप कहां हो पापा..मुझे बहुत डर लग रहा है...मुझे घर जाना है पता नही मैं अब घर कैसे पहुचुँगी " कहते हुये फफ़क पडी विधि।विधि सर घुटनों में फंसाए बैठी रो रही थी कि वहाँ एक हवा सी आयी और हल्के से उसके बालों को उडाया उसने सर उठाया तो उसे अपने कान के पास कोई मेहसूस हुआ ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका नाम लिया।वो चौंक कर उठ गयी तब उसे एहसास हुआ कि वो एक घने जंगल में है एक अंजान जगह उसने सर उठाकर देखा तो सूर्य बिल्कुल ढल चुका था चारों ओर निगाह दौडाई तो खुद को अकेला पाया। ये क्या एक मुसीबत से बचने में वो दूसरी मुसीबत के मुहँ में आ गयी। इतने घने जंगल में वो अकेली वो भी अन्धेरे में ...इस डर का अहसास उसे अब हुआ।

"ओह गॉड अब मैं क्या करुं कहां जाउँ...यहां कोई होगा भी नही मेरी मदद को ..मैं कैसे बाहर निकलूंगी"

विधि जैसी ही उठी उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके पीछे से भाग के गया।फिर ऐसा लगा जैसे कान में किसी ने कहा 'श.श..श आवाज मत करना' 

विधि और डर गयी वो रोते हुये आगे बढने लगी।जैसे जैसे वो आगे बढी उसे ये लगे कोई उसके पीछे है वो पलटती तो वहाँ कोई नही होता फिर वो तेज तेज चलने लगी...बैसे ही उसके पीछे के कदमों की आवाज भी तेज हो गयी वो और तेज चलने लगी कदमो की आवाज भी तेज..बेहद डरी हुई विधि भागने लगी और उसे ऐसा लगे कि कोई उसके पीछे भाग रहा है यकायक उसे ये लगा किसी ने उसे पीछे से आकर पकड़ लिया है वो चीखी और उसका पैर किसी चीज से टकराया और वो जमीन पर गिर गयी।जहाँ वो गिरी वहाँ कोई चीज उसके हाथ से लगी..वो कुछ था।विधि ने उसे चीज पर हाथ घुमाया तो कांप गयी वो किसी का हाथ था जो जमीन से दबा हुआ था और थोडा दिख रहा था।विधि डर से थरथराने लगी और वहीं पैरो को समेटते हुये डर से रोने लगी।उसकी रोने की आवाज में कुत्तों की रोने की आवाज और शामिल हो गयी।कुछ ही देर में भेड़ियो और सियारो की आवाज भी आने लगी।वो पीछे खिसकी तो हाथ में एक हड्डी आ गयी।वो हडबडी में उठी तो आस पास देखा वहा तो छोटी छोटी कई हड्डियां बिखरी थी जैसे किसी जंगली जानवर ने उन्हे खाया हो।थोडी ही देर में वहाँ सियारो और कुत्तों कीआवाज और तेज हो गयी वो आवाजें और करीब महसूस हुई। विधि ने सर उठा कर देखा तो शहर गई उसके सामने जंगली कुत्ते और सियार खड़े थे अब क्या करें यहां कोई है ही नहीं जो उसे बचा सके यह तो उसे नोच कर खा ही जाएंगे इसी डर से वह उठकर खड़ी हुई और धीरे-धीरे अपने कदम पीछे बढ़ाने लगी जैसे जैसे वह अपने कदम पीछे बढ़ाती सियार और जंगली कुत्ते उसकी और बढ़ने लगते हैं। वह बेहद डर गई डर की वजह से कांपने लगी उनमें से एक सियार उसके ऊपर हमला करने आगे बढ़ा भय से उसने आंखें बंद कर ली उस पर हमला कर ही पता उसे पहले किसी ने आकर उसे वहां से हटा दिया विधि ने जब आंखें खोली तो उसकी जान में जान आई वहां एक पुलिस वाला था।

