Gita Parihar

Abstract

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कैप्टन मुल्ला

कैप्टन मुल्ला

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भारतीय सेना का वो कप्तान जो जान-बूझकर जहाज संग डूब गया।

कप्तान महेंद्रनाथ मुल्ला की चुनी हुई शहादत की कहानी ,सुने एक नौसैनिक से जो 45 वर्ष पूर्व हुई जंग में कप्तान मुल्ला के साथ था और जिंदा बच गया था।

उस रात 1971में हुई जंग में भारतीय नौसेना के दो जहाजों- INS कृपाण और INS खुकरी को आदेश मिला कि पाकिस्तानी पनडुब्बी हंगोर को मार गिराया जाए। दोनों जहाजों के कमांडिंग अफसर महेंद्रनाथ मुल्ला INS खुकरी पर मौजूद थे। अरब सागर में दीव के पास ये ऑपरेशन शुरू हुआ, ब्रिटिश काल के ये दोनों जहाज फ्रांस से मंगाई गई ‘हंगोर’ सबमरीन के मुकाबले तकनीकी तौर पर बहुत पिछड़े थे। भारतीय नौसैनिक जानते थे कि मुकाबला बराबरी का नहीं है, पर जंग में नियम और शर्ते नहीं होतीं 

पाकिस्तानी पनडुब्बी बहुत धीमी रफ्तार से बढ़ रही थी। शाम 7:57 पर उसने ‘INS कृपाण’ पर पहला टॉरपीडो फायर किया।कृपाण ने फटने से पहले ही उसको देखकर ऐंटी सबमरीन मोर्टार से उसे नष्ट कर दिया।

खुकरी ने अपनी स्पीड बढ़ाई और हंगोर की तरफ बढ़ी। हंगोर ने इसी समय दूसरा टॉरपीडो फायर किया जो सीधे खुकरी के ऑयल टैंक में लगा, जहाज में तुरंत आग लग गई।रिपोर्ट्स कहती हैं कि खुकरी को डुबोने के लिए 2 टॉरपीडो और फायर करने पड़े। उधर कृपाण को एक और टॉरपीडो लगा, जिससे उसका हल टूट गया और वो बीच समंदर में एक जगह असहाय खड़ा हो गया।

खुकरी को डूबता देख कैप्टन मुल्ला ने नौ-सैनिकों को जहाज छोड़ने का आदेश दिया। कप्तान ने अपनी लाइफ जैकेट भी किसी दूसरे नौ-सैनिक को दे दी। अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए कैप्टन महेंद्रनाथ मुल्ला ने जल समाधि ले ली।


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