STORYMIRROR

Apoorva Singh

Abstract

4  

Apoorva Singh

Abstract

कागज की कश्ती..!

कागज की कश्ती..!

4 mins
212


झमाझम बारिश हो रही है।इसी बारिश में मुस्कुराता हुए सुशांत एक लड़की भीगी भागी सी सॉन्ग गुनगुनाता हुआ चला जा रहा है।स्कूल के रास्ते में उसकी नज़र घरों से बाहर निकले कुछ बच्चो पर पड़ती है।जो उछलते कूदते बारिश का मज़ा ले रहे है कुछ एक तो दौड़ते भागते पकड़म पकड़ाई खेल रहे हैं।और कुछ घर की मुंडेर पर झाड़ू ले छतो पर भरा हुए पानी निकाल रहे है जिससे छत पर जमा कूड़ा भी बारिश के साथ निकल जाता है।कुछ तो अपने घर के दरवाजे पर बैठे हुए हाथ में कागज की नाव बना बना कर पानी में तैरा रहे है।उनको पानी में नाव तैराता देख सुशांत सामने बने एक टी स्टॉल पर अपनी बाइक रोकता है।एवम् एक चाय लाने का कह वहीं बैठ जाता है।उसकी नज़रे उन सड़क पर खेलते हुए बच्चो को ही देख रही है।उनके चेहरे की निश्छल हंसी और स्वभाव की सरलता देख सुशांत अपने बचपन में खो जाता है।


"ओह गॉड! अब तक ये बारिश बंद नहीं हुई है।" पिछले आधे घंटे से मूसलाधार बारिश हो रही है।रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।पापा अब तक नहीं आए है।सात बरस का एक बच्चा दरवाजे पर खड़ा हो अपने पिता की राह देख रहा है।


"मां अब तक पापा नहीं आए है।कब आयेंगे मेरे पापा।"


"आ जाएंगे।बेटा।बारिश की वजह से कहीं ठहर गए होंगे।बारिश बंद हो जाएगी तब आ जाएंगे वो।तब तक तुम जाकर पढ़ाई करो।तुम्हे पढ़ता हुआ देख उन्हें बहुत खुशी होगी।"


"ठीक है मां। " कहते हुए सुशांत अंदर चला जाता है। और पढ़ाई करने लगता है।


कुछ मिनटों बाद डोरबेल बजती है।सुशांत के पिता अपने ऑफिस से घर आ जाते है।


"सुशांत, बेटे सुशांत।" आंगन में पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए सुशांत के पापा उसे आवाज़ देते हैं।आवाज़ सुन सुशांत दौड़ता हुआ आता है और अपने पिता के सामने खड़ा हो जाता है।उम्मीद भरी निगाहों से वो अपने पापा की ओर देखता है। "हैप्पी बर्थडे बेटे" वो सुशांत के सिर पर हाथ रखते हुए कहते है। "थैंक यू" पापा।और ये आपका "बर्थडे केक"। एक चौकोर सा कागज का बना बॉक्स सुशांत के हाथ में थमा देते है जिसे देख वो बहुत खुश होता है और थैंक यूं कह केक बॉक्स ले लेता है तथा दौड़कर जाकर उसे फ्रिज में रख देता है।


"ओहो आप तो पूरा भीग गए है बाथरूम में जाकर चेंज कर लीजिए नहीं तो सर्दी लग जाएगी।"सुशांत की मां रसोई से निकल कर आते हुए कहती है।


"ठीक सुषमा।अभी जाता हूं।"


"पापा! पापा! मेरा बर्थडे गिफ्ट कहां है।सुशांत केक रख दौड़ कर आते हुए अपने पापा से पूछता है।"


"बेटे बर्थ डे गिफ्ट.....! अच्छा तो सुशांत को बर्थ डे गिफ्ट चाहिए?"


"जी" पापा!


"तो फिर चलो आज पापा की तरफ से सुशांत के लिए अनोखा गिफ्ट देते है।जिसे आप जब भी याद करोगे आपके चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाया करेगी।"


"सच पापा" सुशांत एक्साइटेड होकर कहता है।


"हां बेटे बस अभी कुछ समय दो मुझे फिर आपको आपका गिफ्ट मिलेगा।ठीक है आप यहीं रुकिए मै अभी आता हूं" कह कर वो अंदर जाते है और कुछ पेपर लेकर आते है तथा सुशांत से कहते है आज मै आपको आपके बर्थडे पर कागज की नाव बनाना सिखाऊंगा।जो होगा आपका बर्थ डे गिफ्ट।


सच पापा।सुशांत खुश होते हुए कहता है।


"हां और अब जो मै कर रहा हूं उसे ध्यान से देखो।" कहते हुए वो सुशांत को कागज की नाव बनाना सिखाते है।सुशांत खेल खेल में ही कई सारी छोटी छोटी नाव बना लेता है जिन्हे देख वो बहुत खुश होता है।


पापा - "ये ख्वाहिशों की नाव है। जब ये पानी में तैरेगी तो आपको बहुत सी खुशियां देगी और आपके गमो को अपने साथ बहा ले जाएगी।"

"ओके पापा।मै इन्हे अभी पानी में उतारता हूं"।कहते हुए सुशांत एक नाव उठाकर बाहर दरवाजे की तरफ भागता है और घर के बाहर बारिश के पानी में अपनी कागज की नाव बहा देता है।पानी में नाव तैरने लगती है तो खुश होकर पानी में भीगने लगता है।


"साहब आपकी चाय" आवाज़ सुन सुशांत अपने बचपन की यादों से बाहर आता है।


सच में बाल मन कितना निश्छल होता है।छोटी छोटी बातों में खुशियां ढूंढ़ लेता है।मुस्कुराते हुए सुशांत चाय का प्याला वहीं रख निकल जाता है सड़क पर बारिश में भीगते बच्चो के बीच।जहां बहाने लगता है कागज की कश्ती और भीगने लगता है बचपन की बारिश में.....!



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract