जब सब थम सा गया(दिन-30)
जब सब थम सा गया(दिन-30)


प्रिय डायरी,
आज का दिन कुछ अच्छा नहीं था।सुबह सुबह उठ कर मैं योग प्राणायाम कर कर बैठा ही था कि भाई रूपेश ने आवाज़ लगाई,"भैया जल्दी नीचे आईये",मैं बिना समय गवाये तुरंत छत से नीचे आया।दरहसल गाय की तबियत खराब थी।उसको बुखार था और गर्मी के अंदर भी उसका शारीर काँप रहा था।मैंने तुरंत पास में पड़ा कंबल उसके ऊपर डाल दिया।लेकिन फिर भी वो काँप ही रही थी और बुखार के चलते उसको चक्कर आ गया था।पिताजी पूजा समाप्त करके आये तो डॉक्टर को फ़ोन करके गायबके बारे में पूरी बात बताई।
लॉक डाउन के चलते डॉक्टर ने कहाँ ँ कि,"मैं 10 बजे तक आपके घर आ जाऊंगा।"मालुम नई क्या हुआ था उसको,पिताजी ने कहाँ ँ हो सकता हैं गर्मी के चलते तबियत खराब हो गया हैं।सुबह 7 बजे से 10 बजे तक हम सभी गाय के पास खड़े होकर डॉक्टर का इंतेजार कर रहे थे।हमारे घर की हमेशा से आदत रही हैं कि यदि कोई भी सदस्य बीमार होता हैं तो सब परेशान हो जाते हैं,ये बेजान जानवर भी तो घर के सदस्य ही हैं।जानवर की देख रेख जिस तरह हमारे स्वर्गीय दादाजी रखा करते थे।उस तरह तो शायद हम में से कोई कभी भी नहीं रख सकता था।गाय कुछ खा भी नहीं रही थी इस कारण हम में से किसी ने नास्ता तक नहीं किया था।
10 बजे जब डॉक्टर नहीं आये तो पिताजी ने दोबारा फ़ोन किया और कहाँ ँ ,"डॉक्टर साहब आप कहाँ ँ हैं?,"डॉक्टर साहब ने कहाँ ँ ,"मैं रास्ते में हूँ, बस पहुँच ही गया हूँ।कुछ देर में डॉक्टर साहब पहुँच गए।गाय के देखा तो कहाँ ँ कि गाय को तेज बुखार हैं।तुरंत 4 इंजेक्शन लगाया और कहाँ ँ शाम तक आराम न मिले तो फिर सूचित करना।डॉक्टर साहब के जाने के बाद गाय थोड़ी देर में बैठ गई।हम सब भी अपने काम में लग गए क्योंकि मैं और भाई रूपेश ने तो अभी स्नान भी नहीं किया था।
स्नान करके पूजा पाठ करके हम दोनों ने नास्ता किया लेकिन सब गाय को बार बार देख रहे थे कही तबियत फिर से खराब तो नहीं हुई।लेकिन गाय अब पहले से बेहतर थी।मैं बाहर बैठ कर अखबार पढ़ने लगा।कुछ देर बाद मैं अपने कमरे में जाकर किताब पढ़ने लगा।किताब पढ़ते पढ़ते याद आया की आज सीबीएसई द्वारा ऑनलाइन सेशन लाइफ स्किल के ऊपर 4 बजे से प्रारम्भ होगा जो की 5 बजे तक चलेगा।सीबीएसई द्वारा हर वर्ष इस तरह के कार्यक्रम शिक्षकों के लिए आयोजित किये जाते हैं लेकिन इस बार लॉक डाउन के चलते संभव नहीं हैं।मेरे लिए ये पहली बार था इसलिए में ज्यादा उत्सुक था।दोपहर के भोजन का समय हो चूका था और गाय भी अब खा रही थी।दोपहर का भोजन करने के बाद मैं कुछ देर नीचे ही टीवी देखने लगा।लॉक डाउन और कोरोना के चलते अब समाचार देखने का मन भी नहीं करता हैं।कुछ देर बाद ऊपर अपने कमरे में आकर लेट गया और कब नींद लगी पता ही नहीं चला।नींद 3:30 बजे खुली मैं उठकर तुरंत हाथ मुह धोकर कुर्सी पर आकर बैठ गया।टेबल पर पड़ी डायरी और पेन उठाकर मैंने मोबाइल से ऑनलाइन सेशन में इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा।सेशन 1 घंटे का था लेकिन 5:30 बजे खत्म हुआ।बहुत ही शानदार सेशन था।वास्तव में मजा आ गया।इतने अच्छे उदहारण और समस्याओं के समाधान सुनकर बहुत अच्छा लगा।ये सेशन श्रीमती गिरजा सिंह मैडम द्वारा लाइफ स्किल के ऊपर था।सेशन अंग्रेजी भाषा में था।लेकिन स्कूल में शिक्षक और बच्चो के मध्य उत्पन्न होने वाली समस्त बातो के लिए ये ऑनलाइन सेशन शानदार था।सेशन के बाद में नीचे आकर अपने पोधो की देख रेख करने लगा।शाम की आरती के बाद मौसम कुछ बारिश जैसा लगा।कुछ बुँदे बारिश के बाद मौसम फिर से सही हो गया।ऊपर कमरे में जाने से पहले भोजन के बाद मैं गाय के पास गया तो देखा फिर से हल्का बुखार आ गया।लेकिन रात ज्यादा हो गयी थी तो डॉक्टर साहब ने कहाँ ँ कल सुबह जल्दी आकार देखता हूँ।ऊपर कमरे में आकर आज जो ऑनलाइन सेशन में जो बातें मैडम ने बताई उनको व्यवस्थित लिखकर एक रिपोर्ट तैयार करके अपने पास रख लिया।लिखने के बाद समय लगभग 12 बज रहे थे और नींद भी आ रही थी इसलिए में बिस्तर पर आकर लेटा और सो गया।