काँच की चुभन
काँच की चुभन
कुछ दिनों पहले ही शर्माजी के यहाँ एक placement agency से घर के काम के लिए एक 13-14 साल की लड़की को लाया गया था। वह लड़की भाग भाग कर उनके घर में हर किसी के काम किया करती थी।
आज बहूत दिनों के बाद अपनी 12-13 साल की बेटी की फरमाइश पर मिसेज शर्मा ने ऑफिस से छुट्टी लि थी।बेटी स्कूल से आने के बाद बहुत खुश होकर खेल रही थी क्योंकि माँ आज बहुत दिनों के बाद घर मे थी।
अचानक खेलते खेलते बेटी के हाथ से कोने में रखा काँच का flowerpot छन्न की आवाज से टूट गया।
काँच के टूटने की आवाज़ सुन कर मिसेज शर्मा भाग कर वहां आयी, और बेटी को कहा," तुम यहाँ से जाओ,काँच के टुकड़े बिखरे हुए है,तुम्हे चुभ जायेंगे।"
बेटी के जाते ही उन्होंने फटाफट सर्वेंट लड़की को बुलाकर कहा,"इन काँच के टुकड़ों को उठाकर सब साफ़ कर लो, साहब अभी घर में आ ही रहे होंगे।"
लड़की ने फटाफट सफाई कर डाली।मिसेज शर्मा ने बेटी को फिर से खेलने के लिए आवाज दी।
कितनी सहजता से मिसेज़ शर्मा ने सब कुछ मैनेज कर लिया, बिना किसी अपने- पराये के मलाल से और चुभन से।
सच है, काँच की चुभन तो हम नौकरों से साफ़ करवा लेंगे, पर मन की इस चुभन का क्या ?
