कहानी
कहानी
जिंदगी का सफर ऐसा सफर है, जहां कदम- कदम पर अनजानी मुसीबतों का हिम्मत और धैर्य से सामना करना पड़ता है।हर पल नये अनुभव का आभास होता है।कुछ रास्ते किसी मोड़ पर जाकर लुप्त हो जाते हैं, कुछ उबड़- खुबड़, अन्धेरे से घिरे रास्ते, मंजिल तक पहुँचाते हैं।यह सफर कभी अकेले, कभी किसी हमसफर संग, हंसते मुस्कराते कट जाता है, कभी कुछ मीठी- खट्टी यादों का पिटारा दे जाता है, जिसके सहारे जिंदगी का सफर जारी रहता है।जिंदगी का फलसफा जब समझ आता है तब जिंदगी का दामन छूट जाता है।
इस सफर में जिंदगी बहती नदियां हैं जो टेढ़े मेढ़े व सपाट रास्तों से बह कर, प्यासों की प्यास मिटाते अथाह सागर (परमात्मा)में लीन होजातीं हैं।कुछ जीवन रुपी नदियां तो बीच रास्ते में ही अपना अस्तित्व खो देती हैं। जिंदगी का सूरज हर रोज नयी आशा और खुशियों का दामन फैला कर उदय होता है, सांझ को यही सूरज न चाहते हुये,
ढल कर फिर से नयी उम्मीदों के साथ, उदय होने की तैयारी में लग जाता है।यही कुदरत का नियम मानव पर भी लागू होता है, वह हर रोज अपने काम पर जाता है सारा दिन मेहनत करता है।दुख हो या सुख, हमेशा सब्र , प्यार और बंदगी, तथा सहनशीलता के साथ अपनी जिंदगी बसर करता है।
यह कहानी मनु मजदूर की है जो अपने गांव में बन रही पक्की सड़क पर काम करता है। परिवार की जरुरतों को पूरा करने के लिये, हर सुबह, गर्मी हो या सर्दी, अपना खून पसीना बहाता है, बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाई करवाता है। उनके उज्जवल भविष्य की आशा में, अपना तन- मन न्योछावर करता है, जिन खुशियों से वह वंचित रहा, वो सब अपने परिवार को देना चाहता है।जीवन में कामयावी का हकदार वही है जो मेहनत करता है।
काम तो काम है, छोटा है या बड़ा यह मायने नहीं रखता, जिस काम में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा हो, समाज की भलाई का उद्देश्य हो, वहां कामयावी हासिल होती है।ठेले वाला बता रहा था कि सब बोलते तुम्हारा बेटा बड़ा अफसर है तुम यह काम क्यों करते हो।बेटा अपना काम करता है, पर मैं अपना।कल को उसका परिवार होगा, जिम्मेदारियां होंगी। मैं जब तक शरीर चल रहा है अपना दायित्व निभायुगां। दुनिया के काम रह जाते हैं और इन्सान दुनिया से अलविदा हो जाता है।यही सफर- ऐ- जिंदगी है।