" आर यू ओके मैम..... घबराइए मत आपको कुछ नहीं होगा आप को डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है" पुलिस वाले ने आश्वस्त करते हुए विधि को कहा विधि डरी हुई आंखों से उन जंगली कुत्तों और सियारों की ओर देखा।

" आप बिल्कुल मत डरिए मेम मेरा सामना ऐसे जंगली जानवरों से रोज होता है और इन्हें कैसे भगाना है मुझे अच्छी तरह से आता है बस आप घबराइए मत और बिना डरे इनकी आंखों में देखिए" पुलिस वाले ने हिम्मत बढ़ाते हुए कहा।

"लेकिन वो..." विधि डर से बस इतना ही कह पाई ।

" घबराना बिल्कुल नहीं है आप बस हिम्मत बना कर इनकी आंखों में देखकर इन्हें साबित कर दीजिए कि आप इनसे नहीं डर रही है ... एक बार इनके नेता को डरा दीजिए पूरी जनता अपने आप भाग जाएगी" पुलिस वाले नही विधि से कहा तो उसे थोडी हिम्मत आयी। उन दोनों ने एक साथ एक सियार की और देखा जो उन सब में से सबसे खूंखार लग रहा था विधि जैसे ही उसकी आंखों में देखा तो पहले तो उसने अपनी आंखों को थोड़ा और फैलाया फिर विधि और पुलिस वाले के लगातार देखने पर उसने अपने कदम पीछे बढ़ाएं फिर धीरे-धीरे सभी जानवरों ने अपने कदम पीछे की और एकाएक वह सभी भाग गए विधि के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।

"ये सब...कैसे" विधि ने आश्चर्य से पूछा।

" जंगल करने का नियम है या तो डर जाइए ड़रा दीजिए... पर यहां राज वही करता है सामने वाले को डरा देता है.... वैसे इस जंगल में ..इस समय क्या कर रही हैं जहां पल पल खतरा है" पुलिस वाले ने उसकी ओर देख कर कहा।

विधि अभी भी डरी हुई थी गले से मुश्किल आवाज निकल रही थी।

"मुझे घर ....जाना है" 

" आप बिल्कुल मत घबराइए आप मैं आपको सही सलामत आपके घर तक पहुंचा दूंगा मैं यहां का फॉरेस्ट ऑफिसर हूं और जंगल के कोने कोने से वाकिफ हूं आपको मेरे होते हुए डरने की कोई जरूरत नहीं.. मगर आप यहां पहुंची कैसे हो?"

फॉरेस्ट ऑफिसर की बात सुनकर विधि ने अब तक जो भी घटित हुआ उसे बता दिया कि कैसे वह यहां पहुंची क्या क्या हुआ।

" वो लोग बहुत खतरनाक है सर...उनमें से एक का नाम भीमा है" विधि ने डरी हुई आवाज में कहा।

"ओह ..भीमा..वो तो इंसान के रूप में शैतान है गाजर मूली की तरह काट देता है लोगों को इस वक्त जहाँ हम खड़े हैं और जो आप बिखरी हुई हड्डियां दिख रही है उसी के द्वारा मारे गए लोगों के लाशों के अवशेष है जंगली जानवरों ने खा कर छोड़ा है।" पुलिस वाले की के बताने पर विधि और डर गई।

"सर....वो मुझे भी नहीं छोडेगा" विधि ने रोते हुये कहा।

"आप रोइए मत मैं आपको जंगल से बाहर निकाल दूंगा उससे पहले हमें यहां से निकलना होगा जल्द से जल्द इससे पहले भीमा और उसके आदमी यहां तक पहुंच जाए.... उनके पास हथियार भी ज्यादा है और लोग भी ज्यादा हैं हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते बेहतर होगा हम अपना बचाव करते हुए यहां से निकल चलें" पुलिस वाले ने उसे समझाते हुए कहा। विधि ने हामी भरी और दोनों वहां से चल दिए थि जैसे-जैसे विधि आगे बढ़ रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे देख रहा है।

