कहानी
कहानी
संध्या काल में गाड़ी किसी छोटे से स्टेशन पर रुकी थी।इक्का - दुक्का कुली दिखाई दिये जो जल्दी से डिब्बों की ओरलपक रहे थे। कुछ यात्री डिब्बे की खाली सीटों पर आ कर बैठ गये।थोड़ी देर बाद गाड़ी धीरे धीरे प्लेटफार्म को छोड़कर तेज गति से मंजिल की ओर बढ़ने लगी। याद आया कि आज तो साल का आखिरी दिन है। 31 दिसम्बर की रात है।कल के सूरज की किरणों के साथ नव वर्ष का आगमन होगा। लोग एक दूसरे को गले लगाकर नव वर्षकी वधाई देंगे। सालभर में सुख -शान्ति,सेहत, लम्बी उम्र आदि की शुभकामनाओं के साथ नव वर्ष का स्वागतकरेंगे।इन्हीं ख्यालों के साथ याद आई, वो दिसम्बर की आखिरी रात। नीला- आकाश की याद------
" नीला- आकाश की पहली मुलाकात।नीला के पापा का तबादला हमारे शहर में हुआ तब वह दस वर्ष की थी, बचपन से ही नटखट थी,हमारे पड़ोस में रहती थी।हम एक साथ स्कूल जाते,पढ़ते और खेलते थे।मेरे बड़े भाई कीनौकरी बटाला में लगीतो कभी -कभी मैं भी उनके पास चलजाता था।मेरे भाई के मित्र का छोटा भाई हमारे शहर किसी इन्टरव्यू देने के लिये आया था तो उसे हमारे घर ठहरना था।यह शहर उसके लिये अनजाना था।उसने गली में खेल रहे बच्चों से भाई का नाम लेकर घर पूछा।
जब आकाश ने घर की घंटी बजाई और नीला
ने दरवाजा खोला तो उसने नीला को बताया कि वो किसी काम से बटाला से आया है। नीला का बड़ा भाई भी बटाला में नौकरी करता। था।नीला और नीला की मां ने आकाश को बैठक में बिठाया और चाय नाश्ता करवाया और इधर उधर की बातें करने लगे।
तभी नीला का छोटा भाई जो आठ वर्ष का था घर आया।नीला ने कहा यह तुमसे मिलने आये हैं।उसे देखकर आकाश ने कहा यह वो नहीं हैं।आकाश को लगा वह गलत जगह आ गया। इत्तफाक से नीला के भाई और मेरे भाई का एक ही नाम था।गली के बच्चे खेल में मस्त थे, उन्होंने हमारे घर की जगह नीला के घर की ओर इशारा किया।असलियत जानकर आकाश हमारे घर आया और सब को बताया कि कैसे वह नाम के कारण गलतफहमी का शिकार बन गया।बात आई गई हो गई। कॉलेज की पढ़ाईके बाद जिस कम्पनी में नीला की नौकरी लगी वहां आकाश मैनेजर था।साथ काम करते -करते दोंनों में प्यार का बीज पनपने लगा।शुभ घड़ी में दोनों की शादी हो गई।दो वर्ष के बाद नन्ही सी परी उनके आंगन में आई।फिर आई वो......
दिसम्बर की आखिरी रात को मनाने के लिये सभी पार्टी का आयोजन करने लगे।यह तय हुआ कि पांच सितारा होटल की टेरेस पर जो पार्टी है,
सभी उनके साथ मिलकर नये साल का स्वागत करेंगे।एक दूसरे को ठीक 12 बजे के बाद गले मिलकर नये साल की बधाई के साथ तोहफा देंगे।
बच्ची बहुत छोटी थी ,उसे आकाश की मां के पास छोड़कर हम होटल गये। पार्टी सूर्य अस्त के बाद शुरु हुई ,चारों ओर मस्ती का आलम था,सभी नाचने गाने में लगे हुये थे। अभी12 बजने में दस मिनट बाकी थे।आकाश को याद आया कि नीला का सरप्राइज तोहफा तो वह गाड़ी में ही छोड़ आया।मैंने आकाश को बोला तुम नीला के पास रहो मैं तोहफा लेकर आता हूं।
मैं नीचे पार्किंग में गया और तोहफे का पैकेट लेकर जैसे ही होटल में दाखिल हुआ तभी बड़े जोर के धमाके हुये,टेरेस पर म्यूजिक का इतना शोर-शराबा था कि किसी को पता नहीं चला कि किचन के सिलेंडर फटने से टेरेस को आग की लपटों ने चारों ओर से घेर लिया। अग्नि शामक दल के आने से पहले टेरेस जल कर राख हो गया,कोई नहीं बचा।"
रात के अंधेरे को चीरती हुई गाड़ी अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगी, मेरे दिल से नीला आकाश की याद में एक हूक सी उठी और आँखों से आंसू बहने लगे।
