दीप्ती ' गार्गी '

Horror

4.5  

दीप्ती ' गार्गी '

Horror

पाल हाउस

पाल हाउस

12 mins
999


"तो चलो लगी शर्त जो भी उस बंगले में पूरी रात रुकेगा वही विनर इस ट्रिप का" जय ने सब दोस्तों की तरफ देख कर कहा।

"नहीं नहीं मैं नही जाने वाला...मैने सुना है ये हौंटेड है तुम लोग को जाना है तो जाओ"।विनय ने डरते हुये कहा

"अरे जा तेरे से नहीं होगा..."अजीत ने उसका मजाक उडाते हुये कहा।

"तो पक्का रहा हम सब लोग अलग अलग रुम में रुकेंगे बिना किसी टॉर्च लाइटर मोमबत्ती या किसी और चीज के..हाँ मोबाइल साथ ले जा सकते हैं ,फिर जिसको डर लगेगा वो बेल बजा देगा और बाहर चला जायेगा।जो आखिर तक रुकेगा वो जीतेगा..सिंपल" जय ने पूरी बात समझाई।

"तो ठीक है 11:00 बज गये है और ये परफ़ेक्ट टाईम है एन्ट्री लेने की।"लव बोला।

"प्लीज यार मेरी बात मान लो सब लोग ये पागलपन खत्म करते है वापस टेन्ट में चलते हैं..." विनय ने डरते हुये कहा। लेकिन वो सब कहां मानने वाले थे उन तीनो की जिद के आगे विनय को झुकना पड़ा। तो जैसा तय हुआ तीनों खिडक़ी से 'पाल हाउस ' जिसे लोग भूत बंग्ला भी कहते थे उसमें दाखिल हुये।वो घर बहुत सालों से बन्द था।कई साल पहले तंत्र मन्त्र के चक्कर में पूरे परिवार ने उसमें खुदकुशी कर ली थी तब से वो घर बंद था।वो चारों अन्दर दाखिल हुये चांद की रोशनी में वहाँ सब साफ दिख रहा था दीवारों पर लिखा था "भय मृत्यु का कारण है" "मन के हारे हार है मन के जीते जीत" उसे पढ अजीत ने विनय का मजाक बनाते हुए कहा "ले तेरे लिये लिखा है.. अब तो डरना बंद कर" कहकर वो हंस पडा। "यार देख यहाँ पानी है ... कहीं विनय की निकल तो नही गयी.." कहकर जय भी हंस दिया।

ये चारों एक एडवेंचर ट्रिप पर मिले और बातों ही बातों में इन लोगों में शर्त लग गयी और सभी यहाँ आ गये।पाल हाऊस एक बेहद डरावनी जगह थी।वो चारों वहाँ आ तो गये थे मगर वहाँ हुई मौतों का खौफ अभी भी उस जगह मौजूद था।ऐसा लग रहा था जैसे कोई हर समय आसपास है।ये सब वो चारों महसूस कर रहे थे मगर विनय के अलावा स्वीकार कोई नही कर रहा था।वो जगह इतनी भयावह थी कि कदमों की आहट भी डरा रही थी।

"तो चलो दोस्तों शुरुआत करते है इस न्यू एडवेंचर की..."जय ने उत्साह से कहा।

"यार एक बार फिर सोच लो..क्या ये जगह देखने बाद तुम लोग का यहां रुकने का मन है" विनय ने चारों तरफ देख के कहा।

"देख खामखाह ड्रामा न कर...कल तो तू बड़ा उतावला था एडवेंचर को ...आज नाटक कर रहा है"अजीत ने खीझते हुये कहा।

"ऐसे लोग बड़े चालाक होते है एडा बनके पेडा खाते है..ये अभी शो कर रहा है कि डर रहा है मगर देखना आखिर तक टिक जायेगा।"लव ने कहा तो सभी हंस दिये। सबने अपने अपने मोबाईल की टॉर्च जलायी और एक एक रुम में चल दिये।ये चारों अलग कमरो में थे।उन कमरों का सन्नाटा मौत सा एहसास करा रहा था।एक शोक सा फैला था।

