झुकी झुकी सी पलक
झुकी झुकी सी पलक
हाँ आज बहुत याद आ रही है वह झुकी सी पलकें बहुत याद आ रही है। हाँ बहुत तकलीफ़ में मेरे आँखों से आँसू बह रहे। सोचा कि अपनी चाहत के बारे में कुछ बताऊँ,आज बहुत याद आ रही है मेरी चाहत। जानते हैं उसकी किस अदा पर मिटा वही जो उसकी झुकी झुकी हुई पलकें उसकी उसी नाजो अदा पर मैं मर मिटा। उसका कायल हो गया, हाँ उसका नाम था गुलशन और मैं शमशेर हमने उसको चाहा और निकाह में कबूल भी किया पर ताजिंदगी वैसे ही रही ऐसा नहीं कि मैं बहुत पुराना हूँ पर उसकी वही अदा तो भा गयी। आज तो इस दुनिया में नहीं हर पल याद आती है मेरी माशूका हाँ मेरी जानिशा हाँ मैं दीवाना ही सही पर बहुत याद आती है झुकी झुकी सी पलकें।