" सर यहां कोई है... सर लग रहा है कोई अभी देख रहा है हमारे साथ चल रहा है"विधि ने डरते हुये कहा।

" आप यहां नयी है इसलिए ऐसा लग रहा है मैं पिछले 3 महीने से यही ड्यूटी कर रहा हूं मैने कभी यहां किसी को नहीं देखा बस आज ही आपकी चीख सुनी तो इस ओर चला आया। मैं भी यहां ज्यादा नहीं आता इलाका बेहद खतरनाक है।" पुलिसवाला विधि को सब बताता रहा धीरे-धीरे विधि का डर कम हो रहा था तो दोनों बातें करते हुए आगे बढ़ रहे थे पुलिस वाला कभी जंगल के किस्से सुनाता तो कभी आत्मरक्षा के कुछ गुर बताता।

" यहां से दूर चलने पर मेरा कैंप है वह मेरे साथी आपको मिल जाएंगे हम वहीं से आपके परिवार वालों को कांटेक्ट करने की कोशिश करेंगे।"पुलिस वाले ने कहा।

दोनो कुछ दूर चलते रहे तभी किसी के पैरों की आहट लगी पुलिस वाले ने से सावधान किया।

"विधि लगता है कोई है..." कहकर दोनों पेड़ के पीछे छुप गए। उसका अंदेशा बिल्कुल ठीक था वीरू अगर लाखन और वही थे दोनों विधि को ही ढूंढ रहे थे।

"तुम डरो मत मैं देखता हूँ...(गन टटोलकर) ओह नो.." हताशा भरे स्वर में पुलिस वाले ने कहा।

"क्या हुआ सर..."विधि ने पूँछा।

"मेरी गन ..मेरी गन कही गिर गयी" माथे पर हाथ रख पुलिस वाले ने कहा।

"अब क्या करें सर..." विधि घबराकर बोली।

"श..श.. श हम यहां हैं उन्हें पता नहीं चलना चाहिए आवाज मत करना बिल्कुल.."मुह पर उंगली रखते हुये उसने कहा।

दोनो वहीं चुपचाप खड़े थे।वहाँ उनसे कुछ ही दूरी पर लाखन और वीरु खड़े थे।

"वो लडकी बचनी नहीं चाहिये..."गुस्से में वीरु गुर्राया।

"हाँ उसकी वजह से दादा ने जीवा को मार दिया..क्योकी वो उसे चकमा दे भाग गयी..अगर हम उसे नहीं पकड़ पाये तो वो हमें भी मार देंगें "मुट्ठियां भींचते हुये लाखन बोला।

उन दोनो की बातें सुन विधि बहुत डर रही थी।वो दोनो इधर उधर विधि को ढूढते रहे और कुछ देर ढूढने के बाद आगे बढ गये उनके जाते ही विधि रो पडी।

"सर...ये लोग यहां तक पहुच गये..वो मुझे नही छोडेंगे" रोते हुये विधि ने कहा।

"विधि..डरो मत डरने से कुछ नही होगा..जंगल में कदम कदम पर खतरा है हमारा सबसे बड़ा खतरा हमारा डर है...हिम्मत रखो सब ठीक होगा..अभी हमें बहुत दूर चलना है कैंप यहां से दूर है और ये इलाका इन बदमाशों का है यहां से निकल गये तो ...सब ठीक होगा।" पुलिस वाले ने उसे ढाँढस बंधाया।

अपनी सारी हिम्मत जुटा विधि आगे बढने लगी।बहुत देर चलने के बाद उसकी हिम्मत जवाब देने लगी वो बेहद थक चुकी थी भूखी और प्यासी भी थी।