अजीत कमरे मे दाखिल हुआ तो लगा कोई चुपके से उसे देख रहा है।उसने थूक निगला और हिम्मत करते हुये कमरे में बैठ गया अपनी जेब से लाइटर निकाल कर जलाया और बुदबुदाया "अच्छा हुआ मै ये लाईटर ले आया..यहाँ इतना अंधेरा है और मेरा मोबाइल भी ऑफ है..डर तो लग ही रहा है" अजीत ने माथे का पसीना पोंछा।

एक डरावना सन्नाटा था वहाँ ...कि अचानक एक आवाज ने ध्यान तोड़ा..घड़ी के घन्टे की आवाज थी.. टन टन टन।रात के ठीक 12 बज गये थे। अजीत की निगाह अपनी कलाई घड़ी पर थी फिर उसने चारों ओर देखा ऐसा लगा मानो कमरे के बाहर कोई खड़ा है वो धीरे से दरवाजे की तरफ आया और झिरी से झांकने लगा।बाहर कोई नही था।वो पीछे मुड़ा और तभी एक डरावना दृश्य देख उसकी चीख निकल गयी।उसे कमरे में लटकती हुई 7 लाशें दिखी जिन्होने यकायक आंखे खोल दी।अजीत डर से चीख उठा घबरा करा वो दरवाजा खोलने की कोशिश करने लगा।उसकी चीख सबने सुनी सब चौंक गये!ये तो अजीत की आवाज है विनय ने कहा।वो कुछ समझ पाता तब तक किसी ने उसके कमरे का दरवाजा पीटना शुरु कर दिया।

"विनय दरवाजा खोल ...विनय खोल यहाँ कुछ है..विनय..." ये डरी हुई आवाज अजीत की थी।विनय घबराकर दरवाजा खोलने लगा।मगर दरवाजा खुल ही नहीं रहा था।अचानक से एक चीख सुनाई थी अजीत की चीख....और इसी के साथ दरवाजे की खटखटाहट शांत हो गयी।विनय ने दरवाजे पर धक्का लगाया तो दरवाजा झटके से खुल गया।वह बाहर आया तो देखा वहाँ कोई नही था इतनी देर में लव जय भी वहा आ गये।

"क्या हुआ अभी मैंने अजीत की चीख सुनी" लव ने कहा।

"हाँ मैंने भी..." जय ने हामी भरी।

"हाँ यार उसने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया था बेहद डरा हुआ लग रहा था कह रहा था कुछ है...और दरवाजा खुलते ही वो यहाँ नही था।" विनय एक सांस में बोलता चला गया।

"कही ऐसा तो नही वो हमारे कोई मजाक कर रहा हो यहीं कहीं छुपा बैठा हो" जय ने जवाब दिया।

" नहीं यार कोई मजाक नहीं है मैंने उसकी आवाज सुनी थी बहुत डर रहा था वो ...मुझे भी यहां बहुत अजीब लग रहा है हम लोग ने बहुत बड़ी गलती कर दी यहाँ आकर" ये कहते हुये विनय लगभग रोआसा हो आया।

"विनय...प्लीज...हम लोग देखते है कहां है वो..अभी तो यही था इतनी जल्दी जायेगा कहां हम लोग ढूढ़ते है उसे" लव ने कहा।

"लव विनय हम तीनों मिलकर उसे ढूढते हैं..विनय तू इस तरफ देख मै उपर देखता हूँ लव तू उस तरफ देख" जय ने कहा।

"नहीं यार मै अकेला कहीं नहीं जाने वाला मुझे डर लग रहा है" विनय ने डरते हुए कहा।

"ओफ्फ्फ हो...तु फिर एक काम कर तू मेरे साथ रह...लव तू नीचे देख मैं और विनय ऊपर के दोनो कमरों में देखते हैं" जय ने कहा।

