काश
काश
काश हँसते हुए ही दम निकल जाता,
ज़िंदा ही ज़िंदगी से गम निकल जाता।
काश तू मेरी धड़कन का शोर सुन पाता,
मेरे मरने से पहले मेरी दूर बुन पाता।
काश नदियां बहकर समंदर में न मिलतीं,
मिलता पानी तो उसकी प्यास तो बुझाता।
काश बीतें लम्हों की कहानी सुन जाता,
मेरे लबों से थोड़ा गिला पानी चुन जाता।
काश बिना मुड़े मंज़िंलों के रास्ते बन पाते,
उसी सीधे रास्ते से चलकर पास तू आता।
काश हँसते हुए ही दम निकल जाता,
ज़िंदा ही ज़िंदगी से गम निकल जाता।