"सर मैं अब नही चल सकती.."विधि ने हाँफते हुये कहा।

"हिम्मत रखो यहाँ से कुछ किलोमीटर पर ही कैम्प है..वहाँ पहुच कर सब ठीक हो जायेगा"।

"सर...पानी..पानी..थोडा पानी मिल जाये"विधि का स्वर बहुत मुश्किल से निकला।

"पानी..ठीक है..तुम यहीं रुको...मैं पानी लेकर आता हूँ...और हाँ कही जाना मत और डरना बिल्कुल मत..हिम्मत रखो..कोई भी मुसीबत हिम्मत से बढी नहीं होती..मै जल्दी आऊंगा" पुलिस वाले ने कहा।

"सर.."विधि थोडी आशन्कित थी।

"हिम्मत रखो...कुछ भी हो तुम्हें सामना करना होगा पूरी हिम्मत से..दिमाग से..ओके.(एक नुकीली लकड़ी देकर) इसे अपनी हिफाजत के लिये अपने पास रखो..आता हूँ" कहकर पुलिसवाला वहाँ से चला गया। विधि वहीं डरी सहमी बैठ गयी डर हताशा और दुख से उसके आसू नही थम रहे थे वो घुटनों सर रख आंख बंद करके बैठ गयी।कुछ देर बाद कदमों की आहट से उसका ध्यान टूटा उसे महसूस हुआ कि कोई बिल्कुल उसके सामने खड़ा है उसे लगा है कि पुलिस वाला आ गया है।

"आप आ गये सर...पानी मिल..." इतना ही बोल पाई कि जब उसने सामने वाले का चेहरा देखा तो है डर से सफेद पड़ गई उसके सामने गन तान कर भीमा खड़ा था।

"तू...तुम...तुम यहां..." बेहद डरे हुए स्वर में विधि ने कहा।

" यहां छुपी बैठी है चुहिया..... भाग लिया जितना भागना था.... अब आराम करो हमेशा के लिए बहुत दिमाग खाया तूने आज तुझे तो ऐसे ही मौत दूंगा मौत भी कांप जाए" दांत पीसते हुए भीमा ने कहा।

"सर..सर.."विधि चीखते हुये पुलिस वाले को आवाज दे रही थी।

"यहां तो कोई मुर्दा भी तेरी आवाज नही सुनेगा...." कहकर उसने विधि को बालों से पकड़कर घसीटा।जब विधि ने बचने की कोशिश की तो उसने 2-3 थप्पड जड़ दिये विधि जमीन पर गिर गई उसके मुहँ से खून निकल आया जमीन पर औंधी गिरी विधि को उस पुलिस वाले की बाते याद आयी जो उसने आत्मरक्षा की और हालात का सामना करने के लिये उसे बतायी थी।उसने आंखे बन्द कर थून्क गटका और हिम्मत बटोरकर पल्टी...उसने पलटते ही दोनो मुट्ठियों में मिट्टी भर कर भीमा की ओर फेक दी।आखों मे मिट्टी गिरते ही भीमा का संतुलन बिगडा और उसके हाथ से फ़ायर हुआ।इस फायर से विधि बच गयी।उसने उठाकर एक लकडी को हाथ में थाम लिया जिसका एक सिरा नुकीला था जो पुलिस वाला उसे देकर गया था।भीमा उस पर अगला वार कर पाता उससे पहले ही विधि ने लकड़ी को पूरी मजबूती के साथ पकड़ कर सीधा भीमा की गर्दन पर घुसेड़ दिया।विधि ने जिस ताकत से वार किया वो बिल्कुल सटीक बैठा। लकड़ी काफी अंदर तक उसकी गर्दन में घुस गयी थोड़ी देर भीमा कराहा और वहीं ढेर हो गया। इतना अचानक हुआ कि खुद विधि को भी यकीन नहीं हुआ वह हतप्रभ वहीं खड़ी रही तभी वह पुलिस वाला वह वापस आ गया भीमा को मरे हुए देख और विधि को खड़े थे वह सब समझ गया।

