ज़रा सा इश्क़
ज़रा सा इश्क़
मैं पेड़ के नीचे खड़ा बहुत देर उसका इंतज़ार कर रहा था। सच कहूँ तो आज पहली बार यहाँ नहीं खड़ा था सर्दी गर्मी बरसात सभी तो झेली थी मैंने, इस पेड़ के नीचे। और बात भी इसी पेड़ से कर रहा हूँ। इस पेड़ से मेरा रिश्ता बहुत पुराना है। वैसे मेरा असली नाम रमाकांत है पर मैंने इसे शार्ट कर दिया।राज। क्यों ? है ना मस्त।
( राज पेड़ की तरफ देखकर )
राज : जानते हो आज कौन सा दिन है आज इश्क़ का दिन है प्यार के इकरार का दिन। ज़रा दूर से देखो मुझे ! ( थोड़ा सा पेड़ दूर होकर ) हीरो लग रहा हूँ आज में, है ना। तुम देखना आज मैं उसे अपने दिल का हाल कह दूँगा।
( पेड़ से लिपट जाता है और हिलाने की कोशिश करता है ये जो पेड़ है न , ४८ फुट रोड के साइड के फुटपाथ पर है। दोनों हाथों में भी नहीं आ रहा था राज के , राज फिर पेड़ को हिलाने की कोशिश करता है और खुद पागल की तरफ हील रहा होता है तभी एक लड़की, सर पर हाथ मारते हुए और राज पर हँसते हुए वहां से निकल जाती है। )
( राज पेड़ की तरफ देखता है )
राज : अरे, यार बता नहीं सकता था क्या ? देखा आज फिर निकल गई। पर थैंक्स दोस्त आज उसने मुझे देख लिया है। अभी जाता हूँ आज तो बोल कर जाऊंगा।
(अपनी कमीज़ ठीक करता हुआ, लड़की के पीछे भागता है और साथ में चलने लगता है )
राज : सुनिए , सुनिए, मुझे आपसे बात करनी है।
लड़की : जी बोलिये,
राज : मैं तुम, मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ। क्या आप मेरी दोस्त बनेगी।
लड़की : अच्छा आप मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहते है?
राज : मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है।
( लड़की मुस्कुराते हुए )
लड़की : पर मुझे आप से दोस्ती नहीं करनी।
(राज के पास कोई जवाब नहीं, बस साथ चलता रहता है। और बार बार उसे देखता रहता है। सच मानो अप्सरा हो कोई, बड़ी बड़ी आँखें , चौड़ा माथा , गालों पे मुस्कान, शर्म और ज़ुबान एकदम मीठी। सब कुछ तो था उसमे ऐसे ही नहीं दीवाना हुआ होगा राज , कोई भी हो जाये। )
लड़की : साथ ही चलते रहोगे या कुछ और भी कहना है।
राज : जब तक तुम मेरी दोस्त नहीं बनोगी मैं साथ चलता रहूँगा।
( लड़की नीची नज़र किये मुस्कुराती हुई चलती रहती है )
लड़की : देखो वहां से मुझे कॉलेज की बस मिल जाएगी अब तुम जाओ।
राज : नहीं पहले हाँ करो फिर जाऊँगा।
लड़की :
तुम मेरा नाम तक नहीं जानते और ना मैं तुम्हारा। तुमने बस कह दिया दोस्ती करना चाहता हूँ। अब बताओ इसमें मेरी क्या ग़लती है।
( राज अपने सर पर हाथ मारते हुए )
राज : मेरा नाम राज है। मैं तुमसे पीछे एक साल से बात करने की कोशिश कर रहा हूँ पर कह ही नहीं पाता। डर लगता था कहीं तुम ना, ना कर दो।
लड़की : बाप रे, एक साल से, तुम झूठे हो, मुझे तो लगा तुम्हारा उस पेड़ से तीन चार का दोस्ताना है।
( राज अपनी दोनों भौहें ऊपर करके लड़की के सामने आ जाता है। रास्ता रोक कर। )
राज : तुम मुझे देखती रहती थी !
लड़की : अब ज्यादा हीरो मत बनो, वरना पेड़ से शिकायत कर दूंगी। वहां खड़े नहीं हो पाओगे। समझे मिस्टर राज।
राज : तुम्हारा नाम सपना है ना।
सपना : पूछ रहे हो या बता रहे हो ?
( राज हँसने लगता है। सपना भी मुस्कुराती है )
सपना : वैसे किस से पूछा था मेरा नाम ? दूध वाले से या अख़बार वाले से !
राज : गलत , तुम्हारी दोस्त से। श्वेता से।
सपना : अच्छा ! तो ये बात है। उसे तो मैं देख लूंगी ।
राज : उसे कुछ मत कहना। मैंने उसे प्रॉमिस किया था उसका नाम नहीं लूँगा। गलती से ज़बान पर आ गया। नहीं झूठ नहीं बोलना चाहता था तुमसे।
सपना : अच्छा चलो , जाने दो सब फिर कभी बात करेंगे मेरी बस आने वाली है तुम अब जाओ। मुझे अच्छा नहीं लगेगा मेरी बहुत सी फ्रेंड्स जाती है मेरे साथ।
( राज अपनी कमीज़ से एक फूल निकालता है और एक कार्ड, सपना की तरफ हाथ बढ़ाते हुए। बड़ी उम्मीद से सपना की आँखों में देखते हुए। )
राज : तुम से कुछ नहीं कहना मुझे, तुम्हें सब बता है मेरे बारे में, और मुझे भी शायद, मैं तुमसे बहुत बहुत प्यार करता हूँ। तुम मुझे अपना ज़रा सा इश्क़ दे दो।
( सपना ज़ोर ज़ोर से हँसने लगती है )
सपना : ज़रा सा इश्क़, तुम पागल हो राज। जाओ अब मेरी बस आ रही है।
( बस थोड़ी आगे रूकती है सपना बस की तरफ दो कदम जाती है राज उदास होकर नीचे मुँह किये कार्ड और फूल को देखता रहता है सपना वापस मुड़ती है और कार्ड और फूल लेकर बैग में डाल लेती है और बस की तरफ जाते हुए बोलती है। )
सपना : तुम्हारा ज़रा सा इश्क़ चार साल पुराना है। बाय।
( राज वहीं कूदने लगता है जैसे ज़िंदगी की सारी ख़ुशियाँ मिल गई हो। )
बताईएगा आपको मेरा ज़रा सा इश्क़ कैसा लगा।