"हां ठीक है मगर सम्हाल के .."लव ने जय के कंधे पर हाथ रख कर कहा।

इसके बाद विनय और जय उपर की तरफ गये लव नीचे ही अजीत को ढूंढने लगा।सभी काफी देर तक आवाज देते हुये अजीत को ढूंढते रहे मगर अजीत का कुछ पता नही चला।

"जय मुझे बहुत प्यास लगी है..मेरा गला सूख रहा है सांस लेना मुश्किल हो रहा है" विनय ने हाँफते हुये कहा। 

"यार यहां तो पानी होने का कोई सवाल ही नहीं बैग भी टेन्ट में हैं...तू एक काम कर तू यही बैठ मै अजीत को ढूढता हूँ..और डरना मत" जय ने समझाते हुये कहा।

उधर लव परेशान इधर उधर अजीत को ढूंढ रहा था।तभी उसे अंधेरे मे कुछ दिखा उसने उठा कर देखा तो एक लाइटर था मैं दिमाग पर जोर डाला उसे याद आया कि यह तो अजीत का लाइटर है।

" ये तो अजीत का है सुबह ही मैने उसके हाथ मे देखा था... तो अजीत इसे साथ लाया था.. यहां है तो अजीत भी कहीं आस-पास ही होगा कहकर लव ने लाईटर अपनी जेब में रख लिया और चारों तरफ अजीत को ढूंढने लगा।तभी उसे कुछ दिखा एक बंद दरवाजा था उस दरवाजे के नीचे धूल जमी हुई थी मगर धूल में एक पैर का निशान था आधा बाहर और आधा अंदर की ओर था इसका मतलब यह था कि कोई जरूर कमरे में गया था ।बार-बार धक्का देकर दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगा मगर दरवाजा नहीं खुल रहा था आसपास के सामान को उठाकर दरवाजे पर मारने की कोशिश कर रहा था वह बहुत घबराहट में यह सब कर रहा था इस चक्कर में वहां आसपास लगी तस्वीरें और सामान इधर-उधर बिखर रहा था उसकी बार-बार कोशिश करने से दरवाजा खुल गया। जैसे ही उसने दरवाजा खोला वह चौक गया वहां बेहोश अजीत पड़ा था और सात मटके रखे हुए थे जिनके ऊपर लाल कपड़ा बना हुआ था बहुत सारा पूजा पाठ का सामान भी रखा हुआ था। वह सीधा अजीत के पास गया उसे उठाने की कोशिश करने लगा।

"अजीत उठ क्या हुआ तुझे उठ अजीत...." लव उसे उठाने की कोशिश कर रहा था। अजीत को धीरे-धीरे होश आने लगा । अजीत को होश आते ही वह बेहद घबराई हुई आवाज में बोला यहां बहुत गड़बड़ है ....बहुत बुरी जगह है... वो लोग बहुत सारे हैं बहुत डरावने हैं..मैने उन्हें देखा है...हमे यहाँ से जल्द से जल्द निकलना होगा।अजीत की आवाज में डर साफ झलक रहा था ।

"हां तुम घबराओ मत हम सभी एक साथ ही निकल चलते हैं यहां से " लव ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा।

लव और अजीत जैसे ही उठ खडे हुये वैसे ही वहाँ घबराया हुआ विनय आया।

"अजीत तू ठीक है न...लव...तू ठीक है" चिंता भरे स्वर में कहा।

" हां हम लोग तो ठीक है मगर.... जय कहां है ?जय तेरे साथ ही था न वह कहां है? लव ने पूछा।

" जय को छोड़ हम लोग यहां अभी के अभी निकल चलते हैं " विनय ने कहा।

"क्यों जय को छोड़कर क्यों? हम सब साथ आए थे तो यहां से बाहर भी साथ ही निकलेंगे" अजीत ने जवाब दिया।

" क्योंकि जय हम सब को धोखा दे रहा है वह कुछ छुपा रहा है हम सब से" विनय ने घबराई हुई आवाज में कहा।

"जय...जय क्या छुपायेगा हमसे.."लव ने कहा।

"याद है उसने कहा था तुम नीचे देखो और हम ऊपर के दोनो कमरों में देखते हैं .."विनय ने कहा।

"हाँ तो..इसमें क्या है" अजीत ने सवाल किया।

"अरे उसे कैसे पता की उपर दो ही कमरे हैं ...जब कि वो और हम सब यहां पहली बार ही आये हैं।विनय ने कहा।

"ये कैसे हो सकता है..." लव ने कहा।

" हो सकता है यार...उसे ही इस सबसे जल्दी थी यहाँ आने की और सारे नियम भी उसी ने तय किये थे..वो जरूर कुछ छिपा रहा है" अजीत ने कहा।

वो लोग बात कर ही रहे थे की बाहर जय की आवाज सुनाई दी वो विनय को ढूंढ रहा था।बार बार विनय को आवाज दे रहा था।

" हमें बाहर नहीं जाना है हो सकता है उसकी चाल हो ... उसे पता नहीं चलना चाहिए कि हम लोग यहां पर हैं " यह कह कर अजीत ने दरवाजा बंद कर लिया।

"लेकिन यार..." लव ने कहा मगर विनय ने उसे चुप रहने का इशारा किया क्योंकि तभी दरवाजे पर जोर से खटखटाने की आवाज हुई बाहर जय ही था।

" यार तुम लोग कहां हो सब...अन्दर हो क्या" जय परेशान सा बाहर था। उसने आसपास फैले हुए सामान को देखा तभी उसका पैर एक फोटो पर पड़ गया उसने मैं फोटो उठाई उसे बहुत धूल जमी हुई थी उसने धूल को हाथों से साफ किया।यह उस मरे हुए परिवार की तस्वीर थी वह गौर से उस तस्वीर को देखने लगा तभी अचानक उसका माथा ठनका उसने ऐसा कुछ देख लिया था जिसने उसे आश्चर्य में डाल दिया उसके मुंह से बस इतना ही निकल पाया... "यह... इसका मतलब" तभी पीछे से किसी की हंसने की आवाज आई जय पीछे मुड़ा तो डर गया वहां वहीं परिवार वालों की मृत आत्माएं खड़ी थी उनके चेहरे सफेद थे आंखें गहरी काली गर्दन पर रस्सी का निशान बेहद डरावने थे।जय बेहद डर गया उसके पैर ठिठक गये।

" कौन हो तुम लोग...क्या चाहते हो" जय घबराकर बोला।

"तुम्हे भी अपने परिवार का हिस्सा बनाना चाहते है ...सिर्फ तुम्हे ही नहीं तुम्हारे बाकी सब दोस्तों को भी" वह सभी आत्माएं एक साथ बोली ।जय डर की वजह से कांपने लगा जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लगा और आवाज देने लगा ।उसकी आवाज सुन लव को लगा कि से दरवाजा खोल देना चाहिए जब दरवाजा खोले आगे बढ़ा तो अजीत ने उसका रास्ता रोक लिया और कहा "यह पागलपन मत करो जी जरूर उसका कोई ड्रामा है मैं बाहर निकालने का"।

"जो भी हो मैं उसे ऐसे मुसीबत मे नही छोड सकता।" कहकर लव ने दरवाजा खोल दिया।बाहर का नजारा देख बेहद डर गया वह सभी आत्माएं जय को घेरे खड़ी थी सभी की चीख निकल गई।

उन सब को डरा हुआ देख आत्माएं जोर-जोर से हंसने लगी जय के मुंह से डर की वजह से आवाज भी नहीं निकल रही थी वह कुछ कहना चाह रहा था मगर मैं कह नहीं पा रहा था।

"ये लोग हमे मार डालेंगे अब... कोई नहीं बचा सकता हम में से कोई नहीं बचेगा कोई नहीं बचेगा कहकर विनय जोर-जोर से कांपने लगा।