"तुम ठीक तो..हो न.."पुलिस वाले के सवाल पर विधि चुप जड़वत खडी रही।

"विधि...विधि..." उसने विधि को झिंझोडा। विधि का एकाएक ध्यान टूटा और भीमा की लाश को देख वह घुटनों के बल गिर गई और रोने लगी।

"ये मैने क्या कर दिया..मैने किसी को मार दिया...मेरे हाथों से किसी का खून हो गया" कहकर उसने अपने दोनो हाथों से चेहरे को छिपा लिया।

" यह खून नहीं आत्मरक्षा है विधि... तुमने उसकी जान नहीं ली बल्कि अपनी जान बचाई है" पुलिस वाले ने उसे समझाते हुए कहा मगर विधि कुछ समझना नहीं चाह रहे हैं वह लगातार रोए जा रही थी।

"मैने क्या कर दिया..." विधि फफक कर बोली।

"तुमने एक ऐसे हैवान को मारा है जिसने इन्सान का शरीर ले रखा था...तुमने कुछ गलत नही किया...अब यहां से चलो..गोली की आवाज सुनकर इसके आदमी भी यही आते होंगे और बाकी फॉरेस्ट ऑफिसर भी..इससे पहले वो यहां आये हमे कैम्प तक पहुचना होगा।पुलिस वाले ने विधि को समझाया ।

" आदमी मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे वह मुझे मार डालेंगे" विधि घबराकर बोली।

"राजा के मरते ही सैनिक भाग जाते है भीमा की लाश देख वो खुद भाग लेंगे"पुलिस वाले ने कहा और उसे समझाते और सम्हालते हुये वहाँ से ले चला।थोडीऔर दूर चलें होंगे कि कई कदमो की आहट सुनाई दे रही थी।

"अब बिल्कुल मत डरो विधि ऑफिसर आ रहे है..." खुश होते हुये पुलिस वाला बोला।

"आपको डरने की घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं आप यहां बिल्कुल ठीक हैं सुरक्षित है ...

बस आपको मेरा एक काम करना होगा"पुलिस वाले ने कहा।

" कैसा काम...?" विधि के चेहरे पर एक सवालिया निशान था।

" आपको यह नहीं बताना है कि मैं आपके साथ था... किसी भी ऑफिसर को आपको सिर्फ यह बताना है कि आप वहां से भाग आए और आत्मरक्षा में भीमा की जान चली गई." उसके ऐसा कहने पर विधि थोड़ा सोच में पड़ गई।

"अरे आप ज्यादा मत सोचिए मैं 2 दिन से पनिशमेंट पर था और मुझे कहीं और भेजा गया था मगर मैं पनिशमेंट से बचते हुए जंगल में उस तरफ चला गया जहां कोई नहीं आता और अकस्मात आप मिल गई। अभी यह सब जानने के बाद मुझे वाहवाही कम पनिशमेंट ज्यादा मिलेगी हो सकता है दो-तीन दिनों के लिए घर भी भेज दिया जाए तो प्लीज आप किसी से कुछ मत बताइएगा।" पुलिस वाले ने पूरी बात समझाई तो विधि ने हामी भर दी।

विधि बेहद थकी थी अचानक उसे लगा कि एक हवा सी आयी..कोई उसके पीछे है उसने पलट कर देखा तो कई काले धुंये उसके साथ चल रहे थे...विधि इतना डर गयी कि बेहोश हो गयी।

विधि की जब आंखे खुली तो उसने खुद को कैम्प में पाया उस कुछ देर बाद वहां बाकी ऑफिसर आए उन्होंने विधि से पूछताछ की तो विधि ने उन्हें बताया हां बस पुलिस वाले के बारे में कुछ नहीं बताया।

"हम्म आप डरने की जरुरत नही है आप बिल्कुल सेफ़ है..और भीमा का तो यही होना था जंगल को कब्रिस्तान बना दिया था उसने।अभी कुछ दिन पहले ही दो टूरिस्ट को मार दिया उनकी क्षत विक्षत शव पड़ें मिले हमें" ऑफिसर ने कैप उतारते हुए कहा हुए कहा।

"आप हमें उसके अडडे पर और उस जगह ले चलिये जहाँ आपने डेड बॉडी देखी थी।"दुसरे ऑफिसर ने कहा। विधि ने हामी भरी सामने लगी दो तस्वीरों पर पड़ी तस्वीरें उसके कुछ जाने पहचानी लगी।

"ये लोग कौन हैं...." विधि तस्वीर की ओर इशारा करते हुए कहा।

"ये .... यही तो वो टूरिस्ट हैं जिन्हें भीमा ने बेरहमी से मार दिया था"। यह सुन विधि चौक गई क्योंकि वे दोनों कोई और नहीं बल्कि वही थे जो उसे वहां मिले थे जब वह कैद से भागी थी जिससे उसने मदद मांगी थी और वे लोग चुपचाप आगे चले गए।

"क्या हुआ मैम ...आप जानती है इन्हें " ऑफिसर में सवाल किया विधि चुप रही उसने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन से कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या बताएं। कुछ देर बाद में विधि को लेकर उस जगह पहुंची जहां उसने जमीन में दबी डैडबॉडी देखी थी स्थानीय पुलिस को भी सूचना कर दी गई थी वह लोग बीमा के अड्डे पर पहुंच चुके थे और उसे अपने कब्जे में ले लिया था।

विधि के कहे अनुसार जब वो लोग बाहर पहुंचे तो सच में वहां का मंजर बहुत भयानक था वहां चारों ओर कंकाल के टुकड़े टुकड़े पड़े हुए थे और वह लाश जो जमीन में दबी हुई थी उसे खोदकर निकाला जा रहा था शायद कई दिन से वहां दबी हुई थी इसलिए लगभग सडने लगी थी। चेहरा भी पहचानना मुश्किल हो रहा था विधि वह मंजर नहीं देखना चाहती थी इसलिए वहां से थोड़ी दूर खड़ी हो गई।

"सर...आपका शक सही था....ये...ये कार्तिक ही है सर..." कहकर पुलिस वाले की आंख में आंसू आ गए।

" इसका मतलब कार्तिक भीमा तक पहुंच गया था इसलिए भीमा ने कार्तिक को मारकर ही दफना दिया क्योंकि अगर उसकी लाश हमें मिल जाती तो हम पूरी छानबीन करते"रुन्थे हुये गले से सर ने कहा।

"ये लिजिये सर...कार्तिक का बैज" भावुक होकर ऑफिसर ने वह बैज सर को दिया जिस पर लिखा था 'एम. कार्तिक' । विधि उसे देखकर कुछ याद आया।

"एम कार्तिक.....कार्तिक ...." वह बुदबुदाई। अचानक उसका माथा ठनका कार्तिक जी नाम तो उस पुलिस वाले की बैज पर भी था जो उसके साथ था। वह दौड़कर सर के पास गई।

"सर....ये बॉडी किसकी है"कुछ कांपते हुये उसने पूँछा।

" हमारे होनहार ऑफिसर की ...वो भीमा का पता लगाने की कोशिश कर रहा था जबसे उन टूरिस्ट की बॉडी मिली तबसे...लेकिन पिछले 3 दिन से उसका कुछ पता नही था वो कहां गया.." भरे हुए गले से सर ने कहा।

" क्या आप मुझे उनकी तस्वीर दिखा सकते हैं" किसी अनहोनी की आशंका से विधि ने कहा। सर ने हाँ मे सिर हिलाया और अपने मोबाइल से कार्तिक की तस्वीर दिखाइए विधि के पैरों तले जमीन खिसक गई कार्तिक वहीं था जो कल रात उसके साथ था ।

"नही...नही...ये नही हो सकता" विधि के गले से बस इतना ही निकला उसकी एक निगाह उस डेड बॉडी पर गई उसका कलेजा धक रह गया निढ़ाल होकर जमीन पर गिर पड़ी। अब तक जो हुआ उसे विश्वास नहीं हो रहा था कार्तिक उसके साथ था उसकी जान बचाई उसकी मदद की फिर कैसे.... आखिर कैसे??? सहमी विधि धीरे धीरे कदमो से पीछे बढ्ने लगी एक पेड़ के पास जाकर वो रोने लगी उसे सब याद आने लगा कि कैसे उसने उसकी मदद की थी और उसे अपने बारे में किसी को ना बताने को कहा था।

"क्यों...आखिर क्यों..मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ...वो एक आत्मा थी...और..."विधि खुद से ही कह रही थी कि अचानक एक आवाज उसके कानों में पडीं।

"क्योकी तुम ही थी जो हमें देख सकती थी" यह आवाज किसी और की नहीं बल्कि कार्तिक की थी कार्तिक के सामने खड़ा था। कार्तिक को अपने सामने देख चौक गई।

"तुम...तुम तो"विधि इतना ही कह पायी।

"हाँ मैं जिन्दा नही हूँ न ही कल था...मुझे तो इन लोगों ने मार दिया था। मेरी और मेरे जैसो की आत्माएं वहाँ भटक रही थी तुम हम सबको देख सकती...मैं तुम्हारी मदद कर वहाँ से भेजना चाहता था सही सलामत...ताकी तुम सबको बता सको यहां ला सको और हम सबको मुक्ति मिल जाये"कार्तिक ने कहा।

"लेकिन तुमने मेरे हाथों से उसे क्यों मरवा दिया"विधि ने सवाल किया।

" उस वक्त भीमा वहाँ आ पहुंचा था और मैं एक आत्मा हूं मैं उसे नहीं मार सकता था केवल तुम ही मुझे देख सकती थी सुन सकती थी और महसूस कर सकती थी मुझे ही क्या वहां मौजूद सभी आत्मा को ...जो तुम्हें बार-बार दिख रही थी। तुम्हारी जान बचाने के लिए जरूरी था भीमा की जान जाना।"कार्तिक ने जवाब दिया।

"सर....."कहकर विधि रोने लगी।

"रो मत विधि...तुमने हम सबको मुक्ति दे दी है अब हम सब यहां से जा सकेगें सुकून से हम सबकी आत्मा को शन्ति मिल गयी।"कार्तिक के इतना कहते ही कई आत्माएं वहाँ खड़ी हो गयी आकर उन दो टूरिस्ट की भी।सबकी आंखे नम थी और कृतज्ञ भाव से विधि को देख रहीं थी।सबने विधि से हाथ जोड़ कर शुक्रिया कहा।ये देख विधि की भी आंखे भर आयी।

"अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ कर देना...thanks...मुझे मुक्ति दिलाने के लिये"कार्तिक ने कहा।

"सर थैंक्स तो मुझे कहना चाहिये आपने मेरी जान बचाई...मैने ऐसा पुलिस वाला कहीं नही देखा जिसकी आत्मा भी उसकी ड्यूटी कर रही हो....thanks you so much sir...."कहकर विधि रो पडी।

"अपना ख्याल रखना विधि" कार्तिक के इतना कहते ही वहाँ तेज रोशनी हुई और कार्तिक सहित सभी आत्माएं वहां से गायब हो गयी।

विधि वहां खड़ी सोचती ही रह गयी कुछ देर में सर उसके पास आये और वापस चलने को कहा।विधि एकटक भरी आंखो से कार्तिक की डेड बॉडी देख रही थी उसे कल घटित हुई सारी बातें याद आ रही थी।विधि गाड़ी में बैठ वहां से चल दी मगर उसके जाते ही वहां एक काला धुँआ उठा धीरे धीरे वो धुंआ एक आकार में बदल गया....वो भीमा था।

"ये इलाका मेरा था मेरा ही रहेगा.....हा हा हा....." श...श...श....कोई है।


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