"डरो मत... यह हमें नहीं मार सकती अगर यह मारना चाहती तो कब का मार देती है आत्माए मार नही सकती...ये हमें डरा रही है याद है दीवारों पर क्या लिखा हुआ था डर के आगे जीत है यह सिर्फ हमें डरा रही है हमें डरना नहीं है"लव ने कहा।

यह नहीं मार सकती तो मैं तो मार सकता हूं कहकर अजीत ने एक मोटा डंडा लव के सिर में मारा लव वहीं गिर पड़ा सभी चीख पड़े...'अजीत क्या कर रहा है तू' मगर अजीत जोर जोर से हंसने लगा 

"सबके सब मरोगे तुम लोगों की मौत ही मेरे परिवार की जिंदगी है"। अजीत ने शैतानी भाव से कहा।

सभी चौक गए दरअसल अजीत उसी परिवार का एकमात्र जीवित व्यक्ति था वह सब की तरफ देख कर हंसने लगा लव वहीं बेहोश पड़ा था ।जय कहता गया तुम सबको मार कर अब मैं तुम्हारी लाशों को यहां इन मटको में कैद कर लूंगा उसने मेरे परिवार वालों की आत्माएं कैद है और मैं इनकी आत्मा को मुक्त कराऊंगा कहकर अजीत हंसने लगा।

दरअसल काला जादू के चक्कर और मृत्यु पर विजय पाने की लालच की वजह से पूरे परिवार ने एक साथ आत्महत्या की थी उन्हें लगता था कि वह दोबारा जीवित हो जाएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ उन सबकी तो मौत हो गई थी मगर केवल अजीत उस समय घर पर नहीं था हॉस्टल में रह रहा था उसकी जान बच गई थी अपने परिवार वालों के जाने के बाद जब वह घर आया तो उसने अपने पापा की डायरी में सारे तंत्र विद्या और उसके बारे में सब पढ़ा। उसने दोबारा को अनुष्ठान किया और अपने परिवार की आत्माओं को वापस बुलाया तब उन लोगों ने उसे बताया कि उसे क्या करना है उन्हीं के आधार पर अजीत इन लोगों को मारने यहां लाया था। जय ने उस तस्वीर में अजीत की ही फोटो देखी थी। इधर जैसे ही अजीत उन लोगों को मारने आगे बढा।

"तूने हम सबको धोखा दिया...धोखे से बुलाया।"विनय ने रोते हुये कहा।

" हाँ....मेरे परिवार का जो अनुष्ठान अधूरा रह गया था उसे मैं पूरा करूंगा।" 

तभी लव ने आंखें खोली वहाँ जमीन पर थोड़ा तेल फैल गया था तेल की धार उन मटकों तक थी लव ने धीरे से अपनी जेब से लाइटर निकालकर तेल में लगा दिया लाइटर के तेल में लगते ही वहां आग लग गई धीरे-धीरे आग उन मटको तक पहुंच गई और मटके जलने लगे।

" ये क्या किया तुने...ये क्या किया।"

मटके जलते ही आत्माएं जलने लगी और उनकी जलते ही अजीत बौखला उठा वह उसे मारने आगे बढा। तभी विनय ने वहां रखा फ्लावर पॉट उठाकर अजीत के सिर में दे मारा और कहा" विनाश काले विपरीत बुद्धि" पॉट लगते ही अजीत वहीं गिर पड़ा और आत्माएं जलने लगी धीरे-धीरे आत्माएं जलकर उन्हीं मटको में समा गई तब ने राहत की सांस ली सबकी आंखों में डर के आंसू थे लेकिन इस जीत की खुशी थी।

" सही लिखा था दीवारों पर भय मृत्यु का कारण है... डर के आगे जीत है अगर आज हम लोग अपने डर पर काबू नहीं कर पाते तो हम लोग कभी जीत नहीं पाते" कह कर लव सबके चेहरे की ओर देखने लगा।

"अब चले या कोई और एडवेंचर बाकी रह गया है" विनय ने डरते हुये कहा।

